''भारत माता की जय सुनिश्चित करें!'' -आडवाणी
''भारत का निर्माण करें ,विभाजन की शक्तियों को पराजित करें''- आडवाणी
''हिंदू हितों की पोषक बने राजनीती ,हिंदू अस्मिता की रक्षा करने वाली सत्ता बने !'' - R.S.S
चुनाव अब अपने अन्तिम चरणों में प्रवेश कर रहे है । मतदान क्षेत्रो के एक और हिस्से में वोट डाले जायेंगे। मतदाता अपनी -अपनी पार्टिया चुनने में लगे हुए है ।
लेकिन इन सारी गतिविधियों के बीच एक पार्टी ऐसी भी है जो तय नही कर पा रही है कि आखिर वोटरों से क्या कहा जाए! अब तक मीडिया और अखबारों में साम्प्रदायिकता के जहरीले प्रचार और व्यक्तिगत चरित्र हनन ,वह भी अत्यन्त ही निम्न स्तर पर उतरकर, के अलावा भाजपा वोटरों से कुछ भी नही कह पाई है ।
ऊपर उल्लिखित नारों से पता चलता है कि भाजपा और उसका निर्देशक R.S.S अनिश्चितता और भयंकर दुविधा के दौर से गुजर रहे है । ये दिलचस्प नारे और्गेनाइज़र और पांचजन्य के 12 और 19 अप्रैल के अंको में प्रकाशित किए गए है ।
आखिर ये नारे क्या दर्शाते है ?जब भाजपा ने अपना चुनाव शोषण पत्र जारी किया था और कई व्यक्तव्यप्रसारित किए थे तो उसे इस बात का कतई अंदाज नही था कि लोग इतनी तीखी प्रतिक्रिया जाहिर करेंगे औरउसकी साम्प्रदायिकता का इतने बड़े पैमाने पर विरोध होगा ,खास कर समझदार ,संतुलित और पढ़े लिखे लोगो द्वारा । भाजपा और संघ परिवार को लगा कि सांप्रदायिक विभाजन के उनके अभियान के समर्थन में लोग उमडे चले आयेंगे । लेकिन सच्चाई यह है कि ख़ुद वरुण गाँधी को सुप्रीम कोर्ट के सामने यह आश्वाशन देना पड़ा कि वे ''गैर जिम्मेदाराना '' तरीके से सार्वजनिक व्यक्तव्य नही देंगे जिससे कि सांप्रदायिक भावनाएं भड़के । तो कम से कम सुप्रीम कोर्ट के इस कदम से सारे देश में साम्प्रदायिकता का जो कचरा फैलाया जा रहा था उस पर कुछ तो अंकुश लगाया जा सका है हालाँकि अन्य छद्म तारीको से ऐसा प्रचार जारी है ।
वरुण ने कहा कि उनके टेप फर्जी है और वे नही जानते कि उन्हें किसने बनाया (!) और वे भाषण देने के 12 दिनों बाद दिखाए जा रहे है। लेकिन यह सारा कुछ ग़लत बयानी है । इन विङीयो को तुंरत ही राष्ट्रिय टीवी नेटवर्को पर दिखाया गया ,और उनमें जो कुछ वरुण ने कहा है वह बिल्कुल ही असभ्य भाषा में ज़हरीली साम्प्रदायिकता उगली गई है।
वरुण ने अभी तक यह स्पष्ट नही किया है कि टेपों में प्रकट किए गए विचारों से वे सहमत है या नही । और यही है मुख्य प्रश्न है । ओर्गेनाइज़र जैसे अखबारों ने बड़े ही हास्यास्पद तरीके से टेपों में वरुण कि लाइनों का अपना अर्थ पेश किया है यह दिखाते हुए कि उनके कहने का अर्थ ''यह नही वह था'' ! टेपों के बाद दिए गए कई व्यक्तव्यों और भाषणों में वे अपने सांप्रदायिक विचारों कि पुष्टि करते है जिनसे साबित होता है कि उनके और उनकी पार्टी के यही विचार है ।
-अनिल राजिमवाले
bilkul sahi kaha aapne hindutv kaa nara de kar khud smaj me vighatan ki rekha kheench rahe hain aur bhashan mekeh rahe hain---bharat kaa nirman karen vibhajankari shaktion ko prajit karen ye lya? apne shabd bhi napte tolate nahi yoon bhi ye kya nirman karenge inki sarkar to ram bharose hi chalati hai
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