बुधवार, 22 जुलाई 2009

ये अंधविश्वास का ग्रहण कब हटेगा?

आज सुबह सुर्यग्रहण था बहुत से लोगो ने इस सदी के सबसे अनोखे नज़ारे को अपनी आखों से देखा, किसी ने इसे अपने सनग्लास से देखा, किसी ने एक्सरे फ़िल्म से देखा, किसी ने खास तौर पर "एल्युमिनाइज्ड माइलर" फ़िल्म से बने चश्मे से इसे देखा और हमेशा के लिये अपने दिलों-दिमाग में कभी ना मिटने वाली याद बसा ली लेकिन बहुत से ऐसे लोग भी है हमारे हिन्दुस्तान में इस अवधि में घर से नही निकलते, खाना नही खाते, कुछ तो पानी भी नही पीते, ग्रहण खत्म होने के बाद स्नान करके अपने आप को पवित्र करतें है और अपने घर को भी...मन्दिरों के दरवाज़ें कल शाम से बन्द थे वो ग्रहण के बाद ही खुलें! गर्भवती औरतों ने अपने प्रसव के लिये जो अपाय्न्मेंट था उसका वक्त बदलवा दिया और कुछ ने एक दिन आगे भी बढवा दिया।


डायंमण्ड रिंग का खुबसुरत नज़ारा







हमारे पुजारी तो पुजारी अधिकारी और स्कुल के टीचर भी इस अंधविश्वास के शिकार है। पहले तो हमारे ज़िलाधिकारी सारे स्कुलों और महाविधालयों का वक्त ९ बजे का कर दिया जो ०७ : ३० बजे का था और ऊपर से स्कुल वालों ने पहली व दुसरी मंज़िल पर मौजुद क्लास में किसी भी बच्चे को नही बिठाया, सब बच्चे निचली मंज़िल पर रहे...किसी बच्चे को ऊपर नही जाने दिया गया। ये लोग बच्चों को पढा रहे है की प्रथ्वी और सुर्य के बीच में चंद्रमा के आ जाने से सुर्यग्रहण होता है लेकिन फिर उन्ही बच्चों को अपने स्कुल और घर में ये सब अंधविश्वास देखने को मिल रहे है तो वो बच्चा किस बात पर यकीन करेगा?


"सुर्यग्रहण" का नक्शा



गुलमर्ग में १०० बीमार बच्चों को कमर और गर्दन तक ज़मीन में गाडं दिया सुर्यग्रहण के वक्त। उन लोगो की मान्यता है की इस से इन बच्चों की बीमारी ठीक हो जायेगी और सबसे बुरी खबर ये है की आंध्र-प्रदेश से लोग वहां पर आये थे अपने बच्चों को लेकर। ये अंधविश्वास दिन ब दिन बढता जा रहा है....कोई किसी बाबा के आगे सर झुका रहा है, किसी ने बाबा से मन्नत का धागा बंधवाया है, कभी इस बाबा की मज़ार पर, कभी इस बाबा के मन्दिर में।


लोग कहते है कि इसके बहुत नुकसान है, इससे अपशगुन होता है, वगैरह वगैरह... मैने जब से होश संभाला है तब से मैने हर चन्द्रग्रहंण और सुर्यग्रहण को देखने की कोशिश की है कई बार अपनी आखों से नही देख पाया तो टी.वी. पर देखा....लेकिन देखा ज़रुर है मुझे तो आज तक कुछ नही हुआ...मैं बिल्कुल हट्टा-कट्टा हूं...अल्लाह का करम है और ना उन लोगों को आज तक कुछ हुआ जो बरसों से इस काम में लगे हैं उन्हे तो आज तक कुछ नही हुआ।




जापान में समुंद्र के किनारे सुर्यग्रहण के नज़ारे को देखते लोग

ये सब चीज़ें साइंस ने झुठ साबित कर दी है लेकिन फिर भी अनपढ तो अनपढ पढे-लिखे लोग भी इन चीज़ों पर यकीन करते है। कहते है की सुर्यगर्हण का वक्त देवताओं के लिये कष्ट्दायक होता है इसलिये मंदिर के दरवाज़े बंद होते है लेकिन मैं उन पंडितो से ये सवाल पूछना चाहता हूं की कौन से वेद या ग्रंथ में लिखा है की मंदिर बंद कर दो, पुजा मत करो, कुछ खाओ नही!









चांद से पुरी तरह ढंका सुरज


इस्लाम में इस बात का ज़िक्र है अल्लाह के रसुल सल्लाहो अलैहि वस्सलम ने बताया है की "सुर्यग्रहण और चन्द्रग्रहण के वक्त नमाज़ पढनी चाहिये और ज़्यादा से ज़्यादा ज़कात और सदका करना चाहिये और अपने गुनाहो की तौबा करनी चाहिये क्यौंकी जब अल्लाह चांद और सुरज को ग्रहण लगा सकता है तो आदमी की क्या बिसात है" ये नमाज़ दुसरी नमाज़ों से अलग होती है इस नमाज़ में "रुकु" दो बार किया जाता है।


इस विषय पर एक आलेख यहां पढें...








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5 टिप्‍पणियां:

  1. bhai yeh andhvishvas kabhi nahin mitega,,,bas ham tum koshis jari rakhenge,,, aage allah ki marzi

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  3. विज्ञान अभी तक ये सिद्ध नहीं कर पाया है कि ग्रहण का पृ्थ्वी के प्राणियों पर किसी भी प्रकार का दुष्प्रभाव होता है या नहीं। इसलिए जब तक कुछ प्रमाणित नहीं हो जाता तब तक किसी भी प्राचीन परम्परा का विरोध करना भी एक प्रकार से विज्ञान के प्रति अन्धविश्वास ही कहा जाएगा।

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  4. शर्मा जी,

    मैं आपकी बात से सहमत नही हूं क्यौंकी अगर विज्ञान अभी तक ये सिद्ध नहीं कर पाया है कि ग्रहण का पृ्थ्वी के प्राणियों पर किसी भी प्रकार का दुष्प्रभाव होता है या नहीं तो क्या आप उसका कोई नुक्सान बता सकते है। मेरी उम्र तो बहुत कम है और मैने इतने ग्रहण देखे भी नही है लेकिन जो लोग बरसों से इस काम में लगे हुये है उनको तो आज तक कोई भी परेशानी नही हुई और ना ही कभी ऐसा कोई किस्सा क्या अफ़वाह भी सुनने को नही मिली की कोई वैज्ञानिक सुर्यग्रहण या चन्द्रग्रहण देखते या देखने के बाद किसी बीमारी का शिकार हुआ हो।

    ब्लोग्गर की कुछ कमी की वजह से मेरा लेख आधा छ्पा था "सुर्यग्रहण से ज़्यादा रेडीयेशन तो एक्सरे से होता है" अब बतायें क्या ज़्यादा नुकसानदायक है?

    इस्लाम में कुरआन के अन्दर हर उस प्रार्कतिक घटना या क्रिया का ज़िक्र है जिससे इन्सान को कोई नुकसान हो सकता है...यहां तक की छींक का भी ज़िक्र है "कि अगर छींकने के बाद अगर आप फ़ौरन नहीं बोलेंगे तो आपकी सांस रुक सकती है तो छींकने के बाद एक दुआ पढने के लिये बतायी गयी है" इस बात का ज़िक्र कुरआन में १४३० साल पहले कर दिया गया जिसको अब वैज्ञानिक बताते है और कुरआन या सही हदीस में कही भी "सुर्यग्रहण" से कोई नुकसान नही बताया गया है।


    आगरा में एक दो साल की छोटी बच्ची जो जन्म से विंकलांग है उसे गर्दन तक ज़मीन में गाड दिया गया और दो घन्टे तक उसे भुखा-प्यासा रखा गया उन लोगो की मान्यता है की ऐसा करने से विकंलाग ठीक हो जाते है। जब उसको निकाला तो वो बच्ची वैसी की वैसी थी......लेकिन बस डर की वजह से बोल नही रही थी और वो लडकी पुरे दिन नही बोली। आपको क्या लगता है की वो बच्ची इस सदमें से बाहर आ सकेगी?

    सती प्रथा भी तो एक पुरानी रीत है प्राचीन परम्परा है उसको क्यौं बन्द कर दिया गया...विधवा विवाह, बाल विवाह, कन्या भुर्ण हत्या, कन्या ह्त्या बहुत सी प्राचीन परम्परायें है जिन्हे बन्द कर दिया गया...उन्हे भी निभायें....

    वाराणसी में "सुर्यग्रहण स्नान" के दौरान एक की मौत हो गयी और १३ लोग बुरी तरह घायल हो गये....गंगा तथा और सभी नदियों के पानी में प्रदुषण और बढ गया इसका ज़िम्मेदार कौन?

    मुझे लगता है आप मेरी बात समझ गये होंगे

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काशिफ आरिफ

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