मंगलवार, 5 मई 2009

यह कैसी आस्था???

मारे भारत देश का इतिहास सदियौं पुराना है, यहाँ बहुत सी सभ्यताएं, संस्कृतियाँ और धर्म मौजूद हैं हमारे भारत का सबसे बड़ा धर्म है "हिंदू धर्म" । हिंदू धर्म मे लगभग तेंतीस हज़ार देवी - देवता है जिनकी पूजा की जाती है, इस संख्या मे देवी देवताओं के सब अवतार शामिल है लेकिन आज के भारत के जो हालात है उसे देख कर ऐसा नही लगता की यहाँ पर लोगो के मन मे आस्था उस हद तक मौजूद है, क्यूंकि जो रवैया है आज के लोगो उससे लगता नही है की उन्हें किसी चीज़ की परवाह है, हम लोग ख़ुद अपने हाथो से सब कुछ तबाह कर रहे है... मैं आप लोगो को कुछ उदाहरण दे रहा हूँ अपनी बात साबित करने के लिए

हमारे देश गंगा नदी को "गंगा मैया" के नाम से पुकारा जाता है मैया का मतलब होता है "माँ" जन्म देनी वाली नही है लेकिन कुछ नहीं तो मुहँ बोली माँ तो है लेकिन हमने अपनी माँ का कितना ख़याल किया है अभी पिछले शुक्रवार को मैं कानपुर के गंगा पुल पे से गुजरा था तो देखा गंगा नदी एक पतले काले नाले के रूप मे दिख रही थी, उस दिन गगा मे कुछ लोग स्नान कर रहे थे पुल के ऊपर से देखने पर ऎसा लग रहा था कि वो लोग नाले मे नहा रहे है, यही हाल यमुना समेत भारत की तमाम नदियो की है . हमारे सारे धार्मिक रिति - रिवाज इन्ही नदियो से सम्बन्धित है, यह नही होगी तो अस्थियो का विसर्जन कहा होगा कभी सोचा है नही न इतना वक्त किसके पास है सोचने के लिये... सारे कारखानो का गन्दा पानी इन नदीयो मे बहाया जा रहा है हमारे सरकारी अफ़्सरो की बदॊलत, सारे धोबी वही कपडे धो रहे है, सारे जान्वर इन नदियो मे नहा रहे है, और हम क्या कर रहे है कुछ भी नही .

एक कथित "माँ" के बारे मे आपको और बताता हूँ यह "माँ" है "गौ" माता, जब भी "गौ" वध की बात आती है तो कुछ लोग बडा शोर - शराबा करते है, लेकिन यही माता जब सडको पर पन्नी - पौलिथीन खाती रेह्ती है, आवारा घूमती है, कुत्ते और इन्सान दोनो उसे मारते है, वो भुखी - प्यासी घूमती है, तब यह लोग किधर होते है, शोर सब मचाते है अख्बार मे तस्वीर छ्पवाने के लिये, अपना नाम छ्पवाने के लिये, लेकिन जब इस माता के लिये कुछ करने की बात आती है तो बस सब वादे करते है...

अब आप लोग ही बताये "यह कैसी आस्था है?"

5 टिप्‍पणियां:

  1. जन्‍म देनेवाली मांओं की भी हालत आज वही है ..

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  2. हाय!! कैसी दुर्गति की है इन माताओं की...

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  3. ईश्वर एक है किन्तु दृष्टिभेद से मनीषियों ने उसे भिन्न-भिन्न नाम दे रखा है । जैसे एक ही व्यक्ति दृष्टिभेद के कारण परिवार के लोगों द्वारा पिता, भाई, चाचा, मामा, फूफा, दादा, बहनोई, भतीजा, पुत्र, भांजा, पोता, नाती आदि नामों से संबोधित होता है, वैसे ही ईश्वर भी भिन्न-भिन्न कर्ताभाव के कारण अनेक नाम वाला हो जाता है।

    यथा-
    जिस रूप में वह सृष्टिकर्ता है वह ब्रह्मा कहलाता है ।

    जिस रूप में वह विद्या का सागर है उसका नाम सरस्वती है ।

    जिस रूप में वह सर्वत्र व्याप्त है या जगत को धारण करने वाला है उसका नाम विष्णु है ।

    जिस रूप में वह समस्त धन-सम्पत्ति और वैभव का स्वामी है उसका नाम लक्ष्मी है ।

    जिस रूप में वह संहारकर्ता है उसका नाम रुद्र है ।

    जिस रूप में वह कल्याण करने वाला है उसका नाम शिव है ।

    जिस रूप में वह समस्त शक्ति का स्वामी है उसका नाम पार्वती है, दुर्गा है ।

    जिस रूप मे वह सबका काल है उसका नाम काली है ।

    जिस रूप मे वह सामूहिक बुद्धि का परिचायक है उसका नाम गणेश है ।

    जिस रूप में वह पराक्रम का भण्डार है उसका नाम स्कंद है ।

    जिस रूप में वह आनन्ददाता है, मनोहारी है उसका नाम राम है ।

    जिस रूप में वह धरती को शस्य से भरपूर करने वाला है उसका नाम सीता है ।

    जिस रूप में वह सबको आकृष्ट करने वाला है, अभिभूत करने वाला है उसका नाम कृष्ण है ।

    जिस रूप में वह सबको प्रसन्न करने, सम्पन्न करने और सफलता दिलाने वाला है उसका नाम राधा है ।

    लोग अपनी रुचि के अनुसार ईश्वर के किसी नाम की पूजा करते हैं । एक विद्यार्थी सरस्वती का पुजारी बन जाता है, सेठ-साहूकार को लक्ष्मी प्यारी लगती है । शक्ति के उपासक की दुर्गा में आस्था बनती है । शैव को शिव और वैष्णव को विष्णु नाम प्यारा लगता है । वैसे सभी नामों को हिन्दू श्रद्धा की दृष्टि से स्मरण करता है ।
    साभार --vishvhindusamaj.org
    jis prakaar hindu dharm ko badnaam karne ka theka tune le rakha hai ,usee prakaar se bharat me tujhse pahle bhi thujh jaise logo ki kami nahi rahi.
    33 karod devi devtaa bharat ki jansankhya thi. jise poori duniya hi 33 karod devi devta kahti thi.
    tumhaare paigambar mohammad sahab ne bhi ise maana.
    unhone bhi maana ki " hind ki or se aane vaali hawaaen mujhe romaanchit karti hai kyon ki hajrat aadam ke pratham kadam hind ki pavan bhumi par hi pade the"

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  4. वाह..!!! मज़ा आ गया क्या बात कही है....

    बिल्कुल सही कहा है आपने...हम लोग सिर्फ़ बातें करते है और कुछ नही...

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काशिफ आरिफ

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