रविवार, 31 अगस्त 2008

भगवान का शाब्दिक अर्थ यह है !!

भगवान का शाब्दिक अर्थ है :- पति यानी के शौहर

भगवान दो शब्दों से बना है (भग+वान) भग से तात्पर्य स्त्री का जनन अंग, और वान से तात्पर्य उसको रखने वाला मतलब उसका पति ठीक उसी तरह जैसे बलवान (बल+वान) का अर्थ बल को रखने वाला है ।

मैंने अपनी काम विकृत अश्लील बुद्धि यहाँ नही चलायी है, मैंने वही लिखा है जो मुझे पता लगा और मेरी नज़र में सही है।
हाँ यह बात सही है की यह मेरी भी शंका थी लेकिन यह शंका उस शख्स के सवाल के बाद ही पैदा हुई थी। और जब से मुझे इस बारे में पता लगा है मैंने ईश्वर के हर अवतार को भगवान कहना बंद कर दिया है कोई और यकीन करे या नही लेकिन मैं करता हूँ।

मैं झूठ बोलने में यकीन नही रखता हूँ मैंने कोई कहानी नही सुनाई है मैं उस शख्स का ईमेल एड्रेस आपको दे सकता हूँ उससे आप ख़ुद बात कर सकते है!

जय हिंद !

बुधवार, 20 अगस्त 2008

"भगवान्" का शाब्दिक अर्थ क्या है?

आप लोग पोस्ट का शीर्षक पढ़ कर चौंक गए होंगे की हिन्दुस्तानी को क्या हो गया है यह कैसा सवाल कर रहा है? तो आप लोग ज़रा अपने दिमाग को काबू में रखे और बराए मेहेरबानी इस पोस्ट को पुरा पढ़े...





आज से कुछ दिनों पहले में फैजाबाद जाने के लिए आगरा से मरुधर एक्सप्रेस में चढा था....अपने स्लीपर कोच में पहुचने के बाद मुझे पता चला की मेरा टिकेट अपग्रेड हो गया है.....भला हो लालू जी का जिनकी वजह से मुझ जैसे मद्ध्यम वर्ग के इनसां को एसी में सफर का मौका मिला था.....मैं अपने कोच में पहुच गया और लेटकर सो गया...





सुबह आँख खुली तो ट्रेन लेट थी.....हमेशा की तरह तो नीचे आकर बैठ गया वहां पर कुछ लोग आपस में बातचीत कर रहे थे और बातचीत का विषय था आज का दौर और इंसान......मैं बैठा हुआ उन लोगो की बातचीत सुनता रहा तो उनलोगों में एक चौबीस - पच्चीस साल का नौजवान था, तीन अधेड़ उम्र के लोग और मैं बैठा था.....





बात होते -२ पाप और पुण्य पर आगई तो उस नौजवान ने बोला की हमारे जिस्म में इतनी बीमारियाँ पैदा हो रही है रोज़ एक नई बीमारी की ख़बर आ रही है...उन सब बीमारियों में से सबसे ज़्यादा हमारे खून में जन्म ले रहीं है.......उसकी सबसे बड़ी वजह की हम लोग अपनर धर्म और धर्म ग्रंथो से दूर हो गए है और झूठ - बेईमानी की रोटी खा रहे है, जब हमारे जिस्म में बेईमानी और झूठ की रोटी जा रही है तो उससे बना खून भी तो ख़राब होगा.....मैं उसकी बात से पुरी तरह से सहमत था......





उसकी यह बात सुनते ही पास वाले पार्टीशन से एक अंकल जी निकल कर आ गए और उन्होंने आते ही उस लड़के की बात को काटा की ऐसा सब कहते है लेकिन कोई उस पर अमल नही कर पाता है.....यह सब बेकार की बात है इससे कुछ नही होता है......तो उसे लड़के ने पहले गीता का एक शलोक सुनाया उसके बाद कुरान की एक आयत सुनाई, फिर दोनों का मतलब बताया इस तरह बात का रुख धर्म की तरफ़ हो गया अब सिर्फ़ उन दो लोगो में बातचीत हो रही बाकी लोग सिर्फ़ सुन रहे थे काफ़ी देर तक दोनों में बहस हो रही थी अंकल जी कुछ ज़्यादा ही जज़्बात में बोल रहे थे उनकी बात में दम नही लेकिन वो लड़का जो भी बोल रहा था पहले किसी न किसी धर्म - ग्रन्थ का हवाला देकर बोल रहा था इतनी कम उम्र में उसके पास बहुत ज़्यादा जानकारी थी जिसको सुनकर में आश्चर्य में पढ़ गया था, मैं बस बैठा उसकी बात सुन रहा था अब वहां पर काफ़ी लोग जमा हो गए थे, अंकल जी के काफ़ी पढ़े लिखे थे वो बनारस हिंदू यूनिवर्सिटी में प्रोफेसर थे लेकिन जिस भाषा का इस्तेमाल वो कर रहे थे वो बहुत साम्प्रदायिक थी, जब भी वो लड़का कुरान की किसी आयत का उदाहरण देता तो वो उसे नकार देते थे, और गीता, रामायण, या और किसी हिंदू धर्म - ग्रन्थ का हवाला देता तो वो उसे कुबूल कर लेते थे यह सब देख मुझे कुछ अच्छा नही लगा की इतना बड़ा शिक्षक जिसकी उम्र लगभग ६० - ६५ के आसपास होगी वो ऐसी बात कर रहा है, जब काफ़ी देर हो गई उनको इस्लाम की बुराई करते हुए तो उस लड़के ने सिर्फ़ एक सवाल पुछा की "भगवान् किसे कहते है?" तो वहां मौजूद लोगो ने अपनी समझ के हिसाब से जवाब दिया...किसी ने कहा दुनिया को चलाने वाला, किसी ने कुछ कहा....तो उसने कहा की उसका शाब्दिक अर्थ बताये वहां मौजूद कोई भी शख्स उसके सवाल का जवाब नही दे सका....


इतने में उसका स्टेशन आ गया तो उसने वहां मौजूद हर शख्स को अपना मेल एड्रेस किया और कहा की आप लोग अपनी तरह से इस सवाल का जवाब पता कीजिये और मुझे बताये फिर मैं आप लोगो को बताऊँगा की "भगवान्" का शाब्दिक अर्थ क्या है?"

मुझे तो पता नही है इसलिए मैंने सोचा अपने पाठको से पूछ लूँ तो कृपया करके इस पोस्ट को पढने के बाद अपने विचार ज़रूर बताये धन्यवाद

शनिवार, 16 अगस्त 2008

तिरंगे का अपमान !!!!!

सबसे पहले सब हिन्दुस्तानियों को ६१वे स्वतंत्रता दिवस की शुभकामनाये !!!! आप सभी को आज़ादी का यह दिन बहुत -बहुत मुबारक हो......


आप लोग यह सोच रहे होंगे की मैं स्वतंत्रता दिवस की मुबारक बाद आज क्योँ दे रहा हूँ वो तो कल था?????


मैं बताता हूँ क्योँ.......... क्यूंकि कल पुरे दिन मैं अपने शहर आगरा के स्कुलो - और सडको के दौरे पर निकला था । और मुझे जिस चीज़ का अंदेशा था उससे भी बुरा मुझे देखने को मिला और वो था हमारे तिरंगे का अपमान !!



सुबह जिस तिरंगे को हम अपने सर पर बिठा रहे थे, सीने से लगा रहे थे, उसे चूम रहे थे.....दोपहर को वही तिरंगा ज़मीन पर पड़ा हुआ था...कहीं पर कीचड में था, कहीं पर पानी में पड़ा था, कही बीच सड़क पर पड़ा था, लेकिन किसी भी शख्स को फुर्सत नही थी की तिरंगे की इस हालत पर गौर करता.....

कल १५ अगस्त को मैंने आगरा की सडको से तक़रीबन ३२ से ३५ तिरंगे समेटे हैं....और इतनी बुरी हालत में थे की मेरी आँखें नम हो गई.......कुछ ज़मीन पर मिटटी में पड़े हुए थे, कुछ कीचड में पड़े हुए थे, कुछ तो सड़क के बीच में पड़े थे और उनके ऊपर से लोग अपनी गाडियाँ लेकर निकल रहे थे लेकिन किसी में इतनी भी फुर्सत नही थी की वो उस तिरंगे को ज़मीन से उठा कर एक तरफ़ ही रख देते....

हम लोग इतने बेहिस हो चुके की जिस तिरंगे को सुबह फिराने के बाद सलामी देते है, सब को लड्डू खिलाते है, फिर हम भूल जाते हैं की यह हमारे देश की इज्ज़त है, उसके ज़मीन पर पड़े होने के बावजूद हम उसके ऊपर से गाड़ी निकाल लेते है, लेकिन उसको ज़मीन से नही उठाते है...

जितने भी तिरंगे ज़मीन पर पड़े थे उसमे से ज्यादातर वो तिरंगे थे जो बच्चे स्कूल ले जाते है, बच्चो का क्या है वो तो बहुत चंचल मन के होते है उनको इस चीज़ का एहसास नही होता है की किस चीज़ की कितनी एहमियत है.....ज़िम्मेदारी तो उन माँ - बाप और टीचरों की बनती है जो बच्चो के हाथ में तिरंगा देते है, उन्हें तिरंगा देने से पहले उन्हें उसकी एहमियत बतानी चाहिए ताकि बच्चे कोई गलती न करे....यह हमारी ज़िम्मेदारी है हम अपने बच्चो को समझाए, उनमे देशभक्ति का जज्बा भरे...

हम कितने बेहिस हो चुके है इसका एक उदाहरण मैं आपको बताता हूँ......

आगरा में st। Johns College से आगे बढ़ने पर मुझे एक तिरंगा सड़क के बीच में पड़ा दिखा, मैंने अपनी गाड़ी साइड से खड़ी की और रोड के बीच में पड़े तिरंगे को उठाने के लिए आगे बड़ा तो ट्रैफिक उस वक्त चालू था इसलिए गाडियाँ भी उस वक्त गुज़र रहीं थी, मैं जब सड़क को पार करता हुआ तिरंगे के पास पंहुचा तो एक कारवाले ने बिल्कुल में पास लाकर गाड़ी रोकी........और गाली बक कर बोला "क्या मरना चाहता है?" मैंने कहा -: "भाई साहब, तिरंगा उठाने आया हूँ. तो वो बोला, -: तू कुछ भी करने आया हो मुझे कोई मतलब नही है, अब रास्ता दे चल.

उस वक्त मुझे इतनी तकलीफ हुई की मैं शब्दों में बयान नही कर सकता हूँ की कितना ज़्यादा हम बेहिस हो चुके है हम। अपने स्कुल और कॉलेज के दिनों में हम तिरंगे को सीने से लगा कर रखते थे, और यहाँ पर लोग उसको अपने जूतों तले कुचल रहे हैं....

मुझे तो इस वक्त एक ही शेर याद आ रहा है जो मेरा मनपसंद है...

अभी भी वक्त है जाग जाओ ऐ हिन्दुस्तान वालो
वरना मीट जाओगे तुम्हारी दास्तां भी न होगी, दास्तानों में।

जय हिंद ।

रविवार, 3 अगस्त 2008

हर मुसलमान आतंकवादी नही है......

मैंने आज मोहल्ला पर अविनाश जी ने फरीद भाई की पोस्ट के बारे में लिखा है वो बहुत सही लिखा है....हमारे देश में बिल्कुल यही हो रहा है हम लोग आज कल बिलकूल यही कर रहे है......हर मुसलमान को गुनाहगार की तरह देख रहे हैं समझते है की यह भी एक आतंकवादी है......
मैं मानता हूँ की आज तक जितने आतंकवादी पकड़े गए है सब मुसलमान थे लेकिन कभी हमने या किसी भी हिन्दुस्तानी ने यह जानने की कोशिश की है वो वाकई में आतंकवादी था जिस आदमी को पुलिस ने पकड़ कर हमारे सामने पेश किया है वो वाकई में आतंकवादी है या सिर्फ़एक आम आदमी....हमारी पुलिस जिसको सामने खडा कर देती है वो ही मुजरिम हो जाता है चाहे उसको खिलाफ साबुत हो या नही इससे कोई मतलब नही है....किसी भी हिन्दुस्तानी ने उस इंसान का इतिहास जानने की कोशिश की पकडे जाने से पहले वो कया करता था???? नही किसी ने नही की

बंगलोर में 8 बम फटे , १ मौत हुई, ९ घायल हुए,
अहमदाबाद में १९ बम पते, ५४ मौते हुई, ११४ घायल हुए,
सूरत में २० बम बरामद हुए जिसमे से एक भी नही फटा...

बंगलोर और अहेम्दाबाद में कम क्षमता वाले धमाके किए गए.....लेकिन आतंकवादीयो ने ऐसा क्योँ किया यह समझ से बहार है क्यूंकि आतंकवादियों का मकसद तो आतंक फेलाना है जितने ज़यादा लोग मरेंगे उतना आतंक फैलेगा तो उनके दिल में दया कैसे आ गई जो उन्होंने कम ताकत के बम इस्तेमाल करे ??/

यह सब सत्ता की राजनीति है और कुछ नही सत्ता के ठेकेदारों ने हमें अपने हात की कटपुतली बना रखा है और हमें अपने हिसाब से इस्तेमाल करते आ रहे है....

अब वक्त आ गया है की हम लोग हिंदू-मुस्लिम से आगे बढ़ कर सोचे, एक होकर इससे लादे तो उसी में ही हमारी भलाई है....इस हालात पर एक शेर याद आ रहा जो काफी वक्त पहले सुना था....

अभी भी वक्त है जाग जाओ ऐ हिन्दुस्तान वालो
वरना मीट जाओगे तुम्हारी दास्तां भी न होगी, दास्तानों में
Related Posts with Thumbnails