दीपावली स्वच्छता व प्रकाश का पर्व है। कई सप्ताह पूर्व ही दीपावली की तैयारियाँ आरंभ हो जाती है। लोग अपने घरों , दुकानों आदि की सफाई का कार्य आरंभ कर देते हैं। घरों में मरम्मत, रंग-रोगन,सफ़ेदी आदि का कार्य होने लगता हैं। लोग दुकानों को भी साफ़ सुथरा का सजाते हैं। बाज़ारों में गलियों को भी सुनहरी झंडियों से सजाया जाता है। दीपावली से पहले ही घर-मोहल्ले, बाज़ार सब साफ-सुथरे व सजे-धजे नज़र आते हैं।
धार्मिक संदर्भ
दीप जलाने की प्रथा के पीछे अलग-अलग कारण या कहानियाँ हैं।
राम भक्तों के अनुसार दीवाली वाले दिन अयोध्या के राजा राम लंका के अत्याचारी राजा रावण का वध कर के अयोध्या लौटे थे। उनके लौटने कि खुशी मे आज भी लोग यह पर्व मनाते है।
कृष्ण भक्तिधारा के लोगों का मत है कि इस दिन भगवान श्री कृष्ण ने अत्याचारी राजा नरकासुर का वध किया था। इस नृशंस राक्षस के वध से जनता में अपार हर्ष फैल गया और प्रसन्नता से भरे लोगों ने घी के दीए जलाए।
एक पौराणिक कथा के अनुसार विंष्णु ने नरसिंह रुप धारणकर हिरण्यकश्यप का वध किया था तथा इसी दिन समुद्रमंथन के पश्चात लक्ष्मी व धन्वंतरि प्रकट हुए।
जैन मतावलंबियों के अनुसार चौबीसवें तीर्थंकर महावीर स्वामी का निर्वाण दिवस भी दीपावली को ही है।
सिक्खों के लिए भी दिवाली महत्वपूर्ण है क्यों कि इसी दिन ही अमृतसर में १५७७ में स्वर्ण मन्दिर का शिलान्यास हुआ था। और इसके अलावा १६१९ में दिवाली के दिन सिक्खों के छ्टे गुरु हरगोबिन्द सिंघ जी को जेल से रिहा किया गया था।
नेपालियों के लिए यह त्योहार इसलिए महान है क्यों कि इस दिन से नेपाल संवत में नया वर्ष शरू होता है।
पंजाब में जन्मे स्वामी रामतीर्थ का जन्म व महाप्रयाण दोनों दीपावली के दिन ही हुआ। इन्होंने दीपावली के दिन गंगातट पर स्नान करते समय 'ओम' कहते हुए समाधि ले ली।
महर्षि दयानन्द ने भारतीय संस्कृति के महान जननायक बनकर दीपावली के दिन अजमेर के निकट अवसान लिया। इन्होंने आर्य समाज की स्थापना की।
दीन-ए-इलाही के प्रवर्तक मुगल सम्राट अकबर के शासनकाल में दौलतखाने के सामने 40 गज ऊँचे बाँस पर एक बड़ा आकाशदीप दीपावली के दिन लटकाया जाता था। बादशाह जहाँगीर भी दीपावली धूमधाम से मनाते थे।
मुगल वंश के अंतिम सम्राट बहादुर शाह जफर दीपावली को त्योहार के रूप में मनाते थे और इस अवसर पर आयोजित कार्यक्रमों में भाग लेते थे।
शाह आलम द्वितीय के समय में समूचे शाही महल को दीपों से सजाया जाता था एवं लाल किले में आयोजित कार्यक्रमों में हिन्दू-मुसलमान दोनों भाग लेते थे।
पर्वों का समूह दीपावली
परंपरा
अंधकार पर प्रकाश की विजय का यह पर्व समाज में उल्लास, भाईचारे व प्रेम का संदेश फैलाता है। यह पर्व सामूहिक व व्यक्तिगत दोनों तरह से मनाए जाने वाला ऐसा विशिष्ट पर्व है जो धार्मिक, सांस्कृतिक व सामाजिक विशिष्टता रखता है। हर प्रांत या क्षेत्र में दिवाली मनाने के कारण एवं तरीके अलग हैं पर सभी जगह कई पीढ़ियों से यह त्योहार चला आ रहा है। लोगों में दीवाली की बहुत उमंग होती है। लोग अपने घरों का कोना-कोना साफ़ करते हैं, नये कपड़े पहनते हैं। सब मिठाइयों के उपहार एक दूसरे को बाँटते हैं, एक दूसरे से मिलते हैं। घर-घर में सुन्दर रंगोली बनायी जाती है, दिये जलाए जाते हैं और आतिशबाजी की जाती है। बड़े छोटे सभी इस त्योहार में भाग लेते हैं। अंधकार पर प्रकाश की विजय का यह पर्व समाज में उल्लास, भाईचारे व प्रेम का संदेश फैलाता है। यह पर्व सामूहिक व व्यक्तिगत दोनों तरह से मनाए जाने वाला ऐसा विशिष्ट पर्व है जो धार्मिक, सांस्कृतिक व सामाजिक विशिष्टता रखता है। हर प्रांत या क्षेत्र में दिवाली मनाने के कारण एवं तरीके अलग हैं पर सभी जगह कई पीढ़ियों से यह त्योहार चला आ रहा है। लोगों में दीवाली की बहुत उमंग होती है। लोग अपने घरों का कोना-कोना साफ़ करते हैं; नये कपड़े पहनते हैं। सब मिठाइयों के उपहार एक दूसरे को बाँटते हैं, एक दूसरे से मिलते हैं। घर-घर में सुन्दर रंगोली बनायी जाती है, दिये जलाए जाते हैं और आतिशबाजी की जाती है। बड़े छोटे सभी इस त्योहार में भाग लेते हैं।आज जब ये लेख प्रकाशित होगा तब मैं आगरा से मुम्बई के लिये निकल चुका हुंगा। दिवाली के बाद आगरा में जुते का कारोबार हफ़्ते-दस दिन के लिये बिल्कुल बन्द हो जाता है तो थोडा छुट्टी मनाने के लिये मुम्बई-गोवा का प्रोग्राम बनाया है। दस - बारह दिन का प्रोग्राम बनाया है इंन्शाल्लाह आप लोगों के सम्पर्क में रहने की कोशिश करेंगे फ़िर भी हो सकता है कोई जवाब देने में देर हो जायें।
आप सब भारत वासियों और सभी हिन्दी ब्लोग्गर्स को मेरी तरह दिपावली और नववर्ष की हार्दिक शुभकामनायें।
अगर लेख पसंद आया हो तो इस ब्लोग का अनुसरण कीजिये!!!!!!!!!!!!!
"हमारा हिन्दुस्तान"... के नये लेख अपने ई-मेल बाक्स में मुफ़्त मंगाए...!!!!
समझ का जलाएं दीप
जवाब देंहटाएंसंवेदना की बाती से
सहयोग के घृत में भिगो आओ ,
हम सभी मनाएं उत्सव रौशनी का । * * * * * * * * * * * * * * * * * * जय हो , शुभ हो । - जसएकला
एक संशोधन! यह केवल हिन्दुओं का त्योहार ही नहीं, अपितु भारतीय त्यौहार है। संपूर्ण भारत इस से अछूता नहीं है। त्यौहार वैसे भी किसी धर्म विशेष के न होकर संपूर्ण मानवता के लिए हैं इन्हें किसी धर्म,जाति और संप्रदाय के लिए सीमित रखा जाना उचित नहीं!
जवाब देंहटाएंआप को दीपावली पर हार्दिक शुभकामनाएँ!
सुख औ’ समृद्धि आपके अंगना झिलमिलाएँ,
जवाब देंहटाएंदीपक अमन के चारों दिशाओं में जगमगाएँ
खुशियाँ आपके द्वार पर आकर खुशी मनाएँ..
दीपावली पर्व की आपको ढेरों मंगलकामनाएँ!
-समीर लाल 'समीर'
दीपोत्सव का यह पावन पर्व आपके जीवन को धन-धान्य-सुख-समृद्धि से परिपूर्ण करे!!!
जवाब देंहटाएंबहुत ज्ञानवर्द्धक आलेख रहा !!
जवाब देंहटाएंपल पल सुनहरे फूल खिले , कभी न हो कांटों का सामना !
जिंदगी आपकी खुशियों से भरी रहे , दीपावली पर हमारी यही शुभकामना !!
बहुत ख़ूब कहा........
जवाब देंहटाएंआपको और आपके परिवार को दीपोत्सव की
हार्दिक बधाइयां
आपको दीपावली पर्व की हार्दिक शुभकामनाएं एवं बधाई.
जवाब देंहटाएंदीपक भारतदीप
बहुत बढिया ज्ञानवर्धक पोस्ट है।आभार।
जवाब देंहटाएंदीपावली के शुभ अवसर पर आपको और आपके परिवार को शुभकामनाएं
दीपावली के अवसर पर आपको और आपके परिवार को शुभकामनाएं.
जवाब देंहटाएंदीपावली से जुड़ी हुई बहुत सी नई जानकारियाँ मिली...उनके लिए धन्यवाद...
जवाब देंहटाएंआपकी यात्रा मँगलमय हो... वहाँ से काजू लाएँ तो दो-चार मेरे नाम के भी खा लें :-)
इस दीपावली में प्यार के ऐसे दीए जलाए
जवाब देंहटाएंजिसमें सारे बैर-पूर्वाग्रह मिट जाए
हिन्दी ब्लाग जगत इतना ऊपर जाए
सारी दुनिया उसके लिए छोटी पड़ जाए
चलो आज प्यार से जीने की कसम खाए
और सारे गिले-शिकवे भूल जाए
सभी को दीप पर्व की मीठी-मीठी बधाई
आप सब मेरे ब्लोग पर आये उसका बहुत-बहुत शुक्रिया
जवाब देंहटाएंबहुत अच्छी जानकारी...!!! धन्यवाद
जवाब देंहटाएंदीपावली का त्यौहार, मुख्य रूप से उत्तर भारतीयों का त्यौहार है तथा उत्तर भारतीयों द्वारा ही धूम धाम से मनाया जाता है ।
जवाब देंहटाएंपश्चिमी भारतीयों द्वारा, खास तौर से गुजरातियों द्वारा दीपावली का त्यौहार मनाया तो जाता है, परंतु गुजरातियों के लिए, शारदीय नवरात्रों में, 9 दिनों तक तड़क भड़क एवं धूम धाम से गरबे खेल कर, इसे ज्यादा महत्व दिया जाता है ।
इसी प्रकार, महाराष्ट्र में भी दीपावली का त्यौहार मनाया तो जाता है, परंतु गणेश पूजा को महाराष्ट्र में अधिक महत्व दिया जाता है ।
बंगाल तथा पूर्वी भारत में भी दीपावली मनाई जाती है, परंतु वहां दुर्गा पूजा मुख्य त्यौहार है ।
दक्षिण भारतीय लोगों के लिए, दीपावली कोई खास नहीं है । उन लोगों के अपने अपने त्यौहार हैं ।
केरलवासियों में तो, दीपावली तथा किसी भी उत्तर भारतीय त्यौहार आदि मनाने की कोई प्रथा ही नहीं है ।