tag:blogger.com,1999:blog-1246428020717928322.post3974628306564936758..comments2024-02-18T13:41:34.117+05:30Comments on "हमारा हिन्दुस्तान"...: बदलती भारतीय सभ्यता... टी-शर्ट पर अश्लील और व्यस्क सन्देश... सही या गलत?? Adult And Porn Messages On T-Shirt's... Indian Culture Is Changing... Right Or Wrong??काशिफ़ आरिफ़/Kashif Arifhttp://www.blogger.com/profile/09323578684464948830noreply@blogger.comBlogger18125tag:blogger.com,1999:blog-1246428020717928322.post-1392339316510535332009-11-08T18:56:06.949+05:302009-11-08T18:56:06.949+05:30आप लोगो का बहुत बहुत शुक्रिया मेरी बात से सहमती जत...आप लोगो का बहुत बहुत शुक्रिया मेरी बात से सहमती जताने और मेरा सहयोग करने के लिये..!!!काशिफ़ आरिफ़/Kashif Arifhttps://www.blogger.com/profile/09323578684464948830noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1246428020717928322.post-51031176614696644512009-11-06T23:23:06.627+05:302009-11-06T23:23:06.627+05:30काशिफ़ आपने बहुत सही मुद्दा उठाया है... बिल्कुल ऐसा...काशिफ़ आपने बहुत सही मुद्दा उठाया है... बिल्कुल ऐसा ही एक सन्देश मेरी सहेली की टी-शर्ट पर लिखा था... <br /><br />COME HERE I'm ALWAYS READY FOR WHOLE NIGHT...<br /><br />ये सन्देश पढने के बाद एक लडके ने उसे वाकई में बुलावा दे दिया था...प्रिया शर्माhttps://www.blogger.com/profile/09223017402161548363noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1246428020717928322.post-47938232512519412592009-10-28T19:10:06.346+05:302009-10-28T19:10:06.346+05:30hum log virodh karne ke liye hain...ek-ek karke sa...hum log virodh karne ke liye hain...ek-ek karke sabko virodh karna padegaकाशिफ़ आरिफ़/Kashif Arifhttps://www.blogger.com/profile/09323578684464948830noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1246428020717928322.post-1750482586726990002009-10-05T10:36:23.250+05:302009-10-05T10:36:23.250+05:30पश्चिम की नक़ल मैं आकंठ डुबे भारत तो अब pornograph...पश्चिम की नक़ल मैं आकंठ डुबे भारत तो अब pornography आदि को सही मानाने लगा है | विरोध करेगा कौन ?Rakesh Singh - राकेश सिंहhttps://www.blogger.com/profile/03770667837625095504noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1246428020717928322.post-71418843666795522652009-10-05T09:50:38.779+05:302009-10-05T09:50:38.779+05:30आरिफ साहब, बहुत सटीक और एक बुराई ( मैं तो कम से कम...आरिफ साहब, बहुत सटीक और एक बुराई ( मैं तो कम से कम बुराई ही कहूंगा) की और लोगो का धयन अक्षित किया इसके लिए बधाई ! मै हमेशा इस तरह के सार्थक प्रयासों की सराहना करता हूँ ! क्या करे <br />राम चन्द्र कह गए सिया से ऐसा कलयुग आयेगा...................!पी.सी.गोदियाल "परचेत"https://www.blogger.com/profile/15753852775337097760noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1246428020717928322.post-63338329619302548972009-10-05T08:59:41.722+05:302009-10-05T08:59:41.722+05:30niceniceRandhir Singh Sumanhttps://www.blogger.com/profile/18317857556673064706noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1246428020717928322.post-74692982776005732892009-10-05T08:52:15.725+05:302009-10-05T08:52:15.725+05:30और जो इन लोगों को टोकेगा ये लोग उन्हें रुढ़ीवादी क...और जो इन लोगों को टोकेगा ये लोग उन्हें रुढ़ीवादी कहकर हँसी में उड़ा देंगे आखिर है तो यह २१वी सदी की नई पीढ़ी।विवेक रस्तोगीhttps://www.blogger.com/profile/01077993505906607655noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1246428020717928322.post-91424261739623412602009-10-05T00:09:05.217+05:302009-10-05T00:09:05.217+05:30काशिफ जी नमस्कार,आज पहली बार आपके ब्लॉग पर आना हुआ...काशिफ जी नमस्कार,आज पहली बार आपके ब्लॉग पर आना हुआ...अब लगता है कि बार-बार आना पड़ेगा...आपने बहुत ही महत्वपूर्ण मुद्दे को उठाया है...इसके लिए आप बधाई के पात्र हैँ...<br /><br />मेरा मानना है कि पश्चिम के अन्धानुकरण की वजह से ऐसा हो रहा है...टी.वी चैनलों पर सरकार की कोई बन्दिश नहीं है...जो चीज़ पहले छुपे तौर पर उपलब्ध रहा करती थी...अब खुलेआम उनके बाज़ार लगने शुरू हो गए हैँ।एफ.एम रेडियो स्टेशनों से ऐसी-ऐसी बातें कही जाती हैँ कि आप परिवार के साथ बैठ के उन्हें सुन भी नहीं सकते।मेरे हिसाब से निजीकरण की प्रक्रिया भी एक हद तक इसके लिए जिम्मेदार है।प्राईवेट कम्पनियों का सामाजिक सरोकारों से कोई लेना-देना नहीं होता...उनका मुख्य ध्येय...असली मकसद बस पैसा कमाना होता है..इसलिए वो पापुलर होने का आसान रास्ता चुनती है क्योंकि वो भली भांति जानती हैँ कि लोगों को बिगाड़ना ज़्यादा आसान होता है बजाए इसके कि उन्हें सुधारनाराजीव तनेजाhttps://www.blogger.com/profile/00683488495609747573noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1246428020717928322.post-33029003461548842732009-10-04T22:28:15.356+05:302009-10-04T22:28:15.356+05:30परसों ही मैंने सरोजिनी मार्केट में एक लड़के को एक ट...परसों ही मैंने सरोजिनी मार्केट में एक लड़के को एक टी शर्ट पहने देखा जिसपर लिखा था - 'HEY GIRLS, FUCK U ALL. WE'RE FROM TEXAS'<br /><br />क्या ये लड़के ऐसे टी शर्ट पहनकर अपनी बहनों के सामने भी जाते होंगे?निशांत मिश्र - Nishant Mishrahttps://www.blogger.com/profile/08126146331802512127noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1246428020717928322.post-76717716850803976432009-10-04T21:12:41.846+05:302009-10-04T21:12:41.846+05:30बहुत ही गंभीर मुद्दा उठाया भाई, गंभीर इतना कि पहले...बहुत ही गंभीर मुद्दा उठाया भाई, गंभीर इतना कि पहले चटका लगाया फिर पढ़ा.<br />ख़ैर, काशिफ भाई होता ये है कि भारतीय समाज का जो परिवेश है, फैशन है और जो व्यक्तिगत नैतिकता है वह वह अपने निम्नतम स्तर से भी ज्यादा गिर चुकी है. अब तो धर्म के नाम पर नग्नता हो रही है, फिर चाहे वो कोई धार्मिक टीवी सीरियल हो या मूवी.<br /><br />एक तरफ़ घर का मुखिया अपने कार्यालय में दिन भर रिश्वत, साइड मनी, नंबर दो की कमाई (हराम कमाई) करने में ही बिज़ी रहता है तो उस घर की श्रीमती जी के भी अपने पुराने बयाने (2) रहते है? उधर नई पीड़ी पर अब बिलकुल भी जोर नहीं रह गया या यों कहें कि खास कर लड़कियों पर किसी भी तरह का अनुशासन अब मान्य नहीं रहा (महिला सशक्तिकरण का जो सवाल है)..और इसके कई फ़ायदे है (आपने सुना होगा कीचड़ से कीचड़ धोना, कुछ उसी तरह का फायेदा) अगर लड़कियां इसी तरह से स्वछन्द होकर लेख में दर्शाए गए चित्र वाली टी शर्त आदि पहन रहीं है तो इसका एक फायेदा भी है, फायेदा यह है कि समाज में जो दहेज़ का दानव है उससे निजात भी मिल रही है. अब आप सोच रहे होंगे वो कैसे तो मैं आपको बताता हूँ. बहार इतनी स्वच्छन्दता से रहने पर कोई भजन तो जायेगा नहीं, ज़ाहिर सी बात है कोई दोस्त साथी ऐसा भी मिलेगा जो जीवन साथी बन जाने तक की नौबत तक पहुँच ही जायेगा. तो घर वाले (फ़र्जी ही) नाराज़ होंगे और बिना दहेज़ की शादी भी हो जायेगी. फिर शादी के बाद मान जायेंगे. तो यह एक कटु सत्य ही है (जो सर्वे से आप स्वयं अपने स्तर पर ही सिद्ध कर लेंगे) पता करके देखिये...Saleem Khanhttps://www.blogger.com/profile/17648419971993797862noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1246428020717928322.post-71990341342940972792009-10-04T21:00:39.928+05:302009-10-04T21:00:39.928+05:30काशिफ़ तुम अकसर कहते थे की मेरा ब्लोग पढों लेकिन मै...काशिफ़ तुम अकसर कहते थे की मेरा ब्लोग पढों लेकिन मैने कभी नही पढा........<br /><br /><b>आज पहली बार पढा है लेकिन सच कहूं मैं पिछ्ले दो घण्टे से तुम्हारे दोनों ब्लोग पढ रही हूं...........हर लेख ऐसा लिखा है की मुझे कमेंण्ट करने को मजबुर हो गयी...........<br /><br />हम सब दोस्त तेरा मज़ाक बनाते थे "की क्या ब्लोगिंग मे लगा रहता है"<br /><br />लेकिन अब एहसास हुआ की तुम बहुत अच्छा काम कर रहे हो....मेरी बधाई स्वीकारो......बहुत अच्छा लिखते हो.....मैं ये बात कमेंण्ट में इसलिये लिख रही हूं की ताकि तुम्हारे ब्लोग के पाठक इस बात को पढें और याद रखें की<br /><br />"कभी बगैर इन्सान की ताकत और कैपासिटी जाने बगैर उसका मज़ाक ना बनाया करें.....<br /><br />मैंरे मज़ाक बनाने से तुम्हे जो तकलीफ़ पहुंची हो उसके लिये मैं तुमसे माफ़ी मांगती हूं....<br /><br />बस ऐसे ही लिख्ते रहो बिल्कुल बिन्दास अब रुकना नही </b>Kehkashanhttps://www.blogger.com/profile/12235746585399096948noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1246428020717928322.post-35176324744900351682009-10-04T20:55:36.268+05:302009-10-04T20:55:36.268+05:30सहमत हूं आपसे।सहमत हूं आपसे।Anil Pusadkarhttps://www.blogger.com/profile/02001201296763365195noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1246428020717928322.post-5294220736364685082009-10-04T19:46:58.354+05:302009-10-04T19:46:58.354+05:30काशिफ़ जी आपकी बात सही है हम लोग पश्चिमी सभ्यता को ...काशिफ़ जी आपकी बात सही है हम लोग पश्चिमी सभ्यता को अपनाने में इतने पागल हो गये है की कुछ भी नही सोच रहे है बस अन्धों की तरह दौड रहे है....<br /><br />इस तरह के सन्देश मैनें भी पढे है और कभी-कभी शर्म की वजह से आखें नीची करनी पडती है....Kehkashanhttps://www.blogger.com/profile/12235746585399096948noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1246428020717928322.post-38887307230281552872009-10-04T19:28:05.640+05:302009-10-04T19:28:05.640+05:30काशिफ जी, मैं आपसे सहमत हूँ. यह पूरी तरह से सार्वज...काशिफ जी, मैं आपसे सहमत हूँ. यह पूरी तरह से सार्वजानिक स्थान पर अश्लील व्यवहार करने जैसा ही है. न सिर्फ सरकारी तंत्र को इस पर रोक लगानी चाहिए बल्कि सामाजिक रूप से भी इसका विरोध होना चाहिए.<b> यह न तो कोई फैशन है न ही आधुनिक संस्कृति. यह सिर्फ लोकतान्त्रिक व्यवस्था में प्राप्त स्वतंत्रता का बेजा उपयोग, समाज के नियमों को धता बताने की कुंठित मानसिकता का तोष और बहुराष्ट्रीय कंपनियों द्वारा इस मानसिकता का दोहन करते हुए धन कमाने की लिप्सा का परिणाम है.</b> इसके लिए वो माँ - बाप दोषी है जो बच्चों को सही संस्कार देने का वक़्त नहीं निकालते और बच्चों के प्रति अपनी जिम्मेदारी को पैसे उपलब्ध कराकर इतिश्री मान लेते हैं. दोषी समाज भी है जो इसका मुखर विरोध नहीं करता और इस संत्रास को मौन रहकर झेलते हुए पोषित करता है फिर अंततः समर्पण कर देता है.निशाचरhttps://www.blogger.com/profile/17104308070205816400noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1246428020717928322.post-67836377315888551792009-10-04T19:10:02.201+05:302009-10-04T19:10:02.201+05:30सूक्ष्म अन्वीक्षण बुद्धि और दृष्टि। हम क्या थे और ...सूक्ष्म अन्वीक्षण बुद्धि और दृष्टि। हम क्या थे और क्या हो गए? जिन बुराइयों को मिटाना चाहिए उन पर ध्यान ही नहीं देते सिर्फ पश्चिमी अंधानुकरण में पिले पड़े हैं। यह भी नहीं सोच पाते कि नकल करने वाला हमेशा पीछे ही रहता है। उसकी अपनी कोई पहचान नहीं होती।वेद रत्न शुक्लhttps://www.blogger.com/profile/07181302813441650742noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1246428020717928322.post-67584029510524727042009-10-04T18:57:08.640+05:302009-10-04T18:57:08.640+05:30पश्चिम की अंधी नकल, अति-उदारता, कथित अभिव्यक्ति की...पश्चिम की अंधी नकल, अति-उदारता, कथित अभिव्यक्ति की स्वतन्त्रता और युवाओं में बढ़ती अनुशासनहीनता और उच्छृंखलता सबका मिला-जुला परिणाम है, यदि कहीं से विरोध शुरु भी किया जाये तो उस विरोध को दबाने वाले भी उससे अधिक आ जाते हैं…Anonymoushttps://www.blogger.com/profile/02326531486506632298noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1246428020717928322.post-34358690773321051832009-10-04T18:43:14.179+05:302009-10-04T18:43:14.179+05:30मितलेश जी, आप सही कह रहे है हम एक दुसरे में कमियां...मितलेश जी, आप सही कह रहे है हम एक दुसरे में कमियां ढूढ्ने मे इतने वय्स्त है की कुछ याद ही नही हैकाशिफ़ आरिफ़/Kashif Arifhttps://www.blogger.com/profile/09323578684464948830noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1246428020717928322.post-51312746680991516432009-10-04T17:21:53.723+05:302009-10-04T17:21:53.723+05:30आपसे बिल्कुल सहमत हूँ। इस तरह की कोई भी घटना हमारे...आपसे बिल्कुल सहमत हूँ। इस तरह की कोई भी घटना हमारे समाज के लिए बिल्कुल सही नहीं । हम भारतीयो को हमारे संस्कृति को लेकर ज्यादा जाना जाता है लेकिन हम उसे भुलते जा रहे है। और अगर देखा जाये तो इसका एक सबसे बड़ा कारण सांप्रदायिकता भी है। हम हमेशा एक दूसरे की गलतिया ढ़ुढने मे लगे रहते है और जो हमे और हमारे संस्कृति को नष्ट कर रहा है ऊसपर हमारी निगाह ही नहीं पहुचती।Mithilesh dubeyhttps://www.blogger.com/profile/14946039933092627903noreply@blogger.com