धर्म, जात - पात को एक तरफ़ रख कर हिन्दुस्तान को एक सूत्र के पिरोने की कोशिश....
शनिवार, 23 अक्टूबर 2010
हिन्दुओं ने राम मन्दिर के लिये बाबरी मस्ज़िद तो तोड दी। शिव मन्दिर के लिये "ताजमहल" कब तोड रहे हैं? Ram Mandir, Shiv Temple, Babri Masjid, Ayoudya,
६ दिसम्बर ’९२ को हिन्दुओं ने बाबरी मस्ज़िद को शहीद किया और कहा कि हमने भारत और हिन्दु धर्म के माथे से कलंक मिटा दिया। तब से हर साल ६ दिसम्बर ’९२ को सारा हिन्दु समाज "शौर्य दिवस" मनाता है। इस मसले पर हर इंसान की तर्क अलग है और राय अलग है...आप जिसे सुनेंगे उसके पास एक नई कहानी होगी।
कोई कहता है कि वो मस्ज़िद इस्लाम के नाम पर कलंक थी, कोई कुछ कह्ता है। बरहाल मैं आज इस मसले पर बात नही करुंगा कि वहां बाबरी मस्ज़िद से पहले मस्ज़िद थी या राम मन्दिर (?) था।
काफ़ी वक्त पहले पी.एन. ओके. (P.N.Oak) नामक एक सरफ़िरे लेखक ने काबा और ताजमहल को शिव मंदिर कहा था और कहा था कि ईसाई धर्म और इस्लाम दोनों हिन्दु धर्म से अलग हुये है। इस सरफ़िरे कि बातों पर यकीन करके हमारे हिन्दी ब्लोग जगत के एक महान (?) कथित पत्रकार (?) जो सिर्फ़
सिक्के का एक पहलू देखना जानते हैं ने इनकी रिसर्च पर एक साल पहले अगस्त में दो लेख लिखे थे। इन्हे यहां पढे...भाग-1, भाग-2 । ये भी पुरी तरह से सहमत थे की काबा एक शिव मंदिर (?) है। बरहाल मैनें अल्लाह के करम से मैंने अपने तर्कों और सबुतों से साबित किया कि "काबा शिव मन्दिर नही है" । उनकी ऎसी फ़जीहत हुई कि इस सीरीज़ का तीसरा भाग आज तक नही छपा है । मैं अब भी इन्तज़ार कर रहा हूं ।
चलिये मुद्दे की बात करते है...... पी. एन. ओके साहब के अनुसार "ताजमहल" एक शिव मन्दिर (?) है और उसका नाम तेजोमहल (?) है। इस बात को आधार मानकर हर साल शिव रात्री पर शिव भक्त और शिव सेना के कार्यकर्ता ताजमहल पर पुजा करने पहुंच जाते है लेकिन कभी उन्हे अन्दर नहीं घुसने दिया गया....क्यौं?
जब आस्था, मान्यता और विश्वास के लिये बाबरी मस्ज़िद में घुसने दिया जा सकता है तो ताजमहल में क्यौं नही??
जब आस्था, मान्यता और विश्वास के लिये बाबरी मस्ज़िद को तोडा जा सकता है तो ताजमहल को क्यौं नही??
जब हाईकोर्ट आस्था, मान्यता और विश्वास के लिये बाबरी मस्ज़िद को राम मन्दिर घोषित कर सकती है तो ताजमहल को क्यौं नही??
ताजमहल की जगह शिव मन्दिर बनाने के लिये रथ यात्रा क्यौं नहीं निकाली जाती है??
नारे क्यौं नही लगाये जाते हैं? क्यौं साधु-संतो को कारसेवक जमा करने की ज़िम्मेदारी नही दी गयी???
क्यौं अब तक हज़ारो कुल्हाडी और सब्बल बनाने का हुक्म नही दिया गया है???
क्यौं अब तक कारसेवकों को टेर्निंग कोर्से नहीं कराये गये???
अगर आप लोगों के पास इसके जवाब हो तो मुझे बतायें वर्ना मैं फ़िर बताऊंगा...॥॥॥॥॥
अगर लेख पसंद आया हो तो इस ब्लोग का अनुसरण कीजिये!!!!!!!!!!!!!
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बात मैं आप की दम तो है लेकिन मेरा दिल कहता है, अब इन सब बातों को भुला के प्रेम सन्देश बांटो. सवाल और फिर सवाल के जवाब और फिर, वही नफरत. कुछ हासिल नहीं.
जवाब देंहटाएंमासुम भाई...मैं यहां नफ़रत नहीं फ़ैला रहा हूं...मेरा एक मकसद है इस लेख के पीछे....उस मकसद उस बात को सब लोगों तक पहुंचाने के लिये मैं इस लेख का इस्तेमाल कर रहा हूं...
जवाब देंहटाएं===========
"हमारा हिन्दुस्तान"
"इस्लाम और कुरआन"
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shayad aapko pata hoga bharat me muslim kab aaye.aur isse pehle kabhi muslim bharat me nahi the.aur agar nahi to hiotry pdhiye aur janiye
हटाएंजब हिनदुओ देवताओं को तोड़ा गया ,तब किसी ने हिनदुओ का साथ नही दिया
हटाएंतब आज प्रशन कयो उँट रहा है,यह सब करा धरा कांगरेश का है कि कभी हिनदु
मन्दिरों को नया रुप नही बनने दिया बल्कि राजनिति की रोटी सेकने के लिये
आपस मे हिनदु मुसलमानों को लड़वा कर अपना मतलब निकालती रही
काशिफ़ भाई,
जवाब देंहटाएंबहुत दिनों बाद वापसी हुई… मार्च के बाद सीधे जून, फ़िर जुलाई, अगस्त में सिर्फ़ 1-1 पोस्ट? ऐसी भी क्या व्यस्तता और बेरुखी… :) :)
सबकी अपनी-अपनी मान्यताएं होती हैं -
1) जैसे कि आप मानते होंगे कि हज़रत बल दरगाह में रखा हुआ "बाल" पैगम्बर का ही है… :) :)
2) आप मानते होंगे कि बाबर भारत भूमि की संतान था… इसलिये उसकी बनाई मस्जिद भी "पाक" है…
3) आप मानते होंगे कि बाहर से आये हुए डाकू-लुटेरे द्वारा जमीन पर जबरन कब्जा करके बनाई हुई मस्जिद "पवित्र" होती है…
4) आप मानते होंगे कि बाबर को यहाँ के निवासियों ने आमंत्रण-पत्र देकर बुलवाया होगा कि आओ भाई यहाँ मस्जिद बनाओ…
5) आप मानते होंगे कि इस्लाम, सनातन धर्म से पहले पैदा हुआ था…
तो आपको कौन रोक सकता है भाई… मानते रहिये।
रही बात शिव मन्दिर की, तो भैया 400-500 साल में हिन्दुओं ने पहला "ढाँचा" ही तोड़ा है… हम उनमें से नहीं हैं कि अकेले कश्मीर में 300 मन्दिरों को तोड़कर भी "रिलीजन ऑफ़ पीस"(?) के ढोंगी नारे लगायें… :) :)
एक कथित पत्रकार (जिसने कभी पत्रकार होने का दावा नहीं किया) :) :) उर्फ़ सुरेश चिपलूनकर
Wah bhai wah maan gaye akal ko...jakir sheikh,dr. upadhaya,surajbhan ye sab aap jaiso k liye akal mand honge aur P.N oak ki baat hajam nahi hui to wo sirfira. Khub kahi.
जवाब देंहटाएं@ सुरेश भाई...
जवाब देंहटाएंटिप्पणी का शुक्रिया .... "हमारा हिन्दुस्तान" पर काफ़ी दिनों बाद वापसी हुई है.... वर्ना मैं अपने अन्य तीन ब्लोग्स पर व्यस्त था....."इस्लाम और कुरआन"
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बरहाल मैंने आपसे कुछ सवाल किये थे लेकिन आपने जवाब देने के बजाय मुझ पर सवाल दाग दिये.....चलिये हम जवाब दे देतें हैं...
1) इस मसले पर मेरी जानकारी कम हैं लेकिन इन्शाल्लाह आपको जवाब देने के लिये मैं पुरे सबुतों के साथ एक पोस्ट लिखुंगा "इस्लाम और कुरआन" पर...चाहे वो हक में हो या इसके खिलाफ़..।
2) मैं नही मानता कि बाबर भारत की सन्तान था..।
3) ज़बरन ज़मीन पर कब्ज़ा करके बनाई गई मस्ज़िद "मस्ज़िद" नही होती है।
4) लुटने वाला कभी बुलावे से नही आता लेकिन आपको सिर्फ़ मुगल ही क्यौं दिखते है.....भारत को पहले आर्यों ने लूटा , यूनानियों ने लूटा , मंगोलों ने लूटा, अफगानियों ने लूटा, गजनवी तथा गोरी ने लूटा ,मुगलों और मुसलमान बादशाहों ने लूटा , अंग्रेजों ने लूटा....लेकिन गालियां मुगल को ही पडती हैं????क्यौं
आर्यों ने जम कर लूटपाट की और यहाँ असली बाशिंदे शूद्रों, कोल ,भील, को अपना गुलाम बना कर रखा और इनका शोषण किया ,और आज तक कर रहे हैं , आप तो अपनी बात बताते हैं नहीं आपका उद्देश्य केवल इतना है की कोई इनके बारे में बात न करे इस लिए हमेशा मुसलमानों पर चिल्लाते रहो..........
जवाब देंहटाएं5) रही बात इस्लाम या सनातन धर्म की...तो इस्लाम तो दुनिया बनने के साथ ही "आदम अलैहि सलाम" के साथ ही इस दुनिया में आया था.....रही बात सनातन धर्म की तो ये कोई धर्म नहीं... इंसान जिस ताकत से डरा उसकी मूर्ति बना ली और पुजा शुरु कर दी..
धर्म वो होता है जो ईश्वर के आदेश के अनुसार चलता है लेकिन जहां ईश्वर के आदेश और उपदेश " गीता " में हर साल-दो साल में एक अदने से इंसान द्वारा टीका लगाया जाता है तो वो ईश्वर का आदेश कैसे बचा....
धर्म इंसान की सहुलियत के हिसाब से नही चलता है....कि नौ दुर्गों के व्रत में मैं सिर्फ़ अन्न नहीं खाऊंगा बाकी सब कुछ खाऊंगा...
मैं सिर्फ़ एक लौंग और पानी के गिलास पर व्रत रखुंगा...
इस्लाम में ना जात-पात के लिये जगह है...ना इंसान की औकात के लिये...उसके सामने सब बराबर है....इस्लाम अकेला धर्म है कि जिसके धर्म ग्रन्थ में औरत को पति की जायदाद में हिस्सा दिया गया....पत्नी को छुने से पहले उसका "महर" उसे अदा किया जाये... दहेज़ ना लिया जाय सिर्फ़ चार-पांच लोग जाये और लडकी को विदा कराकर ले आयें... और वलीमा (Reception) फ़र्ज़ है..अगर वलीमा नहीं तो निकाह जाइज़ नही...
पहले लड्की के बाप और लडकी से निकाह की इजाज़त लो...फ़िर लडके से पुछॊ...शादी से पहले लडके को लडकी और लड्की को लडका दिखा दो...
"इस्लाम को सनातन धर्म से मिलाने चलें है"
रही बात कश्मीर में मंदिर तोडने की...तो वो हर लिहाज़ से गलत है । इस्लाम के लिहाज़ से भी और इंसानियत के लिहाज़ से भी...
जवाब देंहटाएंअब आप कुछ सवालों के जवाब दिजिये???
1) इसका दोष सारी मुसलमान कौम को क्यौं दिया जाता है???
2) जब कश्मीरी लोग वहां से हिन्दुओं और पंडितों को मार रहे थे...मंदिर तोड रहे थे तो क्या आप अपने घर में बैठे झक मार रहे थे??
3) हमारी देश की सरकार क्या कर रही थी???
4) भाजपा, विहिप, संघ जैसे हिन्दु समाज़ के चहेतो ने कश्मीर के लिये कुच क्यौं नही किया???
5) क्यौं कारसेवक जमा नही किये वहां के टुटे हुये मन्दिर दोबारा बनाने के लिये???
6) एक कथित " राम मन्दिर "...जिसे भारत के किसी हिन्दु या मुसलमान ने नही देखा उसके लिये एक मस्ज़िद तोड दी लेकिन सबके देखे हुये कश्मीर के 300 मन्दिरों के लिये कोई भी राम भक्त, देश भक्त, शिव भक्त या और कोई सा भी भक्त या हिन्दु वहां क्यौं नही गया???
7) कश्मीर तो हिन्दुस्तान में ही है ना???
8) वहां जाने में फ़टती है???
@ Rishi जी,
जवाब देंहटाएंमैं इतिहास का जानकार नही हूं...मुझे बस थोडी बहुत, मामूली सी इस्लाम की जानकारी है...
लेकिन उसके बावजुद मैनें उस सिरफ़िरे कि बात "काबा - शिव मन्दिर है" को गलत साबित कर दिया....उसके हर तर्क को गलत साबित कर दिया है...आप चाहें तो सुरेश चिपलूनकर जी के लेख पढ सकते है जिनका लिन्क मैनें अपनी पोस्ट में दिया हुआ है
http://sureshchiplunkar.blogspot.com/2009/08/kaaba-hindu-temple.html
http://sureshchiplunkar.blogspot.com/2009/08/kaaba-hindu-temple.html
इन्हे पढ ले..इसके बाद कुछ बात करेंगे...
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जितना प्राचीन आपका इस्लाम धर्म है उससे ज्यादा पुराने तो हमारे घरों में बर्तन मिलेंगे
हटाएंसनातन धर्म इस सृष्टी के साथ पैदा हुआ ह और इस पुरे ब्रमांड में व्याप्त है
अब तो नासा ने भी मान लिया है की सूर्य द्वारा बोला जाने वाला श्ाब्द ॐ है
थोड़े दिनों का सब्र करो आपको भी पता चल जायेगा की आप काबा में किसकी पूजा करके आते हो......
wah faad ke rakh di suresh ki, pehli baar kisi ko is aadmi ko sahi jawab dete huye suna hai, iske blog par to yeh iske khilaf hone wale comment ko publish hi nahi karta hai, aur apna adha-adhura gyan bagharta phirta hai. me to aapka kaayal ho gaya kashif bhai. allah aapke ilma me aur barkat de. aamin!
जवाब देंहटाएंबहुत बहुत शुक्रिया अकलाक भाई....
जवाब देंहटाएंआपने शायद पहली बार मेरा ब्लोग पढा है...
आते रहिये..
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