टी-शर्ट आज के दौर का सबसे सस्ता, सबसे आरामदायक, सबसे ज़्यादा वैरायटी में मिलने वाला परिधान है, ये वो परिधान है जिसमें ज़रा सा बदलाव करते ही ये बिल्कुल अलग दिखने लगता है। इस परिधान का भारत में आने का सही वक्त तो नही पता लेकिन जब से ये परिधान भारत में आया है युवाओं को बहुत पसंद रहा है ये खासतौर से युवाओं के लिये ही बनता है।
पहले टी-शर्ट को भारत में लडकीयां नही पहनती थी लेकिन अब ये आम हो गया है...पहले ये बिल्कुल सादी और एक रंग में हुआ करती थी, फ़िर इसके रंग बदले, पिछ्ले कुछ सालो से इसका इस्तेमाल सन्देश लिखने के लिये लोग और कम्पनियां कर रही हैं। पहले पहल बहुत अच्छे अच्छे सन्देश लिखे गये जैसा इस तस्वीर में दिख रहा है, ये सन्देश खासतौर पर जागरुकता के सन्देश हुआ करते थे।
फ़िर दौर आया शरारती सन्देशों का जैसे
"My Boyfriend Is Cuter Then Your's"
"My Girlfriend Is Sexier Then Your's"
"Nobody Is Perfect. I'm Nobody"
"Don't You Think That I'm Tooooo Good 4 You"
लेकिन पिछ्ले कुछ एक-डेढ साल टी-शर्ट कुछ ऐसे सन्देश पढने को मिल रहें है जो अश्लील और व्यस्क है और ऐसे कपडे आपको नाबालिग बच्चे पहने हुए आसानी से मिल जायेंगे.....
ये सन्देश कभी-कभी इतने ज़्यादा अधिक अश्लील हो जाते है की देखकर सोचना पडता है की ये भारतीयों की मानसिकता को क्या हो गया??? मैं ये समझता था की ऐसे सन्देशों की टी-शर्टस सिर्फ़ बडें शहरों में पहनी जाती है लेकिन मैंने अपने सफ़र के दौरान छोटे शहरों में ऐसे सन्देंशों वाली टी-शर्ट पहने हुये देखा तो एहसास हुआ की इन की पकड भारतीय समाज पर कितनी गहरी है.... ज़रा इन सन्देशों पर नज़र डालें...
"लडकों की टी-शर्ट्स"
"F CK
All I Need Is U"
"Objects Below Are Larger Then Appear"
"Just 5000 Bucks For Every Night & I'll Fuck U Whole Month"
"Pussy's Resting Station"
अब एक आखों देखा किस्सा सुनाता हूं "हमारे एक व्यापारी है.... जुते में काम आने वाला एक केमिकल बनाते हैं.... जैन धर्म के अनुयायी है उनकी तीसरी पीढी हो गई ये काम करते हुये और हमारा कारोबार भी उनसे मेरे और उनके दादा के ज़माने से है।
काफ़ी धार्मिक है हर नये काम से पहले पुजा-अर्चना करते है, उनकी दो बच्चे है एक लड्का और छोटी बेटी है। अपनी बेटी को वो अपने लिये लकी मानते है, हर नया प्रोडक्ट वो उसके जन्मदिन पर ही लांच करते है। अभी कुछ दिनों पहले उनकी बेटी ने अपना ग्यारवां जन्मदिन मनाया है, साथ में एक नया प्रोडक्ट भी लांच किया गया है तो उस दिन की पार्टी में उस लडकी ने जो टी-शर्ट पहनी थी उस पर एक सन्देश लिखा था मैं पढकर चौंक गया और यही हाल वहां मौजुद हर आदमी का था
"B (.) (.) BS
Coming Soon......."
एक ग्यारह साल की लडकी की टी-शर्ट पर ऐसा सन्देश...... ना उसको उसकी मां ने टोका, ना उसके बाप उसके भाई ने टोका, और ना ही किसी और ने टोका.... मान लीजिये उस लडकी को इस अलफ़ाज़ का मतलब नही पता लेकिन क्या उसको ये बना हुआ डिज़ाइन भी नही दिखा???? क्या वो इतनी नादान थी??? या उसके मां-बाप नादान है या उनको इस चीज़ का एहसास नही है???
मैनें बहुत कोशिश की इसका हल और वजह ढूढने की.....की इस सब के पिछे कौन ज़िम्मेदार है?? तो जहां तक मैनें इस बात को समझा है तो इसके लिये सबसे पहले उसके मां-बाप ज़िम्मेदार है क्यौंकि हम लोगों ने अपने बच्चों को उनकी ज़िन्दगी उनके तरीके से जीने के लिये इतना आज़ाद छोड रखा है की हमने उनकी ज़िन्दगी में दखल तो दुर उनसे कोई सवाल भी नही कर रहे हैं.....वो जैसे चाहे जियें.....जो चाहे पहने....जैसे चाहे रहें
और दुसरे नंबर हमारे देश की सभ्यता में बेवजह दाखिल होती पश्चिमी सभ्यता.....लोग बस पागलों की तरह से इस सभ्यता के रहन-सहन, पहनावे को अपनी ज़िन्दगी में लाने में लगे हुये है.....दुसरी सभ्यता को अपनाना अच्छी बात है लेकिन उसको अपनाने के चक्कर में अपना वजुद, अपनी असली पहचान, अपनी असली सभ्यता को बिल्कुल खत्म कर देना ये कहां की सभ्यता है....
आप लोग इसके बारे में क्या सोचते है???
क्या इस तरह से अश्लिल सन्देश वाले कपडें हमारे देश की नयी पीढी को पहनने चाहियें???
क्या ये सब सही है??
अगर इस चीज़ को रोकना हो तो कैसे रोकें??
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आपसे बिल्कुल सहमत हूँ। इस तरह की कोई भी घटना हमारे समाज के लिए बिल्कुल सही नहीं । हम भारतीयो को हमारे संस्कृति को लेकर ज्यादा जाना जाता है लेकिन हम उसे भुलते जा रहे है। और अगर देखा जाये तो इसका एक सबसे बड़ा कारण सांप्रदायिकता भी है। हम हमेशा एक दूसरे की गलतिया ढ़ुढने मे लगे रहते है और जो हमे और हमारे संस्कृति को नष्ट कर रहा है ऊसपर हमारी निगाह ही नहीं पहुचती।
जवाब देंहटाएंमितलेश जी, आप सही कह रहे है हम एक दुसरे में कमियां ढूढ्ने मे इतने वय्स्त है की कुछ याद ही नही है
जवाब देंहटाएंपश्चिम की अंधी नकल, अति-उदारता, कथित अभिव्यक्ति की स्वतन्त्रता और युवाओं में बढ़ती अनुशासनहीनता और उच्छृंखलता सबका मिला-जुला परिणाम है, यदि कहीं से विरोध शुरु भी किया जाये तो उस विरोध को दबाने वाले भी उससे अधिक आ जाते हैं…
जवाब देंहटाएंसूक्ष्म अन्वीक्षण बुद्धि और दृष्टि। हम क्या थे और क्या हो गए? जिन बुराइयों को मिटाना चाहिए उन पर ध्यान ही नहीं देते सिर्फ पश्चिमी अंधानुकरण में पिले पड़े हैं। यह भी नहीं सोच पाते कि नकल करने वाला हमेशा पीछे ही रहता है। उसकी अपनी कोई पहचान नहीं होती।
जवाब देंहटाएंकाशिफ जी, मैं आपसे सहमत हूँ. यह पूरी तरह से सार्वजानिक स्थान पर अश्लील व्यवहार करने जैसा ही है. न सिर्फ सरकारी तंत्र को इस पर रोक लगानी चाहिए बल्कि सामाजिक रूप से भी इसका विरोध होना चाहिए. यह न तो कोई फैशन है न ही आधुनिक संस्कृति. यह सिर्फ लोकतान्त्रिक व्यवस्था में प्राप्त स्वतंत्रता का बेजा उपयोग, समाज के नियमों को धता बताने की कुंठित मानसिकता का तोष और बहुराष्ट्रीय कंपनियों द्वारा इस मानसिकता का दोहन करते हुए धन कमाने की लिप्सा का परिणाम है. इसके लिए वो माँ - बाप दोषी है जो बच्चों को सही संस्कार देने का वक़्त नहीं निकालते और बच्चों के प्रति अपनी जिम्मेदारी को पैसे उपलब्ध कराकर इतिश्री मान लेते हैं. दोषी समाज भी है जो इसका मुखर विरोध नहीं करता और इस संत्रास को मौन रहकर झेलते हुए पोषित करता है फिर अंततः समर्पण कर देता है.
जवाब देंहटाएंकाशिफ़ जी आपकी बात सही है हम लोग पश्चिमी सभ्यता को अपनाने में इतने पागल हो गये है की कुछ भी नही सोच रहे है बस अन्धों की तरह दौड रहे है....
जवाब देंहटाएंइस तरह के सन्देश मैनें भी पढे है और कभी-कभी शर्म की वजह से आखें नीची करनी पडती है....
सहमत हूं आपसे।
जवाब देंहटाएंकाशिफ़ तुम अकसर कहते थे की मेरा ब्लोग पढों लेकिन मैने कभी नही पढा........
जवाब देंहटाएंआज पहली बार पढा है लेकिन सच कहूं मैं पिछ्ले दो घण्टे से तुम्हारे दोनों ब्लोग पढ रही हूं...........हर लेख ऐसा लिखा है की मुझे कमेंण्ट करने को मजबुर हो गयी...........
हम सब दोस्त तेरा मज़ाक बनाते थे "की क्या ब्लोगिंग मे लगा रहता है"
लेकिन अब एहसास हुआ की तुम बहुत अच्छा काम कर रहे हो....मेरी बधाई स्वीकारो......बहुत अच्छा लिखते हो.....मैं ये बात कमेंण्ट में इसलिये लिख रही हूं की ताकि तुम्हारे ब्लोग के पाठक इस बात को पढें और याद रखें की
"कभी बगैर इन्सान की ताकत और कैपासिटी जाने बगैर उसका मज़ाक ना बनाया करें.....
मैंरे मज़ाक बनाने से तुम्हे जो तकलीफ़ पहुंची हो उसके लिये मैं तुमसे माफ़ी मांगती हूं....
बस ऐसे ही लिख्ते रहो बिल्कुल बिन्दास अब रुकना नही
बहुत ही गंभीर मुद्दा उठाया भाई, गंभीर इतना कि पहले चटका लगाया फिर पढ़ा.
जवाब देंहटाएंख़ैर, काशिफ भाई होता ये है कि भारतीय समाज का जो परिवेश है, फैशन है और जो व्यक्तिगत नैतिकता है वह वह अपने निम्नतम स्तर से भी ज्यादा गिर चुकी है. अब तो धर्म के नाम पर नग्नता हो रही है, फिर चाहे वो कोई धार्मिक टीवी सीरियल हो या मूवी.
एक तरफ़ घर का मुखिया अपने कार्यालय में दिन भर रिश्वत, साइड मनी, नंबर दो की कमाई (हराम कमाई) करने में ही बिज़ी रहता है तो उस घर की श्रीमती जी के भी अपने पुराने बयाने (2) रहते है? उधर नई पीड़ी पर अब बिलकुल भी जोर नहीं रह गया या यों कहें कि खास कर लड़कियों पर किसी भी तरह का अनुशासन अब मान्य नहीं रहा (महिला सशक्तिकरण का जो सवाल है)..और इसके कई फ़ायदे है (आपने सुना होगा कीचड़ से कीचड़ धोना, कुछ उसी तरह का फायेदा) अगर लड़कियां इसी तरह से स्वछन्द होकर लेख में दर्शाए गए चित्र वाली टी शर्त आदि पहन रहीं है तो इसका एक फायेदा भी है, फायेदा यह है कि समाज में जो दहेज़ का दानव है उससे निजात भी मिल रही है. अब आप सोच रहे होंगे वो कैसे तो मैं आपको बताता हूँ. बहार इतनी स्वच्छन्दता से रहने पर कोई भजन तो जायेगा नहीं, ज़ाहिर सी बात है कोई दोस्त साथी ऐसा भी मिलेगा जो जीवन साथी बन जाने तक की नौबत तक पहुँच ही जायेगा. तो घर वाले (फ़र्जी ही) नाराज़ होंगे और बिना दहेज़ की शादी भी हो जायेगी. फिर शादी के बाद मान जायेंगे. तो यह एक कटु सत्य ही है (जो सर्वे से आप स्वयं अपने स्तर पर ही सिद्ध कर लेंगे) पता करके देखिये...
परसों ही मैंने सरोजिनी मार्केट में एक लड़के को एक टी शर्ट पहने देखा जिसपर लिखा था - 'HEY GIRLS, FUCK U ALL. WE'RE FROM TEXAS'
जवाब देंहटाएंक्या ये लड़के ऐसे टी शर्ट पहनकर अपनी बहनों के सामने भी जाते होंगे?
काशिफ जी नमस्कार,आज पहली बार आपके ब्लॉग पर आना हुआ...अब लगता है कि बार-बार आना पड़ेगा...आपने बहुत ही महत्वपूर्ण मुद्दे को उठाया है...इसके लिए आप बधाई के पात्र हैँ...
जवाब देंहटाएंमेरा मानना है कि पश्चिम के अन्धानुकरण की वजह से ऐसा हो रहा है...टी.वी चैनलों पर सरकार की कोई बन्दिश नहीं है...जो चीज़ पहले छुपे तौर पर उपलब्ध रहा करती थी...अब खुलेआम उनके बाज़ार लगने शुरू हो गए हैँ।एफ.एम रेडियो स्टेशनों से ऐसी-ऐसी बातें कही जाती हैँ कि आप परिवार के साथ बैठ के उन्हें सुन भी नहीं सकते।मेरे हिसाब से निजीकरण की प्रक्रिया भी एक हद तक इसके लिए जिम्मेदार है।प्राईवेट कम्पनियों का सामाजिक सरोकारों से कोई लेना-देना नहीं होता...उनका मुख्य ध्येय...असली मकसद बस पैसा कमाना होता है..इसलिए वो पापुलर होने का आसान रास्ता चुनती है क्योंकि वो भली भांति जानती हैँ कि लोगों को बिगाड़ना ज़्यादा आसान होता है बजाए इसके कि उन्हें सुधारना
और जो इन लोगों को टोकेगा ये लोग उन्हें रुढ़ीवादी कहकर हँसी में उड़ा देंगे आखिर है तो यह २१वी सदी की नई पीढ़ी।
जवाब देंहटाएंnice
जवाब देंहटाएंआरिफ साहब, बहुत सटीक और एक बुराई ( मैं तो कम से कम बुराई ही कहूंगा) की और लोगो का धयन अक्षित किया इसके लिए बधाई ! मै हमेशा इस तरह के सार्थक प्रयासों की सराहना करता हूँ ! क्या करे
जवाब देंहटाएंराम चन्द्र कह गए सिया से ऐसा कलयुग आयेगा...................!
पश्चिम की नक़ल मैं आकंठ डुबे भारत तो अब pornography आदि को सही मानाने लगा है | विरोध करेगा कौन ?
जवाब देंहटाएंhum log virodh karne ke liye hain...ek-ek karke sabko virodh karna padega
जवाब देंहटाएंकाशिफ़ आपने बहुत सही मुद्दा उठाया है... बिल्कुल ऐसा ही एक सन्देश मेरी सहेली की टी-शर्ट पर लिखा था...
जवाब देंहटाएंCOME HERE I'm ALWAYS READY FOR WHOLE NIGHT...
ये सन्देश पढने के बाद एक लडके ने उसे वाकई में बुलावा दे दिया था...
आप लोगो का बहुत बहुत शुक्रिया मेरी बात से सहमती जताने और मेरा सहयोग करने के लिये..!!!
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