रविवार, 20 जुलाई 2008

हजारों पेडों की बलि दे दी गई.....

पिछले ६ महीने से नेशनल हाईवे अथॉरिटी ऑफ़ इंडिया ने कुछ शहरों के हाईवे को डबल लेन करने का काम शुरू किया है .......इन दिनों फैजाबाद -- लखनऊ, लखनऊ -- कानपूर, मुज़फ्फरनगर -- मेरठ, के हाईवे बन रहे है
यहाँ पर हाईवे को डबल लेन करने के लिए हजारो हरे भरे पेडो को काट दिया गया, मुझे इस चीज़ से ऐतराज़ नही है क्यूंकि वहाँ रोड को चौडा करना ज़रूरी था उन सडको पर यातायात की परेशानी बहुत बढ़ गई थी लेकिन उन पेडो को काटने के बाद पर्यावरण का जो नुकसान हुआ है उसकी भरपाई करने के लिए उन लोगो ने कुछ नही किया....
या फिर जो वो कर रहे है उसके प्रति वो बिल्कुल भी गंभीर नही है.......सब जगह लगभग 50 प्रतिशत तक काम हो चुका है और जहाँ पर काम हो चुका है वहाँ पर इन लोगो ने रोड के बीच में divider बनाये है जिनकी चौडाई २.५ फीट से लेकर ३.५ फीट तक है कही -- कहीं पर इसकी चौडाई काफ़ी कम है....
इन dividers में लगभग १.५ से २ फीट तक मिट्टी भरी जा रही है ताकि इसमे पेड़ लगाये जा सके लेकिन मिटटी भरते वक्त कोई भी इस चीज़ पर गौर नही कर रहा है की उस जगह पर जहाँ मिटटी भरनी है वहाँ पेड के जड़ पकड़ने के लिए ज़मीन ठीक है या नही?
मैं आप लोगो को बताता हूँ उन Dividers के बीच में जहाँ पर वो लोग मिटटी डाल रहे है उनके नीचे ज़मीन नही बल्कि ठोस पत्थर और कंक्रीट भरी हुई है जो उन्होंने सड़क बनने के लिए डाली थी....और जब divider बनाया तो उसके अंदर भी वही कंक्रीट और पत्थर आ गए और किसी ने भी इस तरफ़ गौर नही किया ।
यह तस्वीर मुज़फ्फरनगर -- मेरठ के बीच के इसमे मिटटी में मिली कंक्रीट साफ़ दिख रही है .

मैंने इन साइट्स पर मौजूद engineers से बात की तो पहले कोई भी बात करने को राज़ी नही हुआ और जो राज़ी हुआ वो ठीक से जवाब नही दे पाया के इस मिटटी के नीचे क्या है....फिर एक Asst। Engineer ने नाम नही बताने की शर्त पर बताया की हमने किसी भी divider के बीच से कंक्रीट नही निकाली है और जो जैसा था बस उसी में हमने मिटटी डलवा दी तो हमें नही पता की कहाँ पर कितनी कंक्रीट है पेड लगाने के बाद ठीक से जड़ पकड़ पायेगा या नही ।
यह बरसात का मौसम जो की एक नए पौधे के लिए सबसे अच्छा मौसम होता है अपनी जड़ पकड़ने के लिए ....लेकिन मैं जहाँ भी गया वहाँ divider बने हुए तो काफ़ी वक्त हो गया है लेकिन अब तक पेड नही लगाये गए है मैंने कुछ तस्वीरे भी ली है यह दिखाने के लिए की divider बन जाने के बावजूद वहाँ पर पढ़ नही लगाये गए है ।
अब आप लोग ही जवाब दे की एक तरफ़ तो हम ग्लोबल वार्मिंग का शोर मचा रहे है, पर्यावरण को बचाने की लोगो से गुहार लगा रहे है, हमारी सरकार पर्यावरण को बचाने के इतने कानून बना रही है लेकिन इतना बड़ा काम करवाते वक्त किसी को इतना ख्याल नही आया की यहाँ पर जब इतने पेड काटे जायेंगे तो उनकी भरपाई करने के लिए कुछ इन्तेजाम किये जाए ना तो कोई वहां ज़िम्मेदारी से काम कर रहा है ना ही कोई अफसर वहां पर जांच करने के लिए जाता है...
यह लोग सच्चे हिन्दुस्तानी होने के फ़र्ज़ का पूरी तरह से निर्वाह कर रहे है क्यूंकि हिन्दुस्तान में आज़ादी के बाद से एक कानून बना है जो कही लिखा नहीं गया लेकिन हर हिन्दुस्तानी अफसर को अच्छी तरह मालूम है की अगर किसी भी काम नए काम में कुछ कमाई हो सकती है तो उसे जल्दी से शुरू कराओ और बाद में कुछ भी हो जाए उसकी जांच पड़ताल मत करो...
लगे रहो हिन्दुस्तानियौं इसी तरह अगर काम करोगे तो ज़रूर हमारा देश एक ऊंचाई छुयेगा शाबाश ! लगे रहो !

3 टिप्‍पणियां:

  1. बहुत सही मुद्दे को पकड़ा आपने....पेड़ लगाने के नाम पर हर जगह खानापूर्ति ही की जा रही है...और पेड़ काटने के बाद जो इमारती लकड़ी निकलती है उसका पैसा कहां जा रहा है

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  2. बहुत खूब, सचमुच पेडों की जरूरत है. मैं कहता हूँ की जोश के साथ इन विचारों को जरी रखो और जमीनी पटल पर भी उत्तारो
    शुभकामनायें

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  3. आप लोगों का बहुत बहुत शुक्रिया मेरे ब्लोग पर आने और अपने विचार रखने के लिये

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काशिफ आरिफ

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