आप लोगो ने पिछली पोस्ट पढ़ी थी अब मैं आपको शिकायत न करने की कुछ और वजह बताता हूँ.....
रिश्वत देने मे और सिफारिश करने मे हम सबसे आगे होते हैं लेकिन जब अपना काम नही होता है तो कहते हैं की बहुत भर्ष्टाचार बढ़ गया है जिसको देखो रिश्वत मांग रहा है....बच्चे के पैदा होने से पहले उसका लिंग पता करने के लिए रिश्वत कुछ कहो तो कहते हैं की आगे तैयारी करने मे आसानी होती है, उसकी पैदा होने के बाद उसके जन्म प्रमाण - पत्र मे उसकी उम्र बदलवाने के लिए हम रिश्वत देते हैं, जब स्कूल में उसका दाखिला कराना होता है तो किसी अच्छे स्कूल में दाखिला कराने के लिए हम रिश्वत देते हैं चाहे हमारा बच्चा उस स्कूल की पढाई झेलने के लायक हो या नहीं हमें उससे कोई मतलब नहीं हैं, किसी खेल की टीम उसको खिलाने के लिए हम रिश्वत और सिफारिश सब कर लेते हैं, और हमारा बेटा खेल लेता हैं वो भी उस लड़के वो निकाल कर जो हमारे बच्चे से बहुत बेहतर खिलाडी है, चाहे जो करना पड़े खेलेगा हमारा बेटा,
बच्चे ने साल बार पढाई नहीं में अब इम्तिहान में कैसे पास होगा लेकिन कोई बात नहीं तेअचेर को रिश्वत देकर किसी और से पेपर दिलवा देंगे, अगर यह नहीं हुआ तो क्लास में चीटिंग का इन्तेजाम करा देंगे, अगर यह भी नहीं हुआ तो कॉपी में नंबर बडवा देंगे, वर्ना हम कॉपी ही बदलवा देंगे, सब कुछ कर्नेगे लेकिन अपने बच्चे को पास करवा कर छोडेंगे.
बेटा पास हो गया, अब वो बड़ा हो गया है उसको गाडी भी चाहिए लेकिन लाईसेन्स कैसे बनेगा उसकी तो अभी उम्र नहीं हुई है, कोई बात नहीं है हम दलाल से बनवा लेंगे थोड़े पैसे ही तो लगेंगे, गाडी से वो जम कर कानून तोडेगा दो चार लोगो को तोडेगा तो क्या हुआ गलती तो सबसे होती है, हम थानेदार को थोड़े पैसे देकर अपने बेटे को छुड़ा लेंगे क्या हुआ अभी छोटा ही तो है उसकी उम्र ही क्या हैं, नादान है,
अब उसकी नौकरी कैसे लगेगी, पढाई तो उसने की नहीं है लेकिन कोई बात नहीं है हमारे पास पैसा बहुत है, कुछ भी कर कर उसकी नौकरी हम लगवा देंगे, थोड़े पैसे क्लर्क को देंगे, थोडी मिठाई जूनियर मेनेजर को देंगे, थोडी मिठाई और एक नेता का सिफारिश लैटर मेनेजर को देंगे और हो गया काम, मिल गयी हमारे बेटे को एक बढिया सी नौकरी,
शादी के लिए लड़की तो हम ढूंढ लेंगे लेकिन हमें बहुत सारा दहेज़ चाहिए क्या करे साब अपने बेटे पर बहुत पैसा खर्च किया है, अभी तो उसको वसूलने का वक़्त आया हैं, अब नहीं करेंगे तो कब करेंगे, महूरत की फ़िक्र न कीजिये हम पंडित से अपनी मर्ज़ी का महूर्त निकलवा लेंगे लेकिन बस आप पैसे और बड़ी गाडी का इन्तेजाम कर लीजिये और जिस चीज़ की भी ज़रुरत होगी वो हम बीच बीच में मांगते रहेंगे उसकी फ़िक्र आप मत करिए......
इतने कानून और नियम तोड़ने के बाद हमें शिकायत करने का कोई हक नहीं है, हम सरकार को खराब व्यवस्था के लिए गालिया तो देते हैं लेकिन यह भूल जाते हैं की उस व्यवस्था का हम हिस्सा हमारे जैसे लोगो की वजह से वो व्यवस्था चल रही है, ऑटो वाला तीन लोगो की सीट पर पांच लोगो को बिठाता है तो वो दो लोग हमारे जैसे ही शख्स होते हैं, हम उसको पूरे पैसे देते हैं और अपनी जान को हथेली पर रख कर सफ़र करते हैं क्योँ ऐसा क्योँ होता हैं, कोई सरकारी अफसर गलत काम कर रहा होता है तो हम उसको रोकने और उसकी शिकायत करने के बजाये यह कह कर अपना दामन बचा लेते हैं की ऊपर से नीचे तक सब बेईमान हैं, ऐसे कैसे चलेगा, ऐसे कैसे कुछ बदलाव आएगा, सब भगवान् के भरोसे छोड़ दिया है की भगवान् ही सब करेंगे, अरे वो भी तब करेगा जब हम लोग कोशिश करेंगे, वो उसकी मदद करता है जो अपनी मदद करता है॥
इस व्यवस्था को हम लोगो ने ही बिगाडा हैं और इसको सिर्फ हम ही सुधार सकते है, हम दूसरो पर ऊँगली उठाते है लेकिन यह भूल जाते हैं की एक ऊँगली उसकी तरफ इशारा करती है तो तीन उंगलियाँ हमारी तरफ इशारा करती हैं इसका मतलब हैं की हमें तीन बार अपने आप को देखना चाहिए बाद में दुसरे को, जो काम करने पर हम लोगो को टोकते हैं वाही हालत जब हमारे ऊपर पढ़ते हैं तो हम भी वही करते हैं जो उन्होंने किया था तो उनमे और हमारे अन्दर क्या फर्क हुआ....
ज़रा बैठ कर सोचियेगा की आप लोग क्या - क्या कर रहे हैं और क्या - क्या कर सकते है.....अपने इस प्यारे से देश और यहाँ के लोगो के लिए, सिर्फ अपने बारे में मत सोचिये सब के बारे में सोचिये, तो शायद आप लोग सही फैसला ले सकते है....कोई फैसला लेते वक़्त हम उसमे सिर्फ अपना फ़ायदा देखते है लेकिन आगे से यह देखने की कोशिश कीजिये की आपके फायेदे में किसी का नुक्सान तो नहीं हो रहा है......अगर सब लोग यह सोचने लगे तो हिन्दुस्तान की तस्वीर बदल जायेगी.....
ज़रा सा ज़रूर सोचना.......
बिल्कुल सही कह रहे हैं .. कम समय में और अपने स्तर से अधिक अच्छा पाने की लालच में हम स्वयं भ्रष्टाचार का हिस्सा बनते हैं .. हम सबको अपने में सुधार लाना होगा।
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