मंगलवार, 24 फ़रवरी 2009

१८ वां ताज महोत्सव २००९ -- परेशान महोत्सव

१८ वां ताज महोत्सव २००९ हमेशा की तरह इस साल भी "ताज महोत्सव" अपने तय समय के मुताबिक १८ - २७ फरवरी तक के लिए लगा है, ताज महोत्सव के हालत साल दर साल बिगड़ते जा रहे हैं, बहुत बुरा हाल कर रखा है, जनता परेशान है, विदेशी नागरिक परेशान है, होटल व्यवसायी परेशान है,......

सबसे पहले जनता की बात करते है, ताज महोत्सव जिस तरह से लगाया जाता है उसके मूल रूप मे अब बदलाव कर दिया गया है, वो बिल्कुल भूल भुलैया बन चुका है सब रास्ते घुमा फिरा कर दे दिए गए हैं, कहीं जाने के लिए सीधा रास्ता नहीं है, अगर आपको झूलो तक जाना है तो आपको एक नई बनी बिल्डिंग मे से घुमते हुए जाना होगा जहाँ पर इतना पतला रास्ता है की आप बगैर किसी के जिस्म को छुए वहां से नही निकल सकते है क्यूंकि इन दिनों वहां पर बहुत भीड़ होती है, चलने के लिए जगह नही है वहां मैं कल गया था वहां पर बुरा हाल हो गया जा कर...

अब बात आती है विदेशी नागरिको की जिनको जानकारी ही नहीं है की आगरा मे कोई ताज महोत्सव भी लगता है कोई विज्ञापन नही है, ताज महोत्सव की वेबसाइट का किसी भी जगह विज्ञापन नही है, मुझे गूगल से सर्च करने के बाद ताज महोत्सव की वेबसाइट मिली है....अगर भूले से भी अगर कोई विदेशी वहां आ जाता है तो थोडी ही देर मे वापस चला जाता है क्यूंकि उसकी मदद के लिए वहां पर कोई भी मौजूद नही है, न ही कोई इन्फोर्मेशन सेण्टर है, न ही कोई ट्रांसलेटर, वो बेचारा वहां धक्के खाने के बाद वापस चला जाता है,

किसी भी होटल व्यवसायी के पास कोई विज्ञापन या पेम्पलेट नही है की जिससे वो विदेशी नागरिको को कुछ जानकारी दे सके, मांगने पर भी कोई जवाब नही मिलता है हमारे अधिकारियौं से सब हाँ, हूँ, करके टाल देते हैं, यहाँ तक आगरे मे भी ताज महोत्सव के पोस्टर १५ फ़रवरी के बाद लगे हैं, और यहाँ तक है की मुझे भी नही पता है की बाकी के दिनों कौन - कौन से कलाकार आने वाले हैं ताज महोत्सव मे,

जब यह हालत है तो आप अंदाजा कर सकते हैं, की हमारे आगरे की सभ्यता और लोगो तक कैसे पहुचेगी न वहां पेठा मिल रहा है, न वहां मुगलई पराठे हैं, आगरा की किसी परम्परा का नामो - निशान नही है.....

अब आप ही बताये की यह ताज का महोत्सव कैसे हुआ?

रविवार, 22 फ़रवरी 2009

हिन्दी ब्लॉग्गिंग किसके लिए है?........

आज से ३ दिन पहले नटखट बच्चे ने एक पोस्ट लिखी थी की " हिन्दी ब्लॉग्गिंग लौंडो -लापाडो के लिए नही है"
उसको १५ कमेन्ट मिले उनसे लोगो ने जवाब माँगा था की आप बता दे किसके लिए हैं लेकिन उसने जवाब नही दिया । मैंने यह पोस्ट कल देखी थी तो सोचा के यह गहन विचार विमर्श का मसला है, क्यूंकि मैंने कई ब्लोग्स पर उम्र मे बडो लोगो को छोटो की खिचाई करते पाया, किसी कम उम्र के व्यक्ति के लिए ऐसा पढ़ कर थोड़ा बुरा लगता है.......

इसीलिए सोचा क्योँ न इस विषय पर विचार किया जाए, लोग कहते है की अक्ल उम्र और तजुर्बे के साथ आती है लेकिन अब यह सब बदल चुका है पहले इंसान की उम्र ९० -१०० साल हुआ करती थी इसीलिए उसका दिमाग एक वक्त के बाद अच्छा चलता था.....लेकिन अब इंसान की उम्र बहुत कम हो गई तो उसका दिमाग काफ़ी तेज़ी से काम करता है, आज कल के बच्चे के सामने आप कोई काम कर दीजिये वो फ़ौरन उसको दौराहेगा और एक - दो कोशिशों मे ही उसे ठीक से कर लेगा और हो सकता है की कुछ दिनों बाद वो उस काम को आप से अच्छी तरह और आप से जल्दी करने का कोई तरीका निकल ले.....

अब हर वक्त बन्ने वाले वर्ल्ड रिकॉर्ड बहुत जल्दी जल्दी टूट रहे हैं, और उनको तोड़ने वालो की उम्र भी पिछले रिकॉर्ड बनाने वाले से कम ही होती है,

मैं मानता हूँ की उम्र और तजुर्बे के साथ बहुत कुछ सीखता जाता है लेकिन आजके दौर के बच्चे काफ़ी मामलो मे बडो से काफ़ी आगे हैं, वो नई चीजों को काफ़ी तेज़ी से सीखते है, उनको जल्दी कुबूल करते है, इस्तेमाल करते है, और उन पर राय भी ज़ाहिर करते है, उनका हर चीज़ को देखने का नजरिया बिल्कुल अलग है.....

तो मेरे हिसाब से तो अगर बडो के पास उम्र और तजुर्बा है तो हमारे पास भी चीजों को देखने का अलग नजरिया है तो हिन्दी ब्लॉग्गिंग या कोई और काम "हम किसी से कम नही है"

शुक्रवार, 13 फ़रवरी 2009

मैंने अपना ब्लॉग वापस ले लिया है !!!

प्रिये दोस्तों और पाठको,

पिछले कुछ समय से मेरा यह ब्लॉग "हमारा हिन्दुस्तान" मेरे एक दोस्त के अधिकार मे था जिसने काफ़ी विवाद पैदा किए थे, वो न चाहते हुए भी विवादों मे पढ़ जाता था...

अब मेरे घर पर इन्टरनेट लग गया है इसीलिए मैंने अपना ब्लॉग उससे वापस ले लिया है तो कृपया करके इस ब्लॉग से ताल्लुक रखने वाली हर बात के लिए आप मुझसे संपर्क करे ....

मेरा ईमेल एड्रेस है :- kashifhotcolddrink@yahoo.co.in
kashifhotcolddrink@gmail.com

साभार
काशिफ आरिफ शम्सी
आगरा

सोमवार, 2 फ़रवरी 2009

सड़क और फुटपाथ को निगलते मंदिर और मज़ार....!!!!

आप लोग सोच रहे होंगा की मैं यह क्या लिख रहा हूँ? मुझे कोई और विषय नही मिला लिखने के लिए लेकिन इस पर लिखना ज़रूरी है क्यूंकि इस विषय पर आकर सब लोग रुक जाते है क्यूंकि यह धर्म से सम्बन्ध रखता है लेकिन जो गलत है वो ग़लत है और काशिफ हमेशा ग़लत के ख़िलाफ़ आवाज़ उठाएगा,

तो मैंने कुछ तस्वीरे दी है यहाँ पर जो मेरे शहर आगरा की हैं मैंने यहाँ उन मंदिरों और दरगाहों को तस्वीरे ली है जिनका क्षेत्रफ़ल उनके भक्तो की संख्या के साथ - साथ बढ़ता गया, और उन जगहों पर नाजाएज तरीके से सड़क और फुटपाथ पर कब्ज़ा कर लिया है.....



यह तस्वीर नाई की मंडी इलाके के अंतर्गत धाकरान चौराहे पर स्थित मन्दिर की है

इस मन्दिर के पास ही एक पीपल का पेड़ है, इस पेड़ के तने पर यह मन्दिर बना इसका मूल ढांचा तो सिर्फ़ उस पेड़ जितना ही हैं लेकिन इसके बनाने वालो ने सड़क के बीच के divider को घेर लिया था और वहां मन्दिर का आँगन बना दिया था, यह काफ़ी बड़े इलाके मे फैला हुआ था अभी कुछ साल पहले रोड को चौडा करने के के उस पुरे divider को तोड़ दिया गया लेकिन अब भी सड़क के बीचों बीच बना यह मन्दिर बहुत सारे ट्रैफिक जाम और दुर्घटनाओ की वजह बनता है...





नौ गज़े बाबा की दरगाह, नालबंद चौराहा, आगरा कॉलेज के सामने



यह तस्वीर आगरा कॉलेज के सामने स्थित नौ गज़े बाबा की दरगाह की है जो पुरी फुटपाथ पर बनी हुई है, यह काफ़ी पुरानी है तो मुझे इसका इतिहास नही पता है....लेकिन यह भी पुरी तरह फुटपाथ को घेर कर बनाई गई है....



यह दरगाह नौ गज़े बाबा की दरगाह के ठीक सामने है मुझे यह नही पता की यह किसकी है लेकिन यह बिल्कुल सड़क के बीचों बीच है यह इन तस्वीरो मे साफ़ दिखता है, इस दरगाह की वजह से सड़क पर इतनी जगह bachti है की एक वक्त मे एक कार और एक स्चूटर ही निकल सकता है, अब आप लोग अंदाजा लगा सकते है की यहाँ कितनी परशानी होती drive करने मे ........



साईं धाम, राजा मंडी चौराहा,
यह है हमारे आगरा का सबसे विवादित, जनता के सबसे ज़्यादा परेशानी खड़ा करने वाला मन्दिर लेकिन इसके भक्तो की संख्या भी इतनी ही ज़्यादा है,

इस साईं धाम की भी अजब ही कहानी आज से चार साल पहले जब मैं अपने ग्रेजुअशन का पहला साल पुरा करने के बाद अपने कॉलेज मे लगे बास्केटबौल के कैंप मे हिस्सा ले रहा था तब यहाँ पर कुछ भी नही था लेकिन एक दिन हम सुबह जब खेलने जा रहे थे तो हमने यहाँ साईं बाबा की मूर्ति रखी देखी, दुसरे दिन वहां एक शख्स पुजारी के कपड़ो मे बैठा हुआ था, कुछ दिन बाद मूर्ति के आसपास पत्थर का छोटा सा कमरा बन गया और साईं बाबा के लिए एक सिंघासन बन गया, फिर उनके भक्तो की संख्या दिन ब दिन बढती ही जा रही है, अब यह हालत है की जो शहर का सबसे संकरा चौराहा था अब वहां पर गुरूवार को चलने की भी जगह नही रहती है, अब वहां पूरा बाज़ार लगता है जिससे सड़क और पास ही बनी नगर निगम की पार्किंग पूरी भर जाती है, अब उस पूरी सड़क पर इन लोगो का कब्ज़ा है, हर गुरूवार को लोग उस मेन सड़क को छोड़ कर गलियों और बाजारों से जाना पसंद करते है, हमारे शहर की लाइफ लाइन महात्मा गाँधी रोड की हालत बहुत ख़राब हो गई है, हमारी सरकार भी इसमे चुप बैठी है क्यूंकि यह लोगो की आस्था से जुदा मामला है,


राजा की मंडी स्टेशन के सामने, लोहामंडी

यह दरगाह किसकी है पता नही लेकिन यह सड़क के बिल्कुल बीचों बीच बनी वो तो उस सड़क पर इतना यातायात नही वरना बहुत परेशानी हो जाती,
हनुमान मन्दिर, सेंत जॉन्स चौराहा
हमारे सेंत जॉन्स कॉलेज के सामने बना यह हनुमान मन्दिर जिसका क्षेत्रफ़ल दिन ब दिन बढ़ता जा रहा है इसमे हर वक्त कुछ न कुछ काम चलता रहता है, अब तो यह मन्दिर सड़क के बीच divider का काम करता है, यह सड़क के divider की सीध मे है, यहाँ आने वाले भक्तो की तादाद काफ़ी ज़्यादा है और अक्सर यहाँ पर भंडारे का आयोजन होता है तब पूरी सड़क और आसपास के इलाके को सजाया जाता है, कुछ लोगो इस पोस्ट को पढने के बाद मेरी बाद अपनी नाराज़गी ज़ाहिर करेंगे लेकिन इससे मुझे फर्क नही पड़ता क्यूंकि जो ग़लत है वो गलत है। मुझे मंदिरों से एतराज़ नही है लेकिन ग़लत तरीके से घेरे गई जगह से एतराज़ है।
रही बात मजारो की, वो तो हर लिहाज़ से ग़लत है क्यूंकि इस्लाम मे पक्की कब्र बनने की इजाज़त नही है, तो मजार का कोई मतलब ही नही बनता है...
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