जबकि मुझे उसके सिलसिले में कोई जानकारी थी नही...अवधिया चाचा ने कमेण्ट में बताया लेकिन लिन्क नही दिया....
जब मुझे उनके लेख के बारे में पता चला तो मैने ये टिप्पणी की .....
- तो अलबेला आप हैं जिसने हमारे नाम चैलेंन्ज दिया लेकिन भाईजान चैलेन्ज दिया है तो कम से कम हमारा दरवाज़ा बजाकर बता तो देते......कुछ नही तो एक टिप्पणी कर देते.... लेख पढा और टिप्पणी नही की.....बस चैलेन्ज दे दिया.....अपने ब्लोग पर आप चिल्ला रहे है तो हमारे पास कैसे आवाज़ आयेगी....हम तो सुबह से आपको ढुढं रहे है.... परसों सुबह अवधिया चाचा ने टिप्पणी की थी जो हमने आज सुबह देखी है...तब से आपको ढुढ रहे है...... रविवार से मेरा U.P.S. खराब था तो आज दोपहर को ही सिस्टम आन हुआ है...... आप ने अपने घर में खडे होकर चैलेन्ज किया....और अपने आप ही अपने आपको विजेता घोषित कर दिया.... तो ज़रा चैलेन्ज को रीपिट करेंगे.....
- क्या बात है अलबेला जी....सारा देशभक्ति का नाटक सिर्फ़ टिप्पणियां पाने के लिये था क्या.....24 घन्टे गुज़रते ही सारा नशा, सारा सुरुर उतर गया.... अरे अपने ऊपर इतना भी भरोसा नही था की खुलकर चैलेन्ज भी कर देते....इतना डर लग रहा था क्या??? मेरा यु.पी.एस. खराब था उन दिनों इसीलिये मेरा लेख भी देर से प्रकाशित हुआ....लेकिन अगर आपको अपने ऊपर इतना यकीन था तो एक बार ई-मेल कर देते अल्लाह का करम है ई-मेल तो रोज़ चेक करते है...घर पर ना सही तो कैफ़े में जाकर लेकिन देखते ज़रुर है.....मेरा ई-मेल एड्रेस तो मेरे हर ब्लाग पर मौजुद है.....कुछ नही तो एक टिप्पणी ही कर देते....
उसके बाद उन्होने कहा ये लेख लिखा.... इस लेख पर मैनें टिप्पणी की...तो वो टिप्पणी उन्होने 36 घण्टे बीत जाने के बाद छापी......
- अब ये बात फ़ोकट की हो गयी...इससे पहले तो बडा गरज रहे थे.....जब दो पोस्टों पर अच्छी तरह शाबाशी मिल रही थी तब तो ये बात फ़ोकट की नही थी..... क्या बात है "गन्दगी फ़ैलाने वाले पर पत्त्थर नही मारना क्या"??? अरे फ़िर गन्दगी तो फ़ैलती रहेगी... आपके उन दो लेखों से द्वेष नही फ़ैला????? अब द्वेष याद आ रहा है???? चलिये कोई बात नही आपने एक लेख लिखकर चैलेन्ज दिया वो भी सिर्फ़ 24 घन्टे के लिये.... एक चैलेन्ज मैं आपको देता हूं कि जब आप रोज़ी-रोटी कमा चुकने और दिन में पांच पोस्ट डालने के बाद अगर आपके पास वक्त बचे तो मुझसे उस चैलेन्ज पर जब चाहे आप बात कर सकते है.... और हां आपने 24 घन्टे का वक्त दिया था......मैं आपको 24 दिन का वक्त देता हूं....वैसे मैं इस चैलेन्ज की कापी आपको ई-मेल भी कर सकता हूं...आपने अपने घर में बैठकर चैलेन्ज दिया था...मैं आपको आपके घर में आकर दे रहा हूं....
- तो अलबेला जी अगर आपको 24 दिन का वक्त कम लग रहा हो तो एक रास्ता और है मेरे पास..... बगैर कोई समय सीमा का......... आप जब सारे कामों से मुक्त हो जाये और आपके पास सारे सवालों के जवाब हो जिनसे लगता है की आप मुझे सन्तुष्ट कर सकें तो तब जवाब दे दीजियेगा..... लेकिन बराय महरबानी इस बार जवाब को मुझ तक ज़रुर पहुचां देना...अपने घर पर बैठकर जवाब मत देना.... इन दो आप्शन में से आप जो चाहे चुन लें......
पहले लेख पर इन्हे 22 टिप्पणी मिली...
दुसरे लेख पर इन्हे 29 टिप्पणी मिली...
तीसरे लेख पर उन्होने मेरी टिप्पणी जिसका चौथा नंबर था....पुरी 11 टिप्पणी आने के बाद छापी....36 घण्टे के बाद इन्हे याद आया की टिप्पणी प्रकाशित करनी है...
अब जनाब लेख लिखकर कह रहे है की मेरे पास समय नही है...शुटिंग है...और दुसरे काम भी है... इन्हे चैलेन्ज देने का बहुत शौक है इससे पहले सलीम खान और उमर कैरानवी को दिया था लेकिन इस बार इन्होने गलत आदमी से पंगा ले लिया....बेवजह अडने वाले और मुझ पर झुठा इल्ज़ाम लगाने वाले को मैं छोडता नही हूं....
पहले मुझे गन्दगी फ़ैलाने वाला कहा, मुझ पर पत्थर मारने की बात कही, फ़िर मुझे भगोडा और डरा हुआ घोषित कर दिया, फ़िर कह रहे है कि हंसो, हंसाओं.....द्वेष मिटाओं....
अरे चैलेन्ज करने का इतना शौक था तो जिसको चैलेन्ज कर रहे हो उसे बता तो दो.....अपने ब्लाग पर...अपने घर में कोई भी चैलेन्ज कर सकता है.......मैं ओसामा को ओबामा किसी को भी चैलेन्ज कर सकता हूं........अपने घर में खडे होकर, पीठ पीछे सब चीख सकते है....दम है तो सामने आओं....फ़िर बात करेगें....
इन जनाब ने मेरा लेख पढा......उसमें इनके अनुसार मैनें गन्दगी फ़ैलायी थी, भद्दी और बेहुदा बातें कही थी.....जनाब ने उस लेख पर एक भी टिप्पणी नही की..........उसके खिलाफ़ लेख लिखा...उसमें भी उस लेख का लिन्क नही दिया.........
मैनें एक चैलेन्ज आपको दिया है....एक बार फ़िर से दे रहा हूं...अगर दम है तो मैदान में आओं......
तो अलबेला जी अगर आपको 24 दिन का वक्त कम लग रहा हो तो एक रास्ता और है मेरे पास..... बगैर कोई समय सीमा का......... आप जब सारे कामों से मुक्त हो जाये और आपके पास सारे सवालों के जवाब हो जिनसे लगता है की आप मुझे सन्तुष्ट कर सकें तो तब जवाब दे दीजियेगा..... लेकिन बराय महरबानी इस बार जवाब को मुझ तक ज़रुर पहुचां देना...अपने घर पर बैठकर जवाब मत देना.... इन दो आप्शन में से आप जो चाहे चुन लें......
अल्लाह हाफ़ीज़
अगर लेख पसंद आया हो तो इस ब्लोग का अनुसरण कीजिये!!!!!!!!!!!!!
"हमारा हिन्दुस्तान"... के नये लेख अपने ई-मेल बाक्स में मुफ़्त मंगाए...!!!!
काशिफ़ जी, आपकी बात सही है ये क्या तरीका हुआ किसी को चैलेन्ज देने का...
जवाब देंहटाएंअरे चैलेन्ज देना हओ तो उसका लिन्क दो उसे इसके बारे में बताओं तब मज़ा आता है..
राज की बात से सहमत हूं....
जवाब देंहटाएंकाशिफ़ काफ़ी दिनों बाद तुम्हे पढा... ये तुम किस लफ़डे में पड गये.....अलबेला के पास कोई काम तो हैं नही दिन सात आठ बेमतलब पोस्ट डालता है....
जवाब देंहटाएंछोडो उसे यार अपने काम पे ध्यान दो जो तुम कर रहे हो.....
काशिफ़ काफ़ी दिनों बाद तुम्हे पढा... ये तुम किस लफ़डे में पड गये.....अलबेला के पास कोई काम तो हैं नही एक दिन में सात आठ बेमतलब पोस्ट डालता है....
जवाब देंहटाएंछोडो उसे यार अपने काम पे ध्यान दो जो तुम कर रहे हो...
बहुत सही जवाब दिया है.... देख लेना अलबेला चैलेन्ज नही लेगा
जवाब देंहटाएंबहुत सही जवाब दिया है.... देख लेना अलबेला चैलेन्ज नही लेगा
जवाब देंहटाएंसमीर जी, क्या करें कभी कभी इस तरह के काम करने पडते है.....कुछ लोग ऐसे होते है की एक पत्थर मारकर भाग जाते है.....और ये अलबेला हैं ही इस तरह का शख्स...मौका देखने वाला....लेकिन बेफ़िक्र रहो उसने गलत शख्स से पंगा ले लिये है मैं उसका पीछा नही छोडने वाला......
जवाब देंहटाएंउसकी खबर तो मैं ले ही लुंगा
क्या बात है कंहकंशा काफ़ी दिनों बाद दिखाई दी? कहा थी आप???? और तुम्हारे ब्लाग के डिज़ाईन का क्या हुआ?? कुछ डिज़ाईन सेलेक्ट किया या नही???
जवाब देंहटाएंअवध की क़सम अब अलबेला तुम्हारे हाथ नहीं आने वाला, वह गया वक्त है, जो गया तो गया, वैसे भी उसका मुकाबला कोई नहीं कर सकता, कुछ कारण तो में बताऊँ वह यह कि जीत-हार का फैसला भी वह करेगा, दूसरे तुमने आगरा में रहकर तुकबंदी नहीं सीखी होगी, तीसरे तुम्हारे बिजली सारी ताजमहल में खर्च हो जाती है, चोथे वह भी मेरे की तरह कभी अवध नहीं गया, खेर दोनों को मेरी शुभकामनाऐं हैप्पी ब्लागिंग,
जवाब देंहटाएंहमारी चेतावनी हमारा प्रोफाइल या एकमात्र पोस्ट ना पढना
अवधिया चाया
जो कभी अवध ना गया
इस टिप्पणी को लेखक द्वारा हटा दिया गया है.
जवाब देंहटाएंये तुम किस लफ़डे में पड गये.....अलबेला के पास कोई काम तो हैं नही दिन सात आठ बेमतलब पोस्ट डालता है....
जवाब देंहटाएंhimmat ki baat he in mahasaye ko challagne karna, apna hosla banaye rakhen, woh is liye bhi ki blogging men sab unse darte hen koi sath na dega.
जवाब देंहटाएंअब आएगा मजा,अब तो फुरसत निकालनी ही पडेगी,नाक का सवाल है, सामने नारी नहीं गबरू जवान है भाई जान आपका प्रोफाइल में देखा हीरो न.1 हो, जीरो न बन जाना
जवाब देंहटाएंmujhe link dekar bulaaya
जवाब देंहटाएंmain aaya
thoda sa hansa
aur fir thoda taras khaaya
ha ha ha ha ha ha ha ha ha ha ha ha ha ha ha aha ha ha ha ha
albela ke paas koi kaam nahin ..roz 7-8 post thelta hai..HA HA HA HA HA HA HA HA HA HA
KHODA PAHAAD NIKLAA KAANKROCH...VOH BHI ULTA..HA HA HA HA HA HA HA HA HA HA
main kabhi kahin link chhodta nahin firta, log chal kar aate hain blog padhne...ha ha ha ha ha ha
7-8 post likhne me bahut zor lagata hai jaani ! HA HA HA HA HA HA HA
MAST RAHO.............
TRAIN CHHOOT GAYI......HA HA HA HA HA
sadaiv vinamra,
albela khatri
li jiye miyan ji baat khatam, albela ne kar diya tumhen fit
जवाब देंहटाएंare tumhen kuch aur bhi kaam he ke nahin donon hamesa vivadit baten karte ho... samajhdar ho desh ke bhale ki baten karo. moorkhon ki trah hamesaa aapas men bhide rehte ho... kiya milega tumehn socho abhi bhi wakt he
जवाब देंहटाएंbekar ki bat
जवाब देंहटाएंऐसी बातों की तरफ ध्यान ना दें, हमने वन्दे मातरम पर आपकी देशा भक्ती की बातें पढी थी, वेसी बातों की तरफ धयान दें, आगे आपकी मरजी आप हमसे अधिक समझदार हैं
जवाब देंहटाएंwaqt ki barbadi ke alawa kuch nahin milega. lage raho
जवाब देंहटाएंकैरानवी पहले तो तुम अपने ब्लोग का नाम बदलो , कह रहे हो कि "हमारा हिन्दुस्तान ", ये भला कैसे हो सकता है । भारत तो बस भारतीयो का हैं।
जवाब देंहटाएंअबे खत्री डर क्यों रहा है,जवाब तो दे,अब क्यों औरतो की तरह बहाने बना रहा है,जब चॅलेंज किया था तो अब सामना करो,ये 'देशप्रेम' का नाटक छोड़ कर बेटा अपनी रोज़ी रोटी पर ध्यान दो,
जवाब देंहटाएं''ज़रा सा लहजे को तब्दील करके देखा था,
पता चला ये दुनिया डर भी सकती है''
जय भारत - यह मेरा ब््लाग नही है हाँ यह देश मेरा भी है, इस ब्लागस्वामी का प्रोफाइल देखो कितने साल पुराना है, कैरानवी तो इसी साल ब्लागिंग में आया है,हाँ यह अलग बात है कि ब््लागवाणी पर रजिस्टर ना होने पर भी और कम समय में अपना नाम है, इससे पहले उर्दू में झंडे गाड रहा था, रही बात भारतीयता की तो कैरानवी को शिक्षा मिली है जिस देश में रहो उस देश के वफादार रहो,
जवाब देंहटाएंKairanvi (Page Rank-3 Blogger)
islaminhindi.blogspot.com
बेटा काशिफ़ चचा भी मानते हो और खताकार भी बताते हो, हमने लिंक नहीं दिया का इल्ज़ाम लगाते हो हमें क्या पता आप ब्लागवाणी बोर्ड पर नज़र नहीं डालते, आज देख लो जिस स्थान पर यानि ब्लागवाणी की हाट लिस्ट में आपका यह चैलेंज टाप पर है वहीं वह लेख भी था, बेटा ब्लागवाणी का सम्मान करो, एक महान ब्लागर के अलावा वह सब का है, इस लिए उसपर नजर डाल लिया करो इससे मुहब्बत बढेगी, मुहब्बत बढेगी तो हिन्दुस्तान के दर्द की दवा कर सकोगे, शेष फिर
जवाब देंहटाएंअवधिया चाचा
जो कभी अवध ना गया
काशिफ भाई! ये अलबेला खत्री नहीं है यह है अलबेला छतरी और वो ऐसी छतरी जिसमें हैं बहत्तर छेद!! ...ले को पता नहीं कहाँ से पूर्वाग्रह की लत लग गयी !!!
जवाब देंहटाएंअभी व्यस्त हूँ एक बहुत इम्पोर्टेंट काम की वजह से नेट पर नहीं आ पा रहा हूँ....
सलीम खान
बहुत सही जवाब दिया है.... देख लेना अलबेला चैलेन्ज नही लेगा
जवाब देंहटाएंतुम जैसे देश के आंतकवादियो की वजह से ही भारत में आये दिंन २६/११ जैसी घटनायें होती रहती है ।
जवाब देंहटाएंवन्दे मातरम
वाह... आपकी जंग मज़ेदार है...
जवाब देंहटाएं@ जय भारत - वन्दे ईश्वरम, अर्थात वन्दना करो उसकी जिसने सारी सृष्टि बनाई
जवाब देंहटाएंभाई हमें तो आप झूठे लगते हो क्युकी ब्लोग्वानी और चिट्ठाजगत से सब पता चल जाता है ! मुझे भी साथी आप वही मिले है ! आप सफल ब्लॉगर है अनाड़ी जैसी सफाई क्यों दे रहे है ???
जवाब देंहटाएंअगर चोटी रखने में शर्म आए तो उसे एक अन्य सवाल का
जवाब देंहटाएंजवाब देना होगा.......वो सवाल ये है कि सारी दुनिया जानती
है कि मीर तकी मीर और ग़ालिब, दोनों शायर मुसलमान थे
और बड़े शायर थे,,,,,,,,,
उनके इन शे'रों का मतलब क्या है ?
"मीर के दीन-ओ- मज़हब की अब क्या पूछो हो?
क़श्का खींचा, दैर में बैठा, कब का तर्क़ इस्लाम किया"
- मीर
"ख़ुदा के वास्ते परदा न क़ाबे से उठा ज़ालिम
कहीं ऐसा न हो, वां भी यही काफिर सनम निकले"
- ग़ालिब
_______
मैं शान्त था........उकसाया उसने है, अब फ़ैसला उसके हाथ है....
और उसे ये कहने का मौका न मिले कि मैंने अपने घर में बैठ कर ही
चुनौती दी है, इसलिए...ये पूरा आलेख मैं उसके ब्लॉग पर
टिप्पणी के रूप में भी लिख रहा हूँ
याद रहे...........मैं डरा नहीं..........मैंने टिप्पणी रोकी नहीं लेकिन
मुझे गाली दी गई इसलिए........मैंने मजबूर होकर ये पोस्ट लिखी है।
निवेदन मैंने कर दिया है..........
बाकी निर्णय आपको करना है कि कौन सच्चा और कौन झूठा ?
जयहिन्द !
निवेदक
-अलबेला खत्री
http://albelakhari.blogspot.com/
जवाब देंहटाएंआईजियो अलबेला भाई ! आप का चैलेन्ज एकतरफ़ा रहा कोई जवाब मुकम्मल नहीं दिया है भाइयो ने अबतक, देखते है इसका सीधा जवाब देंगे या बस पहले जैसे इधर उधर की बात करेंगे ये भाई लोग !
जवाब देंहटाएं@ अलबेले महाराज,
जवाब देंहटाएं1. हम उल्टे पैदा नहीं होते, बच्चा जब पैदा होता है वह न हिन्दू होता है न मुसलमान,
2. हम सीधे कहाँ पैदा होते हैं हम उल्टे ही पैदा होते हैं, तुम सीधे हुए थे यह किसने देखा
3. हम तुम्हारे से उल्टे काम नहीं करते तुम सुरज को भी मानते हो चाँद को भी मानते हो, काशिफ की एक पोस्ट है चांद तारा इस्लामी निशान नहीं जो तुम्हें चाँद-तारे हमारे आसपास दिखाई देते हैं वह अज्ञानता में हैं, इस्लाम से इनका कोई लेना देना नहीं, जबकि तुम्हारे वेदों में जो 33 थे वह गाय तक आते आते 33 करोड होगये,
''उलमाओं का फतवा चाँद तारा मुसलमानों का निशान नहीं है.... ''
http://qur-aninhindi.blogspot.com/2009/10/moon-star-is-not-sign-of-islam-or.html
4- उर्दू पर इल्जाम गलत लगा रहे हो, दोनों भाषाऐं लगभग एकसाथ वजूद में आईं, दाँय से बाँय तुम्हारी नक्ल में नहीं लिखते, जब हिन्दी नहीं थी तब अरबी में दायें से बायें लिखा जाता था, फिर फारसी में दायें से बायें जब उर्दू शुरू हुई तो तब हिन्दुस्तान में फारसी सरकारी ज़बान थी, उस समय इस खिचडी जबान ने फारसी का खत अपना लिया था, जो तुम्हारी नक़ल में कतई नहीं, और फाइनल शाट रिसर्च बताती है हि बायें से दायें लिखने में हाथ जल्द थकेगा, जबकि दायें से बायें समझदारी की निशानी अर्थात अधिक लिख सकोगे, यह आप किया जानो, जो दोनों का अनुभव रखते हैं वह जानें, हम दोनों भाषाऐं जानें काशिफ तो शायद ही उर्दू जानता हो,
5- हम लुंगी कतई नहीं पहनते कुछ खास धार्मिक लोग पहनते हैं, जैसे तुम्हारे पहनते हैं, जिस समय के लिए पहनते हैं उस समय तुम तो शायद कुछ पहनते भी नहीं होंगे, पाजामा भी तुम्हारी सोहबत का असर है, उल्टा तो कतई नहीं, तुम बताओ तुम्हारी देवियां जो पहनती थी तुम वह क्यूं नहीं पहनते जैसे रामायण सीरियल जब बना था तो डायरेक्टर ने बताया था वह डेस जो सीता पहनती थी हम उसे पहना के दिखा ही नहीं सकते थे,
जवाब देंहटाएं6. तुम झटका करते हो हम तुम्हारी नक़ल में हलाल नहीं करते बल्कि यह तरीका हमें अंतिम संदेष्टा न बताया है जिसको आजकी रिसर्च भी सही तरीका मानती है कि इस तरीके से जानवर को दर्द नहीं होता, उसकी दिमाग को दर्द की खबर देने वाली शह रग कट जाती है, जो वह फडकता है वह सारा खून प्रेशर से निकलने की वजह से होता है, जबकि तुम्हारे तरीके में जानवर में खून रह जाता है जिस कारण वह स्वादिष्ट भी नहीं होता,
7. हम मूंछ इस लिए कटाते हैं कि, यह हमें अंतिम संदेष्टा ने कहा है तुम्हारा उलट नहीं, इसमें एक लाभ यह है कि इस जगह के बालों में नाक की गंदगी लग जाती है, जब हम कुछ पीते हैं तो यह बाल उसमें डूब जाते हैं जिस कारण वह गंदगी हमारे अंदर चली जाती है,
जवाब देंहटाएंदाढी हमें बुराईयों से बचाती है, जैसे अगर दाढी वाला मामूली सा भी गलत काम करे तो सब कह देतें हैं मियाँ शर्म नहीं आती, एक लाभ यह है कि इससे जबाडा मज़बूत होता है, सेविंग करने से यहां की बारीक रगों पर घस्से पडने से आँखों की रोशनी को नुक्सान होता है,
8. यह दोनों शायर न हिन्दू की तरफ थे न मुसलमान की तरफ यह तुम हो, दोनों पर मुसीबतें पडी इस लिए कभी कभी कुछ कहते रहते थे, जनाब के जैसा पियक्कड इधर ना उधर यह भी मीर ही कहता है
मीर तक़ी 'मीर'
मस्ती में शराब की जो देखा
आलम ये तमाम ख़्वाब निकला
तो तुम्हारा जवाब है
बच्चा जब पैदा होता है वह न हिन्दू होता है न मुसलमान, गुसलमान बनाने के लिए उसके कान में अज़ान दी जाती है, खास धर्म में जाने के लिए कोई शायद झूठ कहता है मुँह गाय का मूत्र डाला जाता है,
फिर यह बताओ हम उल्टे और तुम सीधे कहां पैदा हुए, सब कुछ खेल तो उसके बाद का है,
अब यह सवाल मत कर देना का कि बच्चा पैदा करने के लिए हम 'काम' सीधे करते हैं तो फिर तुम 'काम' उलटा क्यूं नहीं करते,
अवधिया चाचा
जो कभी अवध ना गया
@ इकबाल बेटा, तुम जवाब तो दे रहे हो, महान शायर के नामसे, और तुम्हारी हरकत ऐसी के क्या कहें, hamen क्यूँ बदनाम कर रहे हो, अवध की कसम तुमने आखिर में हमारा डायलाग लिख के तो हमें अवध जाने योग्य ना छोडा, बडे अरमान थे एक काशिफ और दूसरे अवध को देखने के, आगे से होशियार रहा किजिऐ हमारा नाम ना इस्तेमाल किया किजिऐ वेसे हमें कोई एतराज भी नहीं होगा, कभी भूल-चुक होजायेतो
जवाब देंहटाएंअवधिया चाचा
जो कभी अवध ना गया
सबको पता है -
जवाब देंहटाएंइकबाल = अवधिया चाचा = कैरान्वी
इस बहस का कोई अंत नही है, कुछ हासिल नही होगा । हां ये तो पता चल गया कि इकबाल और अवधिया एक हैं। इनकी लुंगी गिर चुकी है ।
जवाब देंहटाएंपहली बात मैनें झुठ नही कहा है....आप झुठ बोल रहे हैं....मैनें आपके ब्लोग पर पहली टिप्पणी 22 नवम्बर को 11 : 03 PM पर की थी और जब 23 नवम्बर को 09 : 25 AM पर मैनें आपको दुसरी टिप्पणी की तब मेरी पहली टिप्पणी प्रकाशित नही हुई थी.......तब भी आपके लेख पर चार टिप्पणी थी....
जवाब देंहटाएंफिर 23 नवम्बर की रात को 9 बजे की आस-पास आपका ब्लाग खोला था तब भी मेरी टिप्पणीयां प्रकाशित नही हुई थी......
24 नवम्बर को सुबह 8 बजे तक आपने मेरी टिप्पणीयां प्रकाशित नही हुई थी.....उसके बाद मैनें 24 नवम्बर को दोपहर 1 बजे के लगभग आपका ब्लाग खोला था.....तब मुझे आपके लेख पर अपनी टिप्पणियां मिली थीं.....
और आप Google Analystic या FeedJit का Pro Version इस्तेमाल करते है तो आप मेरी बतायें गये टाइम को चेक कर सकते है.....उसमें आपको मेरी लोकेशन आगरा या मथुरा बतायेगा.....
अब आपके सवालों के जवाब...
जवाब देंहटाएंआपका पहला सवाल
"हम पूर्व दिशा की तरफ़ मुँह करके उपासना करते हैं तो
तुम पश्चिम की ओर मुँह करके"
आप तो अपने आपको बहुत बडे मास्टर कहते हो...क्या हुआ इतनी भी जानकारी नही है कि मुस्लमान काबे की तरफ़ रुख करके इबादत करते है......चाहे दुनिया में किधर भी हों....अब पूर्व वाला पश्चिम की तरफ़ मूंह करता है और पश्चिम वाला पूर्व की तरफ़.....
आपका दुसरा सवाल
"हम देवनागरी में बाएं से दायें लिखते हैं तो
तुम उर्दू में दायें से बाएं"
उल्टा आप लिखते हों...सारे शुभ काम दायें हाथ से करते हो लेकिन लिखना शुरु बायीं तरफ़ से करते हो......जबकि हम सारे अच्छे काम सीधे हाथ से करते है और लिखते भी सीधी तरफ़ से हैं..
आपका तीसरा सवाल आपने उल्टा लिखा है..
"हम पायजामा पहनते हैं तो तुम लुंगी"
भाईजान आपको इतना भी नही पता की पायजामा और पठानी सलवार हिन्दुस्तान में आफ़गानीयों और मुगलों के साथ आयें है क्यौंकि अफ़गानिस्तान में ठंड बहुत ज़्यादा पडती तो वहां खुला कपडा नही पहना जा सकता है लेकिन अब आपने इसका नाम ले दिया है तो मैं तुलना कर देता हूं......
लुंगी के बहुत सारे नुकसान है लेकिन पायजामे के नही...पायजामें को पहन कर आप कैसे भी बैठ सकते है..उकडु, पालती मारके, चाहे जैसें किसी भी हालत में आपकी शर्मगाह दिखने की गुंजाइश नही है
इक़बाल जी अगर आपको सही जानकारी न हो तो कृपया जबरजस्ती "विद्वान " न बने..
जवाब देंहटाएंये इस मेडिकल की किताब में लिखा है की दाढ़ी बनाने से आंखे कमजोर होती है ??
इस्लाम का जन्म अरब में हुआ , वहा बहुत ही गर्म हवाए चलती है इसलिए वहा के लोगो दाढ़ी बढ़ाना शुरू कर दिया . जिससे गर्म हवाओ से चेहरे को नुकसान न हो ..
ये बात जब में जेद्दाह में था तो एक इस्लामी विद्वान ने मुझे बताया ..
अब भारत के मुस्लमान भी जबरजस्ती अपने आपको अरबी दिखाना चाहते है . ये अलग बात है की अरब में भारतीय और पाकिस्तानी मुसलमानों को दोयम दर्जे का माना जाता है ..
क्या इस्लाम का कोई वैज्ञानिक आधार है ? मेरे कुछ सवाल है जिनका उत्तर मै किसी इस्लाम के जानकर से जानना चाहता हूँ ..
जवाब देंहटाएं1 - इस्लाम में विवाह आपस के रिश्तेदारों यहाँ तक की एक ही बाप की औलादे अगर अलग अलग माँ से जन्मी है तो विवाह कर सकती है ..
मित्रो आप किसी भी मुस्लमान डॉक्टर जो MBBS हो उससे पूछो क्या ये मेडिकल साइंस से सही है ??
हरगिज़ नहीं आपस के रिश्तेदारों से शादी करने से "जिन्स लिंक्ड डिसिसेस" होने की संभावना 99 % बढ जाती है ..
जबकि हिंदुत्व का एक एक सिन्धांत विज्ञानं पर आधारित है .. हिन्दुओ में सगोत्रीय विबाह बर्जित है .. सोचो हिन्दू धर्म कितने लाखो सालो पहले से जींस और क्रोमोसोम के बारे में जनता है
हिन्दू सूर्य की पूजा इसलिए करते है क्योकि इस धरती पर जीवन का आधार सूर्य है .. सूर्य की किरणों से ही हरे पेडो में फोटोसिन्थेसिस की क्रिया होती है जिससे पेड़ पौधे जिन्दा रहते है और इन्सान और दुसरे जानवर भी पेड़ पौधे पर ही जिन्दा रहते है .. चाँद का इस बह्मंड में कोई रोल नहीं है .
ऋजु वेद में ये लिखा है की धरती और चंद्रमा सूर्य के चारो और चक्कर लगाते है .. जो आज विज्ञानं भी मानता है .
मित्रो मै किसी बहस में नहीं पड़ना चाहता .. मैंने 26 इस्लामी देसों की यात्रा की है बहुत से इस्लामी विद्वानों से मिला हूँ सब लोग मानते है की सच में आज का विज्ञानं जो खोजता है उसकी परिकल्पना हिन्दू धर्मं ग्रंथो में लाखो सालो से है ..
महर्षि कणाद ने सबसे पहले लिखा की पदार्ध छोटे छोटे अणु से बनते है ..
नासा ने भी अपनी वेब साईट पर लिखा है उसकी कई खोजो की प्रेणना हिन्दू धर्म ग्रंथो से मिली है ..
एपीजे कलाम साहब भी लिखते है की मिसाइल बनाने की प्रेणना उनको हिन्दू धर्म ग्रंथो से मिली है
किसी भी प्राणी को यदि चाकू से हलाल करते है तो डर और दर्द से उसके अन्दर कई खतरनाक estorides बनते है .कृपया नेचर पत्रिका में पढ़े ..
क्या इस्लाम में ऐसा है जो आज की विज्ञानं सही मानती हो ??