शुक्रवार, 6 जून 2008

सरकार की ढील की वजह से ये पेट्रोल के भाव बड़े हैं .

भारत सरकार ने पेट्रोल और डीज़ल के भाव तो बड़ा दिए लेकिन अगर ये लोग सुस्ती नही दिखाते तो ये भाव उन्हें नही बढाने नही पड़ते

इन्होने २००३ मे एक प्लान तैयार किया था की उच्च वर्गः के लोगो रसोई गैस उसी दाम पर दी जायेगी जितनी की उसकी लागत है लेकिन वाम दलों के विरोध की वजह से ये प्लान बेकार हो गया । फिर २००४ मे एक और तरीका निकला गया की उच्च वर्गः के लोगो को केरोसीन बिना सब्सिडी के दिया जायेगा लेकिन उसको भी यह अमल मे नही ला सके और आज उसका अंजाम ये है की केरोसीन की खूब कालाबाजारी हो रही है । अगर सरकार इतनी सुस्ती नही दिखाती तो इस तरह से केरोसीन की कालाबजारी नही हो रही होती ।

२००४ मे फिर एक चीज़ पर विचार किया गया था की उच्च वर्ग को घरेलु गैस का सिलेंडर उसकी असली कीमत पर दिया जायेगा यानी के ६५० रूपये मे लेकिन इस बात पर भी यह लोग विचार कर कर ही रह गए इसको क़ानून नही बना सके हमेशा की तरह इसमे भी हमारे देशभक्त नेताओं ने अपना पुरा योगदान दिया और इसको लागू नही होने दिया ।

अगर गैस कम्पनियाँ होटलों और ढाबो के लिए २० लीटर का सिलेंडर आज से २ साल पहले निकाल देते तो इस तरह होटलों , रेस्त्तोरेंतो , और ढाबो मे घरेलु गैस के सिलेंडर इस्तेमाल न होते और इतनी गैस की किल्लत होती और न ही गैस कम्पनियौं को इतना नुकसान झेलना पड़ता ।

अब क्या कर सकते हैं जो होना था हो गया लेकिन अब भी एक रास्ता हैं जो हमारी सोनिया गांधी जी ने बताया की पेट्रोल और दिएसल पर टेक्स को कम कर के अगर पेट्रोल पर १ फीसदी टेक्स कम किया जायेगा तो पेट्रोल ५० पैसे सस्ता हो जायेगा और अगर डीज़ल पर १ फीसदी टेक्स कम किया जायेगा तो डीज़ल ४० पैसे सस्ता हो जायेगा ।

अब देखते हैं की हमारी राज्ये सरकार क्या फ़ैसला लेती है ????????
वो अपने फायदे की सोचती हैं या पब्लिक के ?????

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काशिफ आरिफ

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