शनिवार, 8 अगस्त 2009

अल्लाह, इस्लाम, कुरआन और मुसलमानों को गरियातें हिन्दी ब्लोग्गर...!!! Hindi Blogger's Abusing Allah, Islam, Qur-an And Muslim's

पिछ्ले ७-८ दिन से स्वच्छ सन्देश: हिन्दुस्तान की आवाज पर कुछ धर्मों के मुताल्लिक बह्स हो रही है जिसमें ये प्रथा होनी चाहिये या नही, वो होनी चाहिये या नही। मैं भी इस बहस में शामिल था क्यौंकि थोडी बहुत जानकारी इस नाचीज़ को भी है। बह्स सही चल रही थी लेकिन अचानक एक हिन्दी ब्लोग्गर ने अभ्रद भाषा का इस्तेमाल शुरु कर दिया और उसकी देखा देखी और लोग भी शुरु हो गये।

ये लोग कुरआन को बकवास करार दे रहे है, मुह्म्मद साहब को सबसे बडा गुनहगार बता रहे है और भी बहुत कुछ कहा है उन लोगो ने...जिससे मुझे बहुत तकलीफ़ पहुंची है.......



मैं यहां उन लेखों के के लिन्क के साथ उन टिप्पणीयों को भी पेश कर रहा हूं...देखे और अपनी राय दें...





मांसाहार क्यूँ जायज़ है? Non-veg is allowed, even in hindu dharma?


Varun Kumar Jaiswal ने कहा…

लेकिन शरद जी क्या आपको मालूम नहीं की , जब वो कुरानी बक्वासें लिखी गयी थी तब मिक्सी का अविष्कार नहीं हुआ था , लेकिन इन कम- अकलों को कौन समझाए |
July 31, 2009 11:45 PM

Varun Kumar Jaiswal ने कहा…

भाई आखिर एक गड्ढे की ही गंदगी में पानी डाल - डाल कर सूअरों का पूरा कुनबा भी पल जाता है ,
ये कै+रानवी ( जिनके तर्कों से कै हो जाये ) भी मुर्गी खिलाकर अपना कुनबा पाल ही लेगा |
August 1, 2009 2:44 AM

अनुनाद सिंह ने कहा…
कौन से अल्लाह ने कुरान अता की है जिसमें-

* एक ही बात बीसों बार दुहरायी गयी है।
* खुदा आदमी को बार-बार 'चैलेंज' कर रहा है।
* कुरान के जो अध्याय हैं उनका क्रम नितान्त अवैज्ञानिक है।
* साहित्यिक दृष्टि से यह एक अति सामान्य कृति है।
* अर्थ की दृष्टि से हर दूसरे वाक्य में अल्लाह का नाम लेकर डराया गया है।
* तत्व की दृष्टि से भी अत्यन्त सामान्य बातें कहीं गयीं हैं। कोई इसकी कोई पाँच आयतें बता दे जिनको किसी विद्वानों की सभा में उद्धृत (quote) किया जा सके।
August 1, 2009 12:59 PM

Varun Kumar Jaiswal ने कहा…

अनुनाद जी से पूरी तरह से सहमत
एक और बात मैं अपनी तरफ से जोड़ना चाहूँगा ,

कुरआन तात्कालिक रूप से एक डरी एवं लुटी - पिटी हुई कौम को धार्मिक रूप से संबल देने हेतु
एक अति महत्वकांक्षी व्यक्ति की रचना है |
उसकी सबसे बड़ी और एकमात्र खासियत यह थी की उस समय अरब जगत में उससे बेहतर कोई और कवि नहीं था ||

बाकि बुराइयों में भी वो अव्वल ही था ||

उसकी रचनाओं ने दुनिया को अल्लाह के नाम पर डराने की कुत्सित कोशिश जारी रखी है '

सत्यमेव जयते ||
August 1, 2009 1:19 PM

Varun Kumar Jaiswal ने कहा…

अरे , गधों से बदतर दिमाग वाले " चैलेन्ज - नबीसों "
समझाने के लिए तर्कों की नहीं बल्कि खुदाई पैगम्बर की ज़रूरत है ||

तब भी एक नई आसमानी किताब लिखी जायेगी |

आमिन् ||
August 1, 2009 2:54 PM







इस बह्स में भुपेश गुप्ता "वजुद" जी ने बीच-बचाव कराने की कोशिश की लेकिन कोई फ़ायदा नही हुआ





भूपेश गुप्ता ' वजूद ' जी ने कहा…

आप लोग वास्तव में एक बेकार बहस में पद गए हैं. सलीम ने जो कहा है उसे वैस ही अर्थों में लें तो अच्छा है. आपने इसे हिन्दू मुसलामानों से भी जोड़ दिया. कितनी बेहूदगी है. क्या आपको हिन्दू धर्म यही सिखाता है? मैं हिन्दू हूँ, इस पर मुझे गर्व है, लेकिन कभी कभार मांसाहार करता हूँ इसका भी मुझे कोई अफ़सोस नहीं. सलीम ने पहले ही कहा है कि मुसलमान भी ज़रूरी नहीं कि मांसाहारी हों, फिर बहस क्यों? यह सही है कि मनुष्य को सिर्फ वही सब खाने में सहूलियत होती है जो वह खा सकता है. मनुष्य शेर, चीता या भालू का मांस नहीं खा सकता, क्योंकि ये असंभव तो नहीं मुश्किल ज़रूर है. फिर सलीम ने मुसलामानों को भी इसके खाने की पैरवी नहीं की है. आप लोग नाहक ही अंधे होकर दुसरे धर्म पर दोष मध् रहे हैं. आप यदि सच्चे हिन्दू हैं तो कुरान भी पढिये. आप सभी को ऐसी बहस से शर्म आनी चाहिए, देखिये सलीम मुसलमान होते हुए हिन्दू धर्म ग्रंथों को पढ़कर ही उसकी समीक्षा कर रहा है. इस समीक्षा में भी उसने ग्रंथों के सम्मान को कोई चोट नहीं पहुँचाई है.
August 1, 2009 1:28 PM




आईये करें गपशप वाले प्रभात गोयल जी ने भी बीच-बचाव करने की कोशिश की लेकिन तब भी कुछ असर नही हुआ




पहले भारतीयता को लाइये, हिन्दू, मुसलमान बाद में बनियेगा


Anonymous said...

ये सलीम सब हिन्दुओं को वेदों और पुरानों की और लौटने के लिए क्यों कहता है?
हम तो इसे घटिया कुरान को अच्छे से पढने की सलाह नहीं देते.
July 30, 2009 11:13 AM


ज़रा देखिये तो इन बेशर्म ब्लोग्गरों को कहीं भी घुसे आते हैं ........http://janokti.blogspot.com/2009/07/blog-post_1543.html

Varun Kumar Jaiswal ने कहा…

कुरानी बकवासों का मामला -
कैरानवी Rank - 2

निहायत ही घटिया अवतारवादी तर्क का मामला -
कैरानवी Rank - 1

जल्दी पहुचें कोई और आगे न निकल जाये |









भगवान शिव काबा में विराजमान हैं? Bhagwan Shiv esteblished in Kaa'ba?


Jyotsna ने कहा…

फुल कॉमेडी है तुम्हारी कुरान और हदीस में कही बातें. भाईजान, कोई बेवकूफ ही इस तरह की इंडिया टी वी छाप बातों में यकीन कर सकता है. पूरी दुनिया में जब मुसलमानों की वाट लग रही है तब तो तुम्हारा अल्लाह जन्नत में हूरों के साथ रंगरलियाँ मना रहा है! कौन ऐसी बेसिरपैर की बातों में यकीन करेगा!

तुम लोग तो छोडो ये कम्प्युटर और ब्लॉगिंग वगैरह. ये कतई इस्लामी नहीं हैं. कबीलाई धर्म को माननेवाले हो तुम लोग, तुम्हें ये जादू-टोटके जैसी बातें ही समझ में आती होंगी.

दूसरों को पागल समझा है क्या?
July 31, 2009 10:23 PM







पूर्व मुख्यमंत्री नारायण दत्त तिवारी के पोते आचार्य संजय द्विवेदी ने अपनाया इस्लाम बन गए अहमद पंडित


ab inconvenienti ने कहा…
नारायण दत्त ने अभी तक शादी नहीं की है........ किसी अविवाहित इन्सान का पोता कैसे हो सकता है? नाजायज़ औलाद? तब तो वह इस्लाम के ही लायक है ;-)







स्त्री एक से अधिक पति क्यूँ नहीं रख सकती? More then one husband, why not?

Varun Kumar Jaiswal ने कहा…

कुरानी बकवासों का पूरा मंच तैयार करने में जाकिर नाइक से कोई कमी रह गयी थी , अतः अब आप औजार ले कर पिल पड़े |
१४०० वर्षों में इस्लाम ने औरतों को वो ज़लालत भरी जिन्दगी दी है कि अगर तुम औरत होते तो अपनी बदकिस्मती और कमजोरी का रोना भी न रो सकते थे | वैसे तुम्हारे इन दकियानुसी बकवासों को आम लोगों ने कब का आइना दिखा दिया है , कुछ समय में अल्लाह के बन्दे भी इनसे तौबा कर ही लेंगे |
July 30, 2009 12:27 PM


Varun Kumar Jaiswal ने कहा…

अरे काशिफ आरिफ भी इस ओखल में सर देने चले आये अगर तर्कों की बात की जाये तो एक बात बताओ कि क्या गोबर में तर्क रूपी घी डालने से वो हलवा बन जाता है ?

नहीं न तो फिर कुरानी बकवासों को छद्म तर्कों के सहारे भोली - भली आम जनता के सामने रखने से जाकिर नाईक और वो सनकी मोहम्मद उमर कैरानवी कोई वैज्ञानिक विवेचना तो कर नहीं रहा है |

और वो जो गोबर परोस रहा है वो तुम सब हलवा समझ खा रहे हो ,

खाते रहो और खुश रहो , लेकिन याद रखना वो है तो गोबर ही ||

और हाँ याद रखना पचने में समस्या हो तो मैं कई चिकित्सकों को जानता हूँ ||
July 31, 2009 2:45 AM


इन लोगो ने इतना कुछ कह दिया लेकिन अबतक किसी भी मुसलमान ब्लोग्गर ने उनको पलटकर इस भाषा में जवाब नही दिया है......मैं किसी ऐसे मुस्लिम हिन्दी ब्लोग्गर को नही जानता हूं जिसने किसी भी धर्म के बारे में कभी भी गलत भाषा का इस्तेमाल किया हो.... क्यौंकि इस्लाम इस चीज़ की इज़ाज़त नही देता है.....

पाक कुरआन में साफ़ कहा गया है "की तुम दुसरों के खुदा को बुरा मत कहो वर्ना वो तुम्हारे खुदा को बुरा कहेंगे"

वो बन्दा अपने धर्म का प्रचार कर रहा है जिसका हक सबको है...अगर उसने आपके धर्म के बारे में कोई ऐसी बात कही है जो आपको नागवार है तो आप सही शब्दों का भी तो इस्तेमाल कर सकते है?

क्या दुसरे के धर्म को गाली देने से आप और आपकी बात सही साबित हो जायेगी? मुझे तो ऐसा नही लगता..

जहां तक मैं सनातन धर्म को जानता हूं उसमे ऐसा कहीं नही कहा गया है की दुसरे धर्म के लोगो को गाली दो, उनके खुदा को गाली दो...

मैं नही जानता की इन लोगो का मुसलमानों को लेकर क्या तजुर्बा है? या किसी मुसलमान ने इनके साथ गलत किया है?

लेकिन आज मैं आप लोगो को अपने बारे में बताता हूं कि मेरा क्या तजुर्बा है....

  • ६ दिसम्बर १९९२ के बाद के दंगे में मेरे बडे भाई ने अपने बचपन का दोस्त और हमारे सबसे करीबी पडोसी ने अपना बेटा खोया था।


  • इसी दंगे के बाद आगरा में लगे कर्फ़्यु में हमारी पडोसन जो छत पर सुखे कपडे उतारने गयी थी उनको पी.ऎ.सी. के जवान ने गोली मार दी जो उनके सीने के पार होकर सामने दीवार में जा लगी....वो गोली आज भी वहां मौजुद है------वो पडोसन मेरी मां की सबसे अच्छी सहेली थी और मेरे दोस्त की मां थी-----मुझे आज भी अपने दोस्त की चीखें और उसकी मां के कफ़न पर मौजुद खुन याद है-----उस वक्त मेरी उम्र साढे छ्ह साल थी।


  • गुजरात के दंगे में मैने अपना दोस्त और सहपाठी जो मेरे साथ १०वीं क्लास तक पढा था को खोया है----उसके बाद उसके पिताजी का गुजरात तबादला हो गया तो वो भी वही चला गया-----उसकी लाश तक नही मिली है लेकिन सबको पता है वो इस दुनिया से चला गया। उस हाद्से के बाद उसके पिताजी गुजरात छोडकर वापस आ गये।


  • मेरे रिश्ते के चचा गुजरात में अपनी जीवन भर की कमाई लुटाकर वापस आगरा आ गये हैं।


  • जिस दुध वाले की दुकान से हमारे दादा के ज़माने से दुध आ रहा है उस दुधवाले ने दो साल पहले शब्बे-बारात को जो दंगा हुआ था उसमें उसने मुसलमानों पर गोलियां चलाई थी----उसकी तस्वीर अखबार में आयी थी---वो आगे बैठा गोली चला रहा था और उसके पीछे हमारे एस.एस.पी. साहब खडे अनाउंस कर रहे थे की "मुस्लिम भाईयों पथराव बन्द कर दीजिये"। आज भी जो लोग उससे दुध लेते थे वो लोग अब भी ले रहे है--------मेरे घर में भी वही से दुध आ रहा है।

ये लिस्ट बहुत लम्बी है लेकिन मैने आज तक किसी भी आदमी से चाहे वो किसी भी धर्म का हो कभी कुछ नही कहा नाहि आगे कुछ कहने का इरादा है।

"मेरी आप सब ब्लोग्गर्स से गुज़ारिश है की ये ब्लोग का मंच जो हमें मिला उसका सही उपयोग करें और अगर कोई भी बहस होती है चाहे वो किसी भी विषय पर हो----उस बह्स में सही और उपयुक्त शब्दों का प्रयोग करें और याद रखें किसी की भावनाओं को ठेस ना पहुचें"


34 टिप्‍पणियां:

  1. काशिफ़ साहब
    ये लोग बेहद पतित और घृणित लोग हैं। ये उस समूह का प्रतिनिधित्व करते हैं जो सिर्फ़ घृणा फ़ैलाता है।
    मैं आपका दर्द समझता हूं।
    सच यह है कि हर धर्म अपने समय की ठोस हक़ीक़त पर आधारित है। चम्त्कार और मूर्खता पूर्ण बातें हिन्दु धर्म में सबसे ज़्यादा हैं क्योंकि वह सबसे पुराना है…इस्लाम और इसाईयत में भी हैं क्योंकि साईंस के विकास ने तमाम पुरानी चीज़ों को बकवास साबित कर दिया।
    बेहतर हो कि धर्मों पर खुली नज़र से पुनर्विचार हो। पर यह किसी का अपमान करके नहीं हो सकता।

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  2. आमीन।

    बड़ी लम्बी टिप्पणी लिखी थी लेकिन ईश्वर-अल्ला को मंज़ूर नहीं था शायद कि एक नास्तिकता की हद पर रहने वाला मुआमले में दखल दे सो पोस्ट करते ही उड़ गई। बैकुण्ठ गई कि बहिश्त पता नहीं।

    खौफनाक उदाहरण दोनों तरफ हैं और अति सुन्दर मंजर भी। अब बेहतर है कि सुन्दरता की तरफ देखा जाय। हाँ, बेहया मजहब प्रचार, दूसरे धर्म की बातों को तोड़ना मरोड़ना और अपने मजहब को सबसे श्रेष्ठ बताने से संवाद नहीं दुर्वाद पैदा होता है, यह आप की इस पोस्ट से स्पष्ट ही है। आशा करता हूँ कि अब इस पोस्ट पर भी 'अस्वच्छता' नहीं फैलाई जाएगी।

    सत्यम् शिवम सुन्दरम

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  3. अरे भैया क्या अब गरिया भी नहीं सकते | जो बात अच्ही ना लगे उसका विरोध करने का हक सबको होता है, लोकतंत्र है |
    रही बाद लोगो के कमेन्ट की और आपके "इमोशनल नुक्सान" की , तो वो सबके साथ हुआ है | कश्मीर हो या गुजरात या मैसूर कितने हिन्दू लोग मारे गए, इस बात पे मीडिया या किसी ने भी चर्चा तक की ? आपके पुरखो ने कितने मंदिर/ स्मारक तोडे, तख्शिला हो या कशी विश्वनाथ, कितने लोगो को मारा सिर्फ धर्म के नाम की जबरजस्ती के लिए| अभी भी वो जरी है आतंकवाद और वोट बैंक के नाम पे हमारे नेता भी इस लोकतंत्र को एक धार्मिक अखाडा बना दिया है | प्रगति पे अभी कोई ध्यान नहीं है, क्यों ? आप और हम दुखी है जिस बात पे (अपने बच्चो की सिक्षा, सेहत इत्यादि, आप उन बातो पे क्यों नहीं लिखते ? ) | जब आप "ब्लॉग्गिंग" को धर्म प्रचार का मैदान बनायेंगे, तो गलिया तो मिलेंगी, क्योकि हम भी Frustated आपके इस मानसिकता से | जब भी आप इसलाम का प्रचार करतें है (indirectly) तो आप लोगो की हरकते याद आ जाती है, इसी लिए गलिया मिलती है, और इसका हमारा हक बनता है | अगर आप किसी को सतायेंगे तो वो गाली भी नहीं दे सकता ? क्योकि हम और कुछ तो कर नहीं सकते ........................ क्या सोचते है ? दुःख सिर्फ आपको होता है ?

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  4. हालांकि कुछ लोगों की भाषा निश्चित रूप से गलत है, लेकिन जब तर्क का जवाब कुतर्क से दिया जाने लगे, अथवा पूछे गये प्रश्न का सीधा जवाब न मिले बल्कि "सतत सलाह मिले कि तुम एक पैगम्बर को मान लो, एक किताब को पढ़ लो सब ठीक हो जायेगा…" तब कुछ लोगों का संयम टूटना स्वाभाविक है। इसीलिये उस चिठ्ठे पर तमाम बहसों में मैंने अधिक टिप्पणी नहीं की, बल्कि एक-दो बार यह सलाह भी दी कि उक्त कथित "स्वच्छ"(?) ब्लॉग का एकमात्र उद्देश्य इस्लाम का प्रचार है, इसलिये इससे दूर रहें और खामखा टिप्पणी देकर मामले को अधिक न उलझायें…। संयत भाषा में टिप्पणी करना हर किसी के बस की बात नहीं है…। और ये जो अन्त में लिस्ट आपने गिनाई है, उससे बड़ी लिस्ट कभी भी आसानी से कोई भी हिन्दू भी दे सकता है… जिसने इस्लामी आतंकवाद के चलते अपना काफ़ी कुछ खोया है, इसलिये आपकी यह लिस्ट इस चिठ्ठे के विषय के हिसाब से बेमानी है।

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  5. aarif ji
    maine aaj aapaka blog padha hai isase pahale maine nahi padha lekin aaj ke pure masale pe itihas ka student hone ke nate yahi kahunga ki dhrm koi ho agar dusaro ko pareshan na kare to thik hai lekin agar aap is tarah charcha karenge to aap ko kya milega mai ye nahi janata lekin yaitihasik rup se aap puri tarah galat hain, kyonki islam ko is desh ne jitana jhela hai sayad hi kisi ne jhela hoga usake vavajud hamane aap ki kaum ko gale se lagaya, agar America ko dekhen to aap ko samjh me aa jayega,
    isliye aap se meri gujarish hai ki in falto va jabarjasti vale topik ka tyag karen. aur sabhi Bloger vashiyon se anurodh hai ki in mamalo par tippdi na de.

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  6. Arif ji, aapne badi chalaki se selected comments uthaaye hain. Apko Salim ji ki wo tamaam line bhi yahan publish karni chahiye thin jinko lekar is tarah ke comment diye gaye. Apko Salim ji ki post ka bhi jikra karna chahiye tha jinme unhone hinduwon ki bhawanaaon se khilwaad kiya hai. Salim Khan ke blog aane se pahle kya kahin bhi is tarah ke comment mile hain apko.

    Ap selected baton ko likhakar doosron ko doshi saabit karna chahte hain. Apka yah prayas kitna achcha hai uspar blogger apni pratikriya dekar jaroor batayein.

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  7. aisi hi ladai me tumhe achchi khasi comment mil gai bhai. ab to khush.
    mera to sabhi bahi bahno se nivedan hai ki ladai jagda mat karo. vo pahle ka jamana tha jab mahabharat me Draupadi ke panch aur sita maiya ke panch pati hote the. tab kahan DNA hua karta tha? tabhi ham bhi un sab ko aaj bhi pujte hai ki nahi?
    vo to hamare bhagvan hai.fir nahak ladai kyo???

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  8. काशिफ़ भाई! धन्यवाद इस लेख के लिए!!

    होता यूँ है कि कुछ लोग जो धर्म के मायने नहीं जानते है उनसे नादानी में इस तरह की गलतियाँ हो जाती है, मैं फिर उन सब ब्लोगर्स को यह समझाना चाहता हूँ कि "ईश्वर एक ही है दूसरा नहीं है..."

    यह सनातन अर्थात हिन्दू धर्म ग्रन्थ में भी लिखा है (वेदों में) और कुरआन में और बाइबल में भी ......

    आईये हम सब मिल कर यह अध्ययन करें कि आखिर सच्चाई क्या है.....इस तरह से गरियने से तो कुछ नहीं होता

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  9. युवा संवाद से सहमत अगर ऐसी कोई बहस या पुनर्विचार का चर्चा हो तो मुझे ज़रूर बुलाएयेगा, मैं ज़रूर आऊंगा.

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  10. गिरिजेश राव जी

    सत्य यह है कि "ईश्वर एक ही है आपका हमारा और सबका तो खुले मन से यह स्वीकार करने में कोई हर्ज़ नहीं......................या चलिए खुले मन से नहीं तो वैचारिक रूप से या अध्ययन के उपरांत ही सही.... यह स्वीकार करने में कोई हर्ज़ नहीं


    कि

    ईश्वर एक ही है

    एकं ब्रह्मा द्वितीयो नास्ति. नेह्न्ये नास्ति, नास्ति किंचन"

    अर्थात

    भगवान् एक ही है, दूसरा नहीं है. नहीं है, नहीं, ज़रा भी नहीं.....

    और वेदानुसार और कुरआन के अनुसार भी "न तस्य प्रतिमा अस्ति"

    उसकी कोई प्रतिमा नहीं, कोइबुत नहीं, कोई फोटो नहीं, कोई मूर्ति नहीं.....................

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  11. सुरेश चिपलूनकर भैया, आपसे मुझे उम्मीद है, दरकार है, एक सार्थक बहस की. और मैं इस हमारा हिन्दुस्तान पर ही आपको आमत्रित करता हूँ कि आप इस्लाम के मुताल्लिक़ जो भी सवाल करेंगे. इंशा-अल्लाह आपको जवाब मिलेंगा....

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  12. सुरेश चिपलूनकर जी, ज़रा आप मेरे उन कुतर्कों का ज़िक्र यहाँ कर सकते हैं

    जवाब देंहटाएं
  13. @ काशिफ आरिफ .....

    आपने मेरी जिन टिप्पणियों को छापने की दरियादिली दिखलाई है जरा उनके तात्कालिक सन्दर्भों के लिए भी लोगों का ध्यान आकर्षित करने की हिम्मत दिखलायें एवं जनता को स्वविवेक से निर्णय लेने दें , अन्यथा इस कायरता भरी पोस्ट से आपकी वैचारिक नपुंसकता ही सामने आ रही है ( मुस्लिम ब्लॉगर इस मामले में अपवाद तो साबित होने से रहे....... ) .

    @ पाठकगण

    जिन टिप्पणियों का उल्लेख है उनसे संबधित पोस्ट पर एक बार और जाकर ( वैसे गंदगी ही है पर सफाई भी तो हम सभी को मिलकर ही करनी पड़ेगी ) सभी टिप्पणियों को ध्यान से पढ़कर निर्णय करें , आपका आभारी रहूँगा ||

    वैसे आप लोगों को भी एक प्रश्न का उत्तर तो मिल ही गया होगा कि क्यों इमरान हाश्मी जैसे देशद्रोही अन्य मामलों में जूते खाने के बाद मुसलमान होना याद करने लगते हैं |

    @ सलीम खान

    अपने कथित (स्वच्छ ??) ब्लॉग पर तर्कों के जूते खाकर भी आपका मन नहीं भरा कि अपने इस बिरादर ( काशिफ आरिफ ) की सहायता के मोहताज़ हो गए |
    अगर तुम्हारी सारी बातें इतनी ही सही हैं तो मोहल्ला जैसे सेकुलर ब्लॉग से धकिया कर क्यों निकाल दिए गए हो और साथ ही आज पूरे ब्लॉग जगत में तुम्हारी थू - थू क्यों हो रही है ?

    जवाब देंहटाएं
  14. @ पाठकगण

    इन लोगों के कुतर्कों का जवाब देना आखिर क्यूँ आवश्यक है इस विषय पर मैं भी एक पोस्ट लिखी थी
    जरा आप सब भी इसे देखकर अपना निर्णय लें |

    कुतर्कियों को जवाब देना आवश्यक है

    || सत्यमेव जयते ||

    :P , :D , ;)

    जवाब देंहटाएं
  15. इस टिप्पणी को लेखक द्वारा हटा दिया गया है.

    जवाब देंहटाएं
  16. लो भाई यहाँ पर भी वही भैंसों का तबेला लगा हुआ है ...........

    मेरी भी बीन सुन ही लो ...............

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    तू रु.. रु रु.. रु रु रु रु..

    तू रु.. रु रु.. रु रु रु रु.. .......... :) :)

    जवाब देंहटाएं
  17. यदि किसी अत्यन्त प्रतिभाशाली व्यक्ति से तुम्हारा साक्षात्कार हो तो उनसे पूछना चाहिये कि उन्होने कौन सी किताबें पढ़ीं हैं; यदि किसी मूर्खतापूर्ण तर्क करने वाले से पाला पड़ जाय तो पूछना चाहिये कि उसने कुरान तो नहीं पढ़ी है?

    -- इमर्शन

    जवाब देंहटाएं
  18. लेख का सारांश : अगर लेख पसंद आया हो तो इस ब्लोग का अनुसरण कीजिये!!!!!!!!

    जवाब देंहटाएं
  19. मुझे यह पोस्ट पसन्द आई. मैं ऐसे मुसलमानों का सम्मान करती हूँ जो अपने अलावा और धर्म के लोगों का भी आदर करते हैं. यहाँ नीलेश जैन के ब्लॉग (http://yoursaarathi.blogspot.com/) से एक वाक्य कोट करना चाहूँगी---

    ग़लत अपने को केन्द्र मानना नहीं है ...
    ग़लत तो है अपने को ही केन्द्र मानकर परिधि खींच लेना ।

    अगर लोग इस बात को समझ लें तो जो धार्मिक कलुषता आज
    दुनिया को निगले जा रही है वह रूक जाए.

    जवाब देंहटाएं
  20. Dr. Ghulam Murtaza Shareef

    "Khisyani Billi Khamba Nochey" . in bhatkey huey logoon ke pas jab koi
    bat kahney ko nahein bachi to aur kia kareingey.
    Suraj ki oor thookney se moon par hi girta hai.
    Islam bhai chare ka dharm hai jiski siksha hai.."APNE DHARM KO CHORO NAHIE AUR DOOSREY KE DHARM KO CHERO NAHEIN"
    Dr.Ghulam Murtaza Shareef
    Karachi (Pakistan)

    जवाब देंहटाएं
  21. @ युवा संवाद

    आपकी बात से सहमत हूं इसलिये ये लेख लिखा है।

    अगर आप चमत्कार वगैरह की बात कर रहे है तो इस्लाम या कुरआन में ऐसा कुछ भी नही जिसे सांइस ने गलत साबित किया हो!

    इस बात की एक मिसाल आप यहां पढ सकते है

    जवाब देंहटाएं
  22. गिरिजेश राव जी

    आपकी टिप्पणी नही छपी उसके माफ़ी चाहता हूं इस परेशानी की वजह से कमेंट बाक्स के ऊपर एक लिन्क दे रखा है।

    आपने मेरे लेख का सही मतलब निकाला उसका बहुत बहुत शुक्रिया------रही बात "अस्वच्छता" की वो तो फ़ैल चुकी है!

    बमबम भोले जी

    आपके शब्दों के हिसाब से तो आप हमें गाली दे चुकें है तो इसका मतलब है की हमें भी गाली देने की इज़ाज़त है.....भई लोकतंत्र है! हैं ना------जब मैं गाली दुंगा तो सारे ब्लोग्गर मेरे खिलाफ़ अभियान चला देंगे---"कि एक मुसलमान ने एक हिन्दु को गाली दी---हमारे भगवान को गाली दी"!

    जबकि इस लेख में मैने कही भी किसी भी धर्म का समर्थन नही किया है।----मैनें धर्म को गाली देने वालो को टोका है।

    आप मेरे ब्लोग पर पहली बार आयें है तो लिखने से पहले कुछ लेख पढ लेते तो अच्छा होता----मेरे ज़्यादातर लेख उन्ही विषयों पर है जिनका उल्लेख आपने किया है

    दोषी दोनो तरफ़ है---और मासुम भी दोनो तरफ़ है---इसी प्रकार से हिन्दी ब्लोग्गिं जगत में इस्लाम धर्म का प्रचार अब शुरु हुआ है जबकि "सनातन धर्म" का प्रचार कई वर्षों से हो रहा है।

    मैनें ऎसा तो कभी नही कहा कि "दुख सिर्फ़ मुझे होता है"

    इस ब्लोग का नाम "हमारा हिन्दुस्तान" मैने ऎसे ही नही रखा है---इस ब्लोग का हर लेख सिर्फ़ हिन्दुस्तान की प्रगति करने वाली हर चीज़ का सर्मथन और नुक्सान पहुचाने वाली चीज़ का विरोध करता आया है और करता रहेगा

    आपसे आशा करता हूं कि मेरे पिछ्ले लेख पढे फिर अपनी राय दें

    जवाब देंहटाएं
  23. @ सुरेश जी

    मुझे आपसे ऎसे ही जवाब की उम्मीद थी--आपने ना-ना करते करते सब कुछ कह दिया। आप उल्टा बोल रहे हो---तर्क का जवाब कुर्तक से सलीम खान नें नही और लोगो ने दिया है।

    आप ही बतायें जब वो आपके वेद और गीता के श्लोक के हवाले के साथ आपको कुछ बता रहा है या फिर आपके सवाल का जवाब दे रहा है तो उसके तर्क कुतर्क कैसे हुये????

    अगर आपके हिसाब से गीता और वेद के श्लोक कुतर्क है तो फिर गीता और वेद को आप मानते क्यौं हो????

    फिर भी आपको ऎतराज़ है तो मैं आपकी मेरे ब्लोग पर की गयी टिप्प्णी को ही कोट करता हूं---"कि क्यौं पढते है सलीम खान को और भी बहुत लोग हैं पढने के लिये----समीर जी, दिनेशराय जी, वगैरह वगैरह उन्हे पढिये कोई ज़बरन आपको पढा तो नही सकता"

    क्यौं अपना वक्त बर्बाद कर रहे हैं????

    @ सन्तोष जी,

    ज़रा लिखने से पहले थोडा सा दिमाग इस्तेमाल कर लेते या फिर सिर्फ़ ज़रा ध्यान से पढ लेते---मैने सब साफ़ लिखा है--

    "मैं लेखों के लिन्क के साथ टिप्पणियां दे रहा हुं देखें और अपनी राय दें"

    मुझे अगर चालाकी दिखानी होती तो मैं उन लेखों के लिन्क नही देता!

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  24. आप सारे लोग फालतू की बहस न करो और जजिया दो मुझको, देखो इस्लाम क्या कहता है।


    Tuesday, July 7, 2009
    हर काफ़िर पर चाहे वह ईसाई या यहूदी ही क्यूँ न हो, इस्लाम स्वीकार करना अनिवार्य है, क्यूंकि अल्लाह त-आला अपनी किताब में फरमाता है:

    "(ऐ मुहम्मद ! ) आप कह दीजिये कि ऐ लोगों! मैं तुम सभी की ओर उस अल्लाह का भेजा हुआ पैगम्बर हूँ, जो असमानों और ज़मीन का बादशाह है, उसके अतिरिक्त कोई (सच्चा) पूज्य नहीं, वही मारता है वही जीलाता है. इसलिए तुम अल्लाह पर और उसके रसूल, उम्मी (अनपढ़) पैग़म्बर पर ईमान लाओ, जो स्वयं भी अल्लाह पर और उसके कलाम पर ईमान रखते हैं, और उनकी पैरवी करो ताकि तुम्हें मार्गदर्शन प्राप्त करो." (सूरतुल आराफ़: १५८)

    अतः तमाम लोगों पर अनिवार्य है कि वे अल्लाह के पैग़म्बर (सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम) पर ईमान लायें, किन्तु इस्लाम धर्म ने अल्लाह त-आला की दया और हिक़मत से गैर-मुस्लिमों के लिए इस बात को भी जाईज़ ठहराया कि वो अपने धर्म पर बाक़ी रहें. इस शर्त के साथ कि वह मुसलमानों के नियमों के अधीन रहें, अल्लाह त-आला का फरमान है:

    "जो लोग अहले-क़िताब (यानि यहूदी और ईसाई) में से अल्लाह पर ईमान नहीं लाते और न आखिरत के दिन पर विश्वास करते है और न उन चीज़ों को हराम समझते हैं जो अल्लाह और उसके पैग़म्बर ने हराम घोषित किये हैं और न सत्य धर्म को स्वीकारते हैं, उनसे जंग करों यहाँ तक वह अपमानित हो अपने हाथ से जिज़्या दें दे." (सूरतुल तौबा: २९)

    सहीह हदीस में बुरौदा रज़िअल्लाहु अन्हु से वर्णित हदीस में है कि नबी सल्लल्लाहु अलैहिवसल्लम जब किसी लश्कर (फौज) या सर्रिया (फौजी दस्ता जिसमें आप शरीक न रहें हो) का अमीन नियुक्त करते तो तो आप उसे अल्लाह त-आला से डरने और अपने सह-यात्री मुसलमानों के साथ भलाई और शुभ चिंता का आदेश देते और फरमाते:

    "उन्हें तीन बातों की ओर बुलाओ (विकल्प दो) वह उनमें से जिसको भी स्वीकार कर लें, तुम उनकी ओर से उसको कुबूल कर लो और उन से (जंग करने से) रुक जाओ." (सहीह मुस्लिम हदीस नं. १७३१)

    इन तीन बातों में से एक यह है कि वह जिज़्या दें. इसलिए बुद्धिजीवियों के कथनों में से उचित कथन के अनुसार यहूदियों एवं ईसाईयों के अतिरिक्त अन्य काफ़िरों (गैर-मुस्लिमों) से भी जिज़्या स्वीकार किया जाये.

    सारांश यह है कि गैर-मुस्लिमों के लिए यह अनिवार्य है कि वो या तो इस्लाम में प्रवेश करें या इस्लामी अह्कान शासन के अधीन हो जाएँ.

    अल्लाह ही तौफ़ीक़ देने वाला है.

    लेख संग्रहकर्ता: सलीम खान

    जवाब देंहटाएं
  25. kashif bhai above is a wrong ID created by some anti-social... I came back in evening and got this.....

    who is he... who created very similer ID/blog name as mine

    but i got a different mine is स्वच्छ सन्देश: हिन्दोस्तान की आवाज़

    and fake blog name is स्वच्छ सन्देश; हिन्दोस्तान की आवाज़

    the difference is ';'

    i again want to say to all blooger pliz don't do this type of "neech kaam"

    if you not agree you can debate with me i will give all the answer...

    nahin to is tarah kaam to waqaee khisiyani billi wali baat ho jayegi.......

    VANDE-Ishwaram

    जवाब देंहटाएं
  26. @ सलीम खान,

    यह ठीक है कि मैं सलीम खान नहीं...
    जो पोस्ट मैंने quote की है वह आपके ब्लॉग में ७ जुलाई २००९ को छपी थी क्या इस सच से आप मना करते हो?
    फिर इतना हाय हल्ला क्यों?
    अगर वाकई हिन्दोस्तान को जोड़ना चाहते हो तो आप आज ही इस मंच पर स्वीकारो कि जो इस पोस्ट में लिखा है, गलत है..
    आपकी तरह मुझे भी हक है खुद को मेरे देश की आवाज़ मानने का.....

    जवाब देंहटाएं
  27. @ डुप्लीकेट स्वच्छ सन्देश

    मैने सलीम खान का ब्लोग अभी कुछ दिनों पहले से पढना शुरु किया इसलिये मैने उनका ये लेख नही पढा था....

    आपने बताया तो मैने उसको पढा है...जो आयत उन्होने कोट की है वो "कुरआन" में मौजुद है और उसका तर्जुमा भी उन्होने सही किया है....

    लेकिन यहां मैं एक बात कहना चाहुंगा....कुरआन में "जज़िया" का ज़िक्र सिर्फ़ इसी आयत में है-----इसके अलावा मुझे कोई और आयत नही मिली जिसमें जज़िया का हुक्म हो----मैं ज़ाती तौर पर इस चीज़ के हक में नही हूं क्यौंकी कुरआन में गैर-मुस्लिमों से मोहब्ब्त से पेश आना बहुत सारी आयतों मे बताया गया है जबकि जज़िया की बात सिर्फ़ एक आयत में हैं

    तो मैं जज़िया के हक में नही हूं

    जवाब देंहटाएं
  28. @काशिफ आरिफ जी,
    बहुत शुक्रगुजार हूँ आपका यह कहने के लिये कि आप जजिया के हक में नहीं हैं। 'सार सार को गहि रहैं, थोथा देय उड़ाय'धर्म को लेकर यही भाव हर आधुनिक इन्सान में होना चाहिये।

    "सारांश यह है कि गैर-मुस्लिमों के लिए यह अनिवार्य है कि वो या तो इस्लाम में प्रवेश करें या इस्लामी अह्कान शासन के अधीन हो जाएँ."
    इस पर आपका क्या विचार है?

    मैं वरुण नहीं हूं,यह सब मुझे करना पड़ा उन कुतर्कों की ओर ध्यान दिलाने के लिये जिन्हें ब्लॉग जगत ने अनदेखा कर दिया था।

    @ सलीम खान,
    आप तो अब भी जजिया पर कायम हो मेरा मन साफ है और धर्म प्रचार के नाम पर तुम्हारे द्वारा फैलाई जा रही जहालत के खिलाफ है कयामत के दिन देखना जब हिसाब होगा तो मैं पास होउंगा और तुम फेल क्योंकि तुमने यकीनन धर्मग्रंथ तो बहुत पढे होंगे पर धर्म के मर्म को नहीं समझा।
    तुम में और महसूद में कोई अंतर नहीं एक बारुदी आतंकवाद फैलाता है दूसरा वैचारिक,वह भी अपने धर्म के नाम पर.....

    असली आवाज़!

    जवाब देंहटाएं
  29. काशिफ साहब, इन लोगों का आगरे का डाक्‍टर ही अच्‍छा इलाज कर सकता था, मेरे से तो यह बिदक के भाग लेते हैं अब आगरा के खास अस्पताल में आगये हैं तो आगरा के मशहूर अस्पताल से ठीक कराये बिना इन्हें भागने मत दिजियेगा,
    इनकी अज्ञानता का परिचय इस बातसे भी मिल जाता है कि यह ग्रंथ का नाम क़ुरआन को xकुरानx लिखते हैं, मैंने या दूसरे किसी भी मुस्लिम ब्लागर ने अपमानित अंदाज में कभी किसी धर्मग्रंथ का नाम नहीं लिया जैसे यह ले रहे हैं,
    आप इस्लाम के बारे हमसे अधिक जानते हैं, अल्‍लाह से दुआ है कि और बहुत कुछ आपसे सीखने को मिले

    जवाब देंहटाएं
  30. काशिफ़ आपने बिल्कुल सही कहा है...

    जवाब देंहटाएं
  31. खिसयानी बिल्ली खम्बा नोचे" यह एक प्रसिद्ध कहावत है | जब किसी के पास कहने को कुछ बचता नहीं तो वह अपशब्द और ग़ैर-मयारी
    शब्दों का उपयोग शुरू कर देता है | एसे लोग सहानुभूति के योग्य होते हैं |
    एक मशहूर वाकिया बयान करता हूँ ---- हुजुर मुहम्मद मुस्तफा (सल्लल्लाहो अलैहोसल्लम ) जिस रास्ते से गुज़रते थे एक घर की खिड़की से
    एक बूढी ग़ैर मुस्लिम औरत आप पर कचरा फेकती थी | यह सिलसिला चलता रहा | एक दिन उस बुधिया ने कचरा नहीं फेका | आपको फ़िक्र
    हुई और आपने लोगों से पूछा के यहाँ एक बूढी औरत होती है कहीं गयी हुई है क्या ? लोगों ने बताया वह बीमार है | "आप" ऊपर पहुंचे और उसकी
    खैरियत मालूम की और फ़रमाया की आपने आज कचरा नहीं फेका पता चला आपकी तबियत ख़राब है , इस लिए आपकी तीमारदारी के लिए हाज़िर
    हुआ हूँ | उस बूढी औरत ने आपका हुस्न-ए-सुलूक देखा और रोते हुए माफ़ी मांगी और इस्लाम कुबूल कर लिया |

    तो मेरे भाई इस्लाम मुहब्बत का नाम है , भाई चारे का नाम है | एक मुसलमान किसी के धर्म की बुराई नहीं करता ,सब धर्म का आदर करता है और
    सब लोगों को निमंत्रण देता है कि पहले इसे समझो फिर टिप्पणी करो | मैं इस माध्यम से दुनिया के तमाम इंसानों को नेवता देता हूँ कि आईये और
    इसे समझिये |
    डॉ. शरीफ
    अमेरिका

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  32. हिन्दु धर्म कि सही जानकारी?
    हिन्दुधर्म ग्रंथ पर लोग इन करे।

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  33. bhaijaan itna hi kahunga surah kaafiroon padhen...aur inhe allah ke upar chhod den....

    जवाब देंहटाएं

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प्रतिक्रिया, आलोचना, सुझाव,बधाई, सब सादर आमंत्रित है.......

काशिफ आरिफ

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