शनिवार, 26 जुलाई 2008

धमाको का सिलसिला शुरू हो गया है...

अभी -- अभी ख़बर आई है की अहमदाबाद में १७ बम धमाके हुए है, कल बंगलोर आज अहमदाबाद... लीजिये धमाको का दौर शुरू हो गया है अब हम सब बैठकर तमाशा देखिंगे, पहले घटनास्थल पर जांच होगी, दो चार अफसर बयान देंगे की "हालात काबू में है, जान माल का ज़्यादा नुक्सान नही हुआ, हमारी फोर्स सब तरफ़ मौजूद है हमने देश में हाई एलर्ट घोषित कर दिया है, गुनाहगार बहुत जल्दी पकड़े जायेंगे. "

सबसे पहले इल्जाम लगाया जायेगा पाकिस्तान पर, फिर कहा जायेगा की अल- कायदा से जुड़े हुए किसी गिरोह का काम है, फिर हो सकता है की कोई टी.वी. चेनल दाऊद इब्राहीम का भी नाम ले दे...पुलिस जगह जगह छापे मारेगी और फिर कुछ लोगो को पकड़ कर जनता के सामने पेश कर देगी के इन लोगो ने ही बम धमाके किए थे, और हमारे हिन्दुस्तान की भोली भली जनता बगैर सच्चाई जाने उन लोगो को आतंकवादी मान लेगी..... चाहे वो कोई भी हो उन्हें कोई मतलब नही है .

और इन सब के बीच जिन लोगो का ये किया धरा है वो अपने घर के नरम सोफे पर बैठ कर शराब और चखने के साथ टी.वी. पर इस सब का मज़ा ले रहे होंगे,

और वैसे भी वो सब होना शुरू हो गया है जो वो करना चाहते थे की जो सरकार वो न गिरा सके वो सरकार जनता गिरा दे टी.वि. चेनलो ने सरकार के राज में कमी निकलना शुरू कर दी है और सारे पत्रकार अपने काम में लग गए है, क्यूंकि पिछले पाँच सालो में उन्होंने सरकार को गिराने की हर कोशिश करके देख ली लेकिन यह सरकार है की गिरती ही नही है, मनमोहन जी कुर्सी से फेविकोल लगाकर बैठ गए है हटते ही नही है.....

उन्होंने पहले रामसेतु को मुद्दा बनाया तो मनमोहन जी ने उसमे अपनी सरकार बचा ली फिर उन्होंने महंगाई को लेकर शोर मचाया जबकि पुरी दुनिया में महंगाई है फिर उन्होंने बहुत शोर मचाया फायदा क्या हुआ कुछ नही यहाँ भी वो बच गए.....परमाणु करार को लेकर कुछ उम्मीद बंधी थी उसमे कुछ कामयाब भी हो गए थे जब रास्ता आसान नही दिखा तो एक और चाल चली और संसद की इज्ज़त का कचरा कर दिया लेकिन उससे भी फायदा नही हुआ...

अब आख़िर में उन्होंने अपना तुरुप का इक्का निकाला है जिसने हमेशा काम किया है सरकार को गिराने का सबसे आसान और असरदार इलाज देश में आतंक फैला दो जनता अपने आप सरकार को दुबारा नही आने देगी......

अब आप लोग देखिये की कब तक यह धमाको का सिलसिला चलता है और किस किस शहर में सांप्रदायिक दंगे होते है......."The Countdown Begins"

रविवार, 20 जुलाई 2008

हजारों पेडों की बलि दे दी गई.....

पिछले ६ महीने से नेशनल हाईवे अथॉरिटी ऑफ़ इंडिया ने कुछ शहरों के हाईवे को डबल लेन करने का काम शुरू किया है .......इन दिनों फैजाबाद -- लखनऊ, लखनऊ -- कानपूर, मुज़फ्फरनगर -- मेरठ, के हाईवे बन रहे है
यहाँ पर हाईवे को डबल लेन करने के लिए हजारो हरे भरे पेडो को काट दिया गया, मुझे इस चीज़ से ऐतराज़ नही है क्यूंकि वहाँ रोड को चौडा करना ज़रूरी था उन सडको पर यातायात की परेशानी बहुत बढ़ गई थी लेकिन उन पेडो को काटने के बाद पर्यावरण का जो नुकसान हुआ है उसकी भरपाई करने के लिए उन लोगो ने कुछ नही किया....
या फिर जो वो कर रहे है उसके प्रति वो बिल्कुल भी गंभीर नही है.......सब जगह लगभग 50 प्रतिशत तक काम हो चुका है और जहाँ पर काम हो चुका है वहाँ पर इन लोगो ने रोड के बीच में divider बनाये है जिनकी चौडाई २.५ फीट से लेकर ३.५ फीट तक है कही -- कहीं पर इसकी चौडाई काफ़ी कम है....
इन dividers में लगभग १.५ से २ फीट तक मिट्टी भरी जा रही है ताकि इसमे पेड़ लगाये जा सके लेकिन मिटटी भरते वक्त कोई भी इस चीज़ पर गौर नही कर रहा है की उस जगह पर जहाँ मिटटी भरनी है वहाँ पेड के जड़ पकड़ने के लिए ज़मीन ठीक है या नही?
मैं आप लोगो को बताता हूँ उन Dividers के बीच में जहाँ पर वो लोग मिटटी डाल रहे है उनके नीचे ज़मीन नही बल्कि ठोस पत्थर और कंक्रीट भरी हुई है जो उन्होंने सड़क बनने के लिए डाली थी....और जब divider बनाया तो उसके अंदर भी वही कंक्रीट और पत्थर आ गए और किसी ने भी इस तरफ़ गौर नही किया ।
यह तस्वीर मुज़फ्फरनगर -- मेरठ के बीच के इसमे मिटटी में मिली कंक्रीट साफ़ दिख रही है .

मैंने इन साइट्स पर मौजूद engineers से बात की तो पहले कोई भी बात करने को राज़ी नही हुआ और जो राज़ी हुआ वो ठीक से जवाब नही दे पाया के इस मिटटी के नीचे क्या है....फिर एक Asst। Engineer ने नाम नही बताने की शर्त पर बताया की हमने किसी भी divider के बीच से कंक्रीट नही निकाली है और जो जैसा था बस उसी में हमने मिटटी डलवा दी तो हमें नही पता की कहाँ पर कितनी कंक्रीट है पेड लगाने के बाद ठीक से जड़ पकड़ पायेगा या नही ।
यह बरसात का मौसम जो की एक नए पौधे के लिए सबसे अच्छा मौसम होता है अपनी जड़ पकड़ने के लिए ....लेकिन मैं जहाँ भी गया वहाँ divider बने हुए तो काफ़ी वक्त हो गया है लेकिन अब तक पेड नही लगाये गए है मैंने कुछ तस्वीरे भी ली है यह दिखाने के लिए की divider बन जाने के बावजूद वहाँ पर पढ़ नही लगाये गए है ।
अब आप लोग ही जवाब दे की एक तरफ़ तो हम ग्लोबल वार्मिंग का शोर मचा रहे है, पर्यावरण को बचाने की लोगो से गुहार लगा रहे है, हमारी सरकार पर्यावरण को बचाने के इतने कानून बना रही है लेकिन इतना बड़ा काम करवाते वक्त किसी को इतना ख्याल नही आया की यहाँ पर जब इतने पेड काटे जायेंगे तो उनकी भरपाई करने के लिए कुछ इन्तेजाम किये जाए ना तो कोई वहां ज़िम्मेदारी से काम कर रहा है ना ही कोई अफसर वहां पर जांच करने के लिए जाता है...
यह लोग सच्चे हिन्दुस्तानी होने के फ़र्ज़ का पूरी तरह से निर्वाह कर रहे है क्यूंकि हिन्दुस्तान में आज़ादी के बाद से एक कानून बना है जो कही लिखा नहीं गया लेकिन हर हिन्दुस्तानी अफसर को अच्छी तरह मालूम है की अगर किसी भी काम नए काम में कुछ कमाई हो सकती है तो उसे जल्दी से शुरू कराओ और बाद में कुछ भी हो जाए उसकी जांच पड़ताल मत करो...
लगे रहो हिन्दुस्तानियौं इसी तरह अगर काम करोगे तो ज़रूर हमारा देश एक ऊंचाई छुयेगा शाबाश ! लगे रहो !

गुरुवार, 10 जुलाई 2008

मैं आपके सवाल का जवाब ज़रूर दूंगा...

ab inconvenienti जी ने कहा की मैंने 'पोलिटिकली करेक्ट' होने के लिए अपने मन से कहा है लेकिन मुझे जो पता था वो मैंने बता दिया क्यूंकि कुरान को माइनो के साथ याद करना इतना आसान नही है..... लेकिन आपने कुरान और हदीस से जवाब माँगा है तो मैं आपको कुरान और हदीस से ही जवाब दूँगा..... और वो भी बहुत जल्द....!!!

मंगलवार, 8 जुलाई 2008

इस्लाम और मुसलमानों के बारे में बहुत ग़लतफ़हमियाँ है....

सबसे पहले आप सभी भाई बंधुओ का तहेदिल से शुक्रिया जिन्होंने मेरी पोस्ट को पढ़ कर अपने विचार प्रकट किए । मैं आप लोगो के विचारों की इज्ज़त करता हूँ ।

मैं आपके सब सवालों का जवाब दूंगा तो सबसे पहले रोहित त्रिपाठी जी के सवाल का जवाब दूंगा उन्होंने पुछा है की जितने आतंकवादी पकड़े गए वो सब मुसलमान क्योँ है?

पहली बात क्या आपको यकीन है की जो लोग पकड़े गए वो असलियत में आतंकवादी थे या बेकुसूर थे? आपने उनके कुसूरवार होने का फ़ैसला कैसे कर दिया? चलिए मैं मानता हूँ की सब गुनाहगार थे तो उन्होंने जो हमले किए उन हमलो में मरने और घायल होने वाले सब लोग हिंदू थे? उसमे कोई मुसलमान नही था? या जिन लोगो का नुक्सान हुआ था उसमे से कोई मुसलमान नही था? और अगर नही था तब भी मैं पूछता हूँ उसमे सारी दुनिया के मुसलमानों का क्या कसूर?
अगर एक घर के पाँच बेटो में एक बेटा गुंडा बन जाए और बाकी सब डॉक्टर, साइंटिस्ट, वगेरह हो तो क्या उस गुंडे के कर्मो की सज़ा कानून सारे बेटो को देगा? नही जिसने जो कर्म किए उसकी सज़ा सिर्फ़ उसे ही मिलनी चाहिए । आतंक्वादियौं का कोई धर्म - ईमान नही होता है ।

संजय शर्मा जी गुप्ता जी और मेरी बात में एक फर्क है जिस वजह से मुझे लिखना पड़ा वो बात थी की उन्होंने सिर्फ़ हिंदू धर्म की बात की थी बाकी और धर्मो की नही मैंने तो बस उनकी बात को थोड़ा सा सही किया है और कुछ उन्होंने कहा की हिंदू धर्म में किसी से नफरत करना नही सिखाया जाता है तो मैंने बता दिया की दुनिया के किसी धर्म में यह नही सिखाया जाता है.....रही बात काफिर के साथ क्या करना चाहिए तो कुरान में है की काफिर को इस्लाम की दावत दो लेकिन सिर्फ़ ज़बान से....उसके साथ कोई ज़बरदस्ती नही करना और ना ही उसको इस्लाम कुबूल करने के लिए मजबूर कीजिये।

राज भाटिया जी आप मेरे बड़े है मैं आपकी बात की इज्ज़त करता हूँ लेकिन मैं आपको बात को सही करना चाहूँगा की काफिर का मतलब नास्तिक नही होता है क्यूंकि नास्तिक किसी भगवान् में यकीन नही करता है। और काफिर का मतलब होता है इनकारी.....जिसने अल्लाह के हुक्म से इनकार किया, मोहम्मद साहब को अल्लाह का संदेशवाहक नही माना, उनकी बात पर यकीन नही किया, उसे काफिर कहते है

सुनील डोगरा जालिम जी मैंने उनकी उम्र पर कोई टिप्पणी नही की थी दरअसल मैंने उनकी उम्र इसलिए बताई थी क्यूंकि इतनी दुनिया देखने के बावजूद उन्होंने इस तरह की टिप्पणी की ।

ab inconvenienti जी यहूदियों ने अल्लाह के संदेशवाहक हजरत उजैर को खुदा का बेटा करार दे दिया इसलिए उनको काफिर कहा जाता है और अल्लाह की कोई औलाद नही है । काफिर के प्रति सच्चे मुसलमान के कर्तव्य यह है की वो उसको इस्लाम की दावत दे मगर सिर्फ़ जुबां से, उसे इस्लाम की खुबियौं के बारे में बताये, उससे नफरत ना करे, उसे किसी भी तरह का नुक्सान पहुचाने की कोशिश भी ना करे, उसके साथ किसी भी तरह की ज़ोर- ज़बरदस्ती ना करे, ना उसको इस्लाम कुबूल करने को मजबूर करे .

अगर किसी भाई के मन में कोई सवाल हो तो वो बेझिझक पूछ सकता है...
तो मेरी आप सब लोगो से गुजारिश है की हिंदू - मुस्लिम के झगडे से दूर रहे और सगे भाइयो की तरह रहे और हाथ से हाथ मिला कर हिन्दुस्तान को नई ऊंचाई पर ले जाए..... जय हिंद

सोमवार, 7 जुलाई 2008

हिन्दू - मुस्लिम के झगडे से हम दूर रहे तो ही अच्छा है....

सुनील डोगरा जी ने एक जुलाई को एक पोस्ट लिखी थी काश ! मैं मुसलमान होता... वो उन्होंने बहुत अच्छा लिखा था और उनकी प्रश्न भी सही था लेकिन उस पोस्ट पर सुरेश चंद्र गुप्ता जी ने जो टिप्पणी दी मैं उससे बिल्कुल भी सहमत नही हूँ ।

सुरेश जी जो ६१ वर्ष के हैं उनसे ऐसी टिप्पणी की उम्मीद नही थी.....

शायद उनको काफिर का मतलब नही पता है ठीक है तो मैं उनको बताता हूँ क्यूंकि मैंने मुसलमानों को बहुत करीब से देखा है.
काफिर का मतलब होता है :- इन्कारी . जो अल्लाह के वजूद से इनकार करता है और जो हर हिंदू करता है तो मेरे हिसाब से किसी हिंदू को काफिर कहने में कोई बुराई नही है और रही बात हिंदूं पर हमला करने की तो मैं आपको बता दूँ इस्लाम या दुनिया के किसी भी धर्म में यह नही सिखाया गया है किसी दुसरे धर्म के लोगो की जान लो....

बल्कि हर धर्म में यह बताया गया है की सब के साथ मिल कर रहो और अगर तुम्हारे ऊपर कोई हमला करता है तो उससे अपने धर्म और अपने लोगो की रक्षा करो....जो हर आदमी करता है...

सुरेश चंद्र जी ने अपनी प्रोफाइल में इंटेरेस्ट कालम में लिखा है की Let us take our country on path to top तो क्या हमारा इंडिया ऐसे टॉप पर जायेगा जब हम हिंदू - मुस्लिम के झगडे में पड़े रहेंगे तो कहाँ से तरक्की करेंगे???
हम लोग फिर वही गलती कर रहे हैं जो हमारे बडों ने की तभी तो वो अँगरेज़ हमारे ऊपर २०० - २५० साल तक राज करके चले गए अगर इसी तरह से यह सब चलता रहा तो फिर कोई हमारे ऊपर राज करने लगेगा.....

अरे हमेशा से मुसलमान यहाँ रहते आ रहे है तो फिर क्या परेशानी है वो हमारे भाई है और भाई से हमेशा मोहब्बत की जाती उससे लड़ा नहीं जाता है क्यूंकि भाई से लड़ने में हमेशा नुक्सान ही होता है...

तो अगर हम सब अपने हिन्दुस्तान को टॉप पर देखना चाहते है तो हमें सब धर्म के लोगो को साथ लेकर चलना होगा जब सब लोग हाथ में हाथ लेकर चलेंगे तभी हमारा देश एक नयी ऊंचाई पर पहुचेगा

गुरुवार, 3 जुलाई 2008

रियलिटी शोज़ का तमाशा

हमारे हिन्दुस्तान में भेड़ चाल बहुत मशहूर है । बिल्कुल यही हो रहा हो रियलिटी शोज़ में..... अब हिन्दुस्तान में कोई भी डॉक्टर या इंजिनियर नही बनना चाहता है सब लोग सिंगर, डांसर, और ऐक्टर बनना चाहते है .....पहले तो इसमे सिर्फ़ बालिग़ ही शामिल थे लेकिन अब इसके अंदर बच्चे, बड़े बुजुर्ग और परिवार भी शामिल होने लगे हैं



टीवी चैनल्स की पैसा कमाने की हवस ने हिन्दुस्तान का मुस्तकबिल को मुश्किल में डाल दिया है । अब सब का दिमाग सिर्फ़ इसी चीज़ पर लगा हुआ है की हम कब कैसे किसी रियलिटी शो का हिस्सा बने लेकिन वो लोग उन लोगो का अंजाम भूल गए है लोग इन शोज़ का हिस्सा बन चुके हैं .....



Indian Ideol 1 के विजेता अभीजीत सावंत, रनर उप अमित साना,

Gurukul की विजेता जोड़ी काजी तौकीर और रुकमनी,

Indian Ideol 2 के विजेता संदीप,



बहुत लम्बी लिस्ट है साहब मैं कहाँ तक लिखूंगा क्या आप लोगो ने इन लोगो में से किसी भी सिंगर का गाना बॉलीवुड की किसी मूवी में पिछले एक या दो साल में सुना हो तो मुझे कृपया बता दे ......





हिन्दुस्तान के लोगो अब भी जाग जाओ आप लोग जानते हो की जब आप इन शोज़ में में वोट करते हो तो उनकी कितनी कमाई होती है एक संदेश से जो आप लोग भेजते हो मैं बताता हूँ.......



एक संदेश की कीमत आपसे आपकी मोबाइल कंपनी पाँच रूपये लेती है, उन पाँच रुपयों में से २ रूपये मोबाइल कंपनी को मिलते हैं और बाकी के तीन रूपये उस शो को कराने वाले लोगो को मिलते है और आप लोगो को क्या मिलता है कुछ नही, कुछ भी नही सिवाए इसके की आपका प्रतिभागी के खाते में एक वोट लिख जाता है ।



अब भी वक्त है क्योँ अपना कीमती पैसा, वक्त, इन बेकार चीजों में बरबाद कर रहे हो और साथ में अपने बच्चो का मुस्तकबिल बरबाद कर रहे हो ।

बुधवार, 2 जुलाई 2008

सुबह बहुत महंगी हो गयी है.....

अपनी सुबह तो बहुत महंगी हो गयी है भाई लोगो । महंगाई के असर का दायरा बढ़ रहा है, बाथरूम में घुसने पर ही मंहगाई का एहसास होने लगा है । टूथपेस्ट का दाम तीन - पांच रूपये बढ़ गया है । साबुन की टिकिया जल्दी घिसने लगी है । कीमत वहीहै लेकिन वज़न कम हो गया है । जिसका वज़न नहीं बदला उसका भाव एक - तीन रूपये बढ़ गया है । बाथ लेकर बहार निकले तो चार रूपये महंगी हो गयी क्रीम मूंह चिढाती है उसके बाद सौ एम एल पर तीन रूपये महंगा हुआ तेल ।
नाश्ते की मेज़ पर करीब ६ रूपये महंगा हो चूका दूध दिखने के बाद दूध पीने की इच्छा नहीं होती है वहीँ महंगे हुए ब्रेड पर महंगा हुआ मक्खन ढंग से लग भी नहीं पाताकापसे धोने वाला २५० ग्राम का साबुन २२ रूपये का हो गया है । कपड़ो को कड़क बनाये रखना चार रूपये महंगा हो गया है तो उसमे चमक बनाये रखना तीन रूपये । महंगाई के बोझ टेल आम आदमी पिसता जा रहा है ।
हर जगह महंगाई थोडी - थोडी बढ़ी है लेकिन मिलकर ज्यादा बढ़ी हो गयी है । वहीँ अनाज की कीमतों में तेजी रुकी नहीं बढ़ी है । अरहर दाल महारानी ४६ -४८ रूपये पर पहुच गयी है तो फूल दाल ४४ के भाव पर है । चावल को मानो पंख लग गए हो, रत्ना परमल फूटकर में १८ रूपये किलो के भाव पर आ गया है । मंहगाई ने बजट बिगाड़ दिया है ।

मंगलवार, 1 जुलाई 2008

काफी दिनों के बाद आज पोस्ट लिख रहा हूँ

आज काफ़ी दिनों के बाद पोस्ट लिख रहा हूँ । पिछले ७ - ८ दिन से बीमार था आज तबियत ठीक हुई है तो ब्लॉग पर वापस आया हूँ तो कुछ अच्छा लग रहा है बगैर ब्लॉग लिखे दिल को सुकून नही मिलता है ।
मेरी आखिरी पोस्ट को कुछ लोगो ने पसंद किया तो अच्छा लगा .
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