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बुधवार, 2 फ़रवरी 2011

अपनी पहचान को तलाशता आगरा......ताजनगरी.....एक विरासतों का शहर

गरा ये वो नाम जिसे दुनिया के अरबों लोग जानते है......क्यौकि दुनिया का पहला अजुबा "ताजमहल" जिसे लोग मुहब्बत की मिसाल कहते है वो आगरा में है..।। आगरा को लोग तहज़ीब और विरासतों का शहर कहते हैं, हालंकि कुछ सालों से इसकी तहज़ीब और सुकुन को किसी की नज़र लग गयी है।

जिस शहर और इमारत की वजह से इस देश में हर साल अरबों रुपये की विदेशी मुद्रा मिलती है वो शहर आज भी अपनी पहचान और अपने अस्तित्व के लिये लड रहा है।

आज़ादी के बाद से इस शहर को सिर्फ़ एक फ़लाईओवर मिला है जो शहर के बाहर मथुरा-दिल्ली हाइवे पर १९९९ में बना था वो भॊ जब भगवान टाकीज़ चौराहे से दिल्ली के लिये निकलने में २-३ घन्टे लग जाते थे।  इसके अलावा विकास के नाम पर कुछ भी नही मिला।

गुरुवार, 17 सितंबर 2009

मेरी जिन्दगी का मकसद दो वक्त की रोटी.... My life ambition two times food in a day

           मेरी ज़िन्दगी का मकसद "दो वक्त की रोटी"...... ये अलफ़ाज़ एक सात-आठ साल के बच्चे ने मुझसे कहे। कल मैं अपने भतीजे को स्कुल से ला रहा था तो सिग्नल एक सात-आठ साल का बच्चा मुझे भीख मागंने लगा ये सब पहले आगरा में नही होता था लेकिन पिछ्ले छ्ह-सात महीनों से यहां पर भी शुरु हो गया है। आमतौर पर मैं बच्चों, हट्टे-कट्टे और सही जिस्म वाले भिखारियों को भीख नही देता हूं...क्यौकि ये लोग मजबुर नही होते है ये भीख का कारोबार करते है और मैं उस लडके को काफ़ी वक्त से इस चौराहे पर देख रहा हूं वो मुझे रोज़ मिलता है लेकिन कल पहली बार उसने मुझसे भीख मांगी थी।

          मैने उसको मना कर दिया वो जाने लगा तो मेरे भतीजे उसे बुलाया "तुम्हारा नाम क्या है?" उसने जवाब दिया "मोनू"...  "कहां रहते हो?" उसने कहा "यहीं सडक पर"...."तुम्हारे मम्मी-पापा कहां है?" मेरे भतीजे ने उससे पुछा तो उसकी समझ में नही आया तो उसने दोबारा पुछा "तुम्हारे मां-बाप कहां है?" मेरे भतीजे और उसकी उम्र लगभग एक जैसी होगी....मैं अपने भतीजे का चेहरा देख रहा था कि ये छोटा बच्चा उससे कैसा सवाल कर रहा है.....उस लडके ने जवाब दिया :- "मां का पता नही बापू तो वहां शराब की दुकान पर बैठा है"

सोमवार, 15 सितंबर 2008

कानपुर और आगरा में बिजली चोरो का आतंक ! !

          इन दिनों जूते का सीज़न चल रहा है, काफी तादाद में जूता बन रहा है, पश्चिम उत्तर प्रदेश में आगरा और कानपुर में सबसे ज़्यादा जूता बनता है लेकिन यहाँ पर सबसे ज़्यादा बिजली चोरी भी होती है, इन दोनों शहरों के जिन इलाको में जूता बनता है वहां पर लगभग हर घर में एक कारखाना है जिसमे से एक दिन में लगभग १००० जोड़ी जूता बनता है, और १००० जोड़ी जूते के कारखाने का बिजली लोड लगभग १५ किलोवाट होता है और यह सारी बिजली चोरी करके जलाई जाती है.

                इन दोनों शहरों में मुस्लिम और जाटव समुदाय के लोग जूता बनाते है और यही लोग सबसे ज़्यादा बिजली चोरी करते है,  इन दिनों रात में भी काम हो रहा है....

              आगरा में नाई की मंडी, घटिया मामू भांजा, ढोलिखार, वजीरपुरा, जगदीशपुरा, इन इलाको में कारखानों का आलम यह है की एक गली में जितने घर है उतने ही कारखाने है और यह बस्तियां इतनी घनी आबादी वाली है के यहाँ पर बिजली वाले जाने से घबराते है, उन्हें सब पता है की कहाँ पर कितना लोड है और कहाँ क्या होता है लेकिन वो लोग कोई कार्येवाही नही करते है...

             कानपुर में तो बहुत बुरा हाल है यहाँ पर लोगो ने २५ - २५ साल से बिजली का बिल नही दिया है लोगो पर बिजली विभाग का लाखो रुपया बकाया है, अभी कुछ महीनो पहले की बात है कानपुर के अनवरगंज इलाके में ट्रांस्फोर्मेर फूक गया था तो वहां के लोगो ने बहुत हंगामा किया जब जे.ई. आया तो उसने कहा की इस इलाके के किसी एक घर का पिछले एक साल में जमा बिजली का बिल आप मुझे दिखा दो मैं आज ही यह ट्रांस्फोर्मेर बदल दूँगा चाहे मेरी नौकरी खतरे में आ जाए तो वहां पर किसी के पास बिल नही निकला. 
            आप लोग अंदाजा लगा सकते है के रोज़ बिजली विभाग को कितने की चपत लग रही है????
            इस चोरी को रोकने का कोई तरीका है???
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