इन दिनों जूते का सीज़न चल रहा है, काफी तादाद में जूता बन रहा है, पश्चिम उत्तर प्रदेश में आगरा और कानपुर में सबसे ज़्यादा जूता बनता है लेकिन यहाँ पर सबसे ज़्यादा बिजली चोरी भी होती है, इन दोनों शहरों के जिन इलाको में जूता बनता है वहां पर लगभग हर घर में एक कारखाना है जिसमे से एक दिन में लगभग १००० जोड़ी जूता बनता है, और १००० जोड़ी जूते के कारखाने का बिजली लोड लगभग १५ किलोवाट होता है और यह सारी बिजली चोरी करके जलाई जाती है.
इन दोनों शहरों में मुस्लिम और जाटव समुदाय के लोग जूता बनाते है और यही लोग सबसे ज़्यादा बिजली चोरी करते है, इन दिनों रात में भी काम हो रहा है....
आगरा में नाई की मंडी, घटिया मामू भांजा, ढोलिखार, वजीरपुरा, जगदीशपुरा, इन इलाको में कारखानों का आलम यह है की एक गली में जितने घर है उतने ही कारखाने है और यह बस्तियां इतनी घनी आबादी वाली है के यहाँ पर बिजली वाले जाने से घबराते है, उन्हें सब पता है की कहाँ पर कितना लोड है और कहाँ क्या होता है लेकिन वो लोग कोई कार्येवाही नही करते है...
कानपुर में तो बहुत बुरा हाल है यहाँ पर लोगो ने २५ - २५ साल से बिजली का बिल नही दिया है लोगो पर बिजली विभाग का लाखो रुपया बकाया है, अभी कुछ महीनो पहले की बात है कानपुर के अनवरगंज इलाके में ट्रांस्फोर्मेर फूक गया था तो वहां के लोगो ने बहुत हंगामा किया जब जे.ई. आया तो उसने कहा की इस इलाके के किसी एक घर का पिछले एक साल में जमा बिजली का बिल आप मुझे दिखा दो मैं आज ही यह ट्रांस्फोर्मेर बदल दूँगा चाहे मेरी नौकरी खतरे में आ जाए तो वहां पर किसी के पास बिल नही निकला.
आप लोग अंदाजा लगा सकते है के रोज़ बिजली विभाग को कितने की चपत लग रही है????
इस चोरी को रोकने का कोई तरीका है???
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काशिफ आरिफ