आप लोग सोच रहे होंगा की मैं यह क्या लिख रहा हूँ? मुझे कोई और विषय नही मिला लिखने के लिए लेकिन इस पर लिखना ज़रूरी है क्यूंकि इस विषय पर आकर सब लोग रुक जाते है क्यूंकि यह धर्म से सम्बन्ध रखता है लेकिन जो गलत है वो ग़लत है और काशिफ हमेशा ग़लत के ख़िलाफ़ आवाज़ उठाएगा,
तो मैंने कुछ तस्वीरे दी है यहाँ पर जो मेरे शहर आगरा की हैं मैंने यहाँ उन मंदिरों और दरगाहों को तस्वीरे ली है जिनका क्षेत्रफ़ल उनके भक्तो की संख्या के साथ - साथ बढ़ता गया, और उन जगहों पर नाजाएज तरीके से सड़क और फुटपाथ पर कब्ज़ा कर लिया है.....
यह तस्वीर नाई की मंडी इलाके के अंतर्गत धाकरान चौराहे पर स्थित मन्दिर की है
इस मन्दिर के पास ही एक पीपल का पेड़ है, इस पेड़ के तने पर यह मन्दिर बना इसका मूल ढांचा तो सिर्फ़ उस पेड़ जितना ही हैं लेकिन इसके बनाने वालो ने सड़क के बीच के divider को घेर लिया था और वहां मन्दिर का आँगन बना दिया था, यह काफ़ी बड़े इलाके मे फैला हुआ था अभी कुछ साल पहले रोड को चौडा करने के के उस पुरे divider को तोड़ दिया गया लेकिन अब भी सड़क के बीचों बीच बना यह मन्दिर बहुत सारे ट्रैफिक जाम और दुर्घटनाओ की वजह बनता है...


नौ गज़े बाबा की दरगाह, नालबंद चौराहा, आगरा कॉलेज के सामने



यह तस्वीर आगरा कॉलेज के सामने स्थित नौ गज़े बाबा की दरगाह की है जो पुरी फुटपाथ पर बनी हुई है, यह काफ़ी पुरानी है तो मुझे इसका इतिहास नही पता है....लेकिन यह भी पुरी तरह फुटपाथ को घेर कर बनाई गई है....



यह दरगाह नौ गज़े बाबा की दरगाह के ठीक सामने है मुझे यह नही पता की यह किसकी है लेकिन यह बिल्कुल सड़क के बीचों बीच है यह इन तस्वीरो मे
साफ़ दिखता है, इस दरगाह की वजह से सड़क पर इतनी जगह bachti है की एक वक्त मे एक कार और एक
स्चूटर ही निकल सकता है, अब आप लोग अंदाजा लगा सकते है की यहाँ कितनी
परशानी होती drive करने मे ........
साईं धाम, राजा मंडी चौराहा,

यह है हमारे आगरा का सबसे विवादित, जनता के सबसे ज़्यादा परेशानी खड़ा करने वाला मन्दिर लेकिन इसके भक्तो की संख्या भी इतनी ही ज़्यादा है,

इस साईं धाम की भी अजब ही कहानी आज से चार साल पहले जब मैं अपने ग्रेजुअशन का पहला साल पुरा करने के बाद अपने कॉलेज मे लगे बास्केटबौल के कैंप मे हिस्सा ले रहा था तब यहाँ पर कुछ भी नही था लेकिन एक दिन हम सुबह जब खेलने जा रहे थे तो हमने यहाँ साईं बाबा की मूर्ति रखी देखी, दुसरे दिन वहां एक शख्स पुजारी के कपड़ो मे बैठा हुआ था, कुछ दिन बाद मूर्ति के आसपास पत्थर का छोटा सा कमरा बन गया और साईं बाबा के लिए एक सिंघासन बन गया, फिर उनके भक्तो की संख्या दिन ब दिन बढती ही जा रही है, अब यह हालत है की जो शहर का सबसे संकरा चौराहा था अब वहां पर गुरूवार को चलने की भी जगह नही रहती है, अब वहां पूरा बाज़ार लगता है जिससे सड़क और पास ही बनी नगर निगम की पार्किंग पूरी भर जाती है, अब उस पूरी सड़क पर इन लोगो का कब्ज़ा है, हर गुरूवार को लोग उस मेन सड़क को छोड़ कर गलियों और बाजारों से जाना पसंद करते है, हमारे शहर की लाइफ लाइन महात्मा गाँधी रोड की हालत बहुत ख़राब हो गई है, हमारी सरकार भी इसमे चुप बैठी है क्यूंकि यह लोगो की आस्था से जुदा मामला है,




राजा की मंडी स्टेशन के सामने, लोहामंडी

यह दरगाह किसकी है पता नही लेकिन यह सड़क के बिल्कुल बीचों बीच बनी वो तो उस सड़क पर इतना यातायात नही वरना बहुत परेशानी हो जाती,
हनुमान मन्दिर, सेंत जॉन्स चौराहा 
हमारे सेंत जॉन्स कॉलेज के सामने बना यह हनुमान मन्दिर जिसका क्षेत्रफ़ल दिन ब दिन बढ़ता जा रहा है इसमे हर वक्त कुछ न कुछ काम चलता रहता है, अब तो यह मन्दिर सड़क के बीच divider का काम करता है, यह सड़क के divider की सीध मे है, यहाँ आने वाले भक्तो की तादाद काफ़ी ज़्यादा है और अक्सर यहाँ पर भंडारे का आयोजन होता है तब पूरी सड़क और आसपास के इलाके को सजाया जाता है,

कुछ लोगो इस पोस्ट को पढने के बाद मेरी बाद अपनी नाराज़गी ज़ाहिर करेंगे लेकिन इससे मुझे फर्क नही पड़ता क्यूंकि जो ग़लत है वो गलत है। मुझे मंदिरों से एतराज़ नही है लेकिन ग़लत तरीके से घेरे गई जगह से एतराज़ है।
रही बात मजारो की, वो तो हर लिहाज़ से ग़लत है क्यूंकि इस्लाम मे पक्की कब्र बनने की इजाज़त नही है, तो मजार का कोई मतलब ही नही बनता है...
सही लिखा है आपनें। लेकिन धार्मिक मामला है बोलने से पहले कई बार सोचना पड़ेगा।आप ने विषय अच्छा उठाया है।
जवाब देंहटाएंबहुत अच्छे आपकी हिम्मत को दाद बधाई सड़क फुटपाथ.... मन्दिर-मस्जिद .... असल में राह चलते इनके आगे सर झुका कर सिक्के डाल हम इन्हें बढ़ावा भी देते हैं
जवाब देंहटाएंshankar fulara... tensilnpoint.blogspot.com
रायपुर में नगर निगम ने सफल प्रयास किया है इस तरह के अवरोध हटाने का
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