गुरुवार, 26 नवंबर 2009

अलबेला खत्री के सवालों का जवाब... Answers Of Albela Khatree's Question's

अलबेला खत्री से मेरा विवाद चल रहा है जिसको लेकर मैनें एक लेख लिखा था डर गया अलबेला खत्री...36 घण्टे बाद छापी टिप्पणी/चैलेन्ज...अब बहाने बना रहा है.....  इसके जवाब में उन्होने एक लेख लिखा है जिसमें उन्होने मुझसे कुछ सवाल किये है जिसके जवाब मै यहां दे रहा हूं.....यही जवाब मैनें उनको उनके लेख पर भी दिये है लेकिन कुछ जवाब पब्लिश नही हो सके क्यौंकि ब्लोग्गर बार-बार एरर दे रहा है...यही एरर उसने मेरे लेख पर ये जवाब छापते हुये दिया तो मैनें सोचा क्यौं ना एक लेख लिखकर सारे सवालों के जवाब एक साथ दे दूं....

कुछ जवाबों के नीचे उनके पब्लिश करने का टाइम लिखा है जिस वक्त उन्हे मैनें अलबेला जी के ब्लाग पर किया है.... 




अलबेला जी कह रहे है की उन्होने मेरी टिप्पणियां रोकी नही थी....  मैनें झुठ नही कहा है....आप झुठ बोल रहे हैं....मैनें आपके ब्लोग पर पहली टिप्पणी 22 नवम्बर को 11 : 03 PM पर की थी और जब 23 नवम्बर को 09 : 25 AM पर मैनें आपको दुसरी टिप्पणी की तब मेरी पहली टिप्पणी प्रकाशित नही हुई थी.......तब भी आपके लेख पर चार टिप्पणी थी....

फिर 23 नवम्बर की रात को 9 बजे की आस-पास आपका ब्लाग खोला था तब भी मेरी टिप्पणीयां प्रकाशित नही हुई थी......

24 नवम्बर को सुबह 8 बजे तक आपने मेरी टिप्पणीयां प्रकाशित नही हुई थी.....उसके बाद मैनें 24 नवम्बर को दोपहर 1 बजे के लगभग आपका ब्लाग खोला था.....तब मुझे आपके लेख पर अपनी टिप्पणियां मिली थीं.....

और आप Google Analystic या FeedJit का Pro Version इस्तेमाल करते है तो आप मेरी बतायें गये टाइम को चेक कर सकते है.....उसमें आपको मेरी लोकेशन आगरा या मथुरा बतायेगा.....


November 26  02 : 59 Pm  ये टिप्पणी मैनें आज तीन बजे की थी जो अब तक छपी नही है लेकिन Ratnesh Vidhuliyaa जी की 05 : 34 Pm की टिप्पणी प्रकाशित हो गयी है।

 
!! Ratnesh Vidhauliya !! November 26, 2009 5:34 PM  
Excellent


अब आपके सवालों के जवाब...

आपका पहला सवाल

"हम पूर्व दिशा की तरफ़ मुँह करके उपासना करते हैं तो तुम पश्चिम की ओर मुँह करके"

आप तो अपने आपको बहुत बडे मास्टर कहते हो...क्या हुआ इतनी भी जानकारी नही है कि मुस्लमान काबे की तरफ़ रुख करके इबादत करते है......चाहे दुनिया में किधर भी हों....अब पूर्व वाला पश्चिम की तरफ़ मूंह करता है और पश्चिम वाला पूर्व की तरफ़.....

आपका दुसरा सवाल

"हम देवनागरी में बाएं से दायें लिखते हैं तो तुम उर्दू में दायें से बाएं"

उल्टा आप लिखते हों...सारे शुभ काम दायें हाथ से करते हो लेकिन लिखना शुरु बायीं तरफ़ से करते हो......जबकि हम सारे अच्छे काम सीधे हाथ से करते है और लिखते भी सीधी तरफ़ से हैं..

आपका तीसरा सवाल आपने उल्टा लिखा है.......मैं इसका जवाब सीधा दे देता हूं...


"हम पायजामा पहनते हैं तो तुम लुंगी"

भाईजान आपको इतना भी नही पता की पायजामा और पठानी सलवार हिन्दुस्तान में आफ़गानीयों और मुगलों के साथ आयें है क्यौंकि अफ़गानिस्तान में ठंड बहुत ज़्यादा पडती तो वहां खुला कपडा नही पहना जा सकता है लेकिन अब आपने इसका नाम ले दिया है तो मैं तुलना कर देता हूं......

लुंगी के बहुत सारे नुकसान है लेकिन पायजामे के नही...पायजामें को पहन कर आप कैसे भी बैठ सकते है..उकडु, पालती मारके, चाहे जैसें किसी भी हालत में आपकी शर्मगाह दिखने की गुंजाइश नही है<

November 26 07 : 37 Pm


आपका चौथा सवाल....

"हिन्दु कसाई जानवर को एक झटके में उसका वध कर देता है और आप धीरे-धीरे तडपां कर मारते हो"

मैं ये नही जानता की आपको सांइस की कितनी जानकारी है और आपने बायोंलोजी पढी है या नही...लेकिन मैं आपको बता देता हूं...

हर जानवर और इंसान के गले में से एक नस गुज़रती है जिसका काम दिमाग के संन्देश जिस्म के बाकी हिस्सों तक पहुंचाना होता है और ये नस हमारी खाने की नली जिसे "नरखला" कहते है उससे सटी हुई होती है....

जब मुस्लमान कसाई जानवर को काटता है तो उसकी छुरी नरखले को काटती हुई उस नस को भी काटती है और जब तक वो नस नहीं कटती तब तक छुरी रुकती नही हैं....तो जानवर को दर्द का एहसास नही होता है क्यौंकि उसके दिमाग का जिस्म से कनेक्शन कट जाता है....और जिसे लोग तडपना कहते है वो उसके जिस्म की प्राक्रर्तिक प्रक्रिया है जो खुन के जिस्म से बाहर आने के दौरान होती है.....

ये हर रिसर्च में साबित हो चुका है की "खुन में सबसे ज़्यादा बैक्टिरिया होते है और खुन में ही सबसे ज़्यादा बैक्टिरिया पैदा भी होते है"...तो जब मुस्लमान कसाई बकरे को हलाल करते है तो उसका नरखला और दिमाग की नस को काट्ने के बाद थोडी देर रुक जाते है तो इस दौरान बकरे के जिस्म में से सारा खुन बाहर आ जाता है....उसके बाद उसकी गरदन की हड्डी को काटा जाता है जिसके बाद जानवर की दिल की धडकन रुक जाती है......

जबकि हिन्दु कसाई जानवर की गर्द्नन पर वार करता है जिसे Spinal Cord कहते है जिसके कटने के साथ ही जानवर की दिल की धडकन रुक जाती है और सारा गन्दा खुन उसके जिस्म में रह जाता है जिससे बीमारियां पैदा होने का खतरा बढ जाता है....

हलाल करने से जानवर पहले Mentally Dead हो जाता है फ़िर Physically Dead होता है जिससे उसको दर्द का एहसास बिल्कुल भी नही होता है.....

जबकि झटके से काटने पर जानवर पहले Physically Dead होता है और बाद में Mentally Dead जिसकी वजह से आखिरी वक्त तक उसको दर्द का एहसास होता रहता है....

इस विषय में मै एक रिसर्च कर रहा हूं जो लगभग पुरी हो चुकी है.....मैं बहुत जल्द इस सम्बन्ध में दुनिया में हुई सारी रिसर्च का हवाला देते हुये एक लेख लिखुंगा....मैं उसका लिन्क आपको भेज दुंगा पढ लिजियेगा.....

अब आप बतायें कौन ज़्यादा तडपाता है???

और कौन सा मांस ज़्यादा हाईजीनिक है???


आपका अगला सवाल....

"हम मूंछ रखते है दाढी काटते है तो तुम दाढीं रख कर मूंछे काटते हो"

आपने कभी बडी मूंछे वाले आदमी को खाना खाते या पानी पीते देखा है.......अगर नही देखा हो तो अब की बार ज़रा गौर से देखना...जब मूंछे वाला आदमी पानी पीता है तो पानी में उसकी मूंछे डुब जाती है वो मूंछे जिनके अन्दर दिन भर की धुल-मिट्टी और बैक्टिरीया जमा होते है......और ये सब चीज़े पानी के साथ उसके पेट में चली जाती है.......इस्लाम में जिस पानी में मूंछे डुब जायें वो पानी पीने लायक नही है उसे पीने से मना किया गया है जबकि दाढी से इस तरह की कोई परेशानी नही होती है.....

आपके पास बहुत लम्बी लिस्ट है तो ऊपर वाले का करम है की मेरे पास जवाबों की कमी नही है और जवाब भी ऐसे है जिनको सुनने के बाद आप उस विषय पर कोई सवाल नही करेंगे......आज तक तो किसी ने पलट कर सवाल नही किया है.....

रही बात उल्टा या सीधा पैदा होने की तो यही सवाल मै आपसे कर सकता हूं क्यौंकि इस्लाम में दुनिया के पहले इन्सान और औरत का ज़िक्र है.....कि उन्हे कैसे पैदा किया गया और फ़िर उसके बाद कैसे इन्सानों की आबादी बढाई.....जबकि सनातन धर्म के किसी भी ग्रन्थ में ऐसा कोई ज़िक्र नही है......तो इस लिहाज़ से मैं आपसे पुछता हूं कि आप लोग अपने पैदा होने का तरीका क्यौं नही बदल लेते हो????





रही बात शायरों कि तो मैंने वो बताया जो इस्लाम में है......तीन लोगों की माफ़ी नही है....

पहला ज़ीनाकार यानि जो किसी गैर-मर्द या औरत के साथ नाजायज़ जिस्मानी ताल्लुकात बनाये...........

दुसरा शराबी या नशेबाज़

तीसरा शायर......लेकिन शायर से ये मतलब नही है की हर शायर...अपने मेरे अलफ़ाज़ों को ध्यान से नही पढा....मैनें कहा था शायर की माफ़ी नही क्यौंकि वो महबुब को खुदा का दर्जा दे देते है.....

कुरआन और हदीस में साफ़ कहा गया है कि इनकी माफ़ी नही है बाकी अल्लाह बहुत रहम वाला है......मैनें मीर और गालिब को नही पढा है तो कह नही सकता कि उन्होने किस तरह की शायरी की है और वैसे भी किसी के बख्शने या जन्नत में जाने का हिसाब करने वाला मैं कौन होता हूं.......हिसाब करने वाला तो अल्लाह है.......वो लोग लोग अपनी कब्र में गये है और मैं अपनी कब्र में जाऊंगा.........मुझे मेरे किये का सवाब और सज़ा मिलेगी और उन्हे उनकी.....

और जिस लेख को लेकर आपने इतना बवाल किया पहले ये तो जान लेते की मैनें वो लेख लिखा क्यौं था???? आपने सिर्फ़ 22 टिप्पणियां लेकिन उन टिप्पणियों के जवाब भी पढ लेते तो शायद इतना बवाल नही होता.........और ना ही आपने उस सीरीज़ का आखिरी लेख पढा.........पहले पढे फ़िर बतायें...मैनें गलत कहा या सही...

http://qur-aninhindi.blogspot.com/2009/11/if-you-worship-this-country-this-soil.html

http://qur-aninhindi.blogspot.com/2009/11/as-in-hindu-sanatan-religion-to-make.html


मैनें आपको गाली नही दी है...आप झुठा इल्ज़ाम लगा रहे हो...और अगर किसी और ने दी है तो आपने उस शख्स का ज़िक्र क्यौं नही किया.......मुझे तो कोई गाली नही मिली फ़िर भी आपको अगर किसी ने दी है तो आप उससे बात किजिये मुझसे क्यौं झगड रहे है?? और मेरे ब्लाग पर कोई मोडेरेशन या अपरुअवल वगैरह जैसा कुछ भी नही है .........ये आपको भी पता है तो बेकार का झुठा इल्ज़ाम नही लगाओं.....



अगर लेख पसंद आया हो तो इस ब्लोग का अनुसरण कीजिये!!!!!!!!!!!!!



"हमारा हिन्दुस्तान"... के नये लेख अपने ई-मेल बाक्स में मुफ़्त मंगाए...!!!!

38 टिप्‍पणियां:

  1. वाह...काशिफ़ मज़ा आ गया....क्या जवाब दियें है...

    इसे कहते है फ़ास्ट बालर का ज़बरद्स्त यार्कर सीधा ब्लोक होल में और सारी गिल्लियां हवा में....

    जवाब देंहटाएं
  2. सही जा रहे हो....अलबेला का मुंह बन्द करना ही होगा...बहुत-बहुत ज़्यादा और बेवजह बोलता है....

    बिल्कुल सही जवाब दिये हैं आपने

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  3. bhot khoob,,,,lekin,chaand wala sawal bhool gaye,,aur khas sawal tha tum ulte kiyon nahin peda hote?....tum ulte woh kiyon woh nahin karte....koi baat nahin uska jawab bhi ham padh chuke,,,

    sayri ki fikr na karna,,,,hamne meer aur ghalib ke sath har sayar ko padha,,,,,hamare maan baap ne hamara naam iqbal yoonhi nahin rakha.

    जवाब देंहटाएं
  4. काशिफ़ जी, आपकी टिप्पणीयां अब तक प्रकाशित नही हुईं है...ये अलबेला काफ़ी डरपोक निकला...आपके जवाब छाप ही नही रहा है==अच्छा किया की आपने जवाबों के साथ एक लेख छाप दिया.....

    जवाब देंहटाएं
  5. काशिफ़ जी, आपकी टिप्पणीयां अब तक प्रकाशित नही हुईं है...ये अलबेला काफ़ी डरपोक निकला...आपके जवाब छाप ही नही रहा है==अच्छा किया की आपने जवाबों के साथ एक लेख छाप दिया.....

    जवाब देंहटाएं
  6. सुधार जाओ अब भी समय है पढ़ो

    ब्लॉगिंग का इतिहास लिखा जाने वाला है -रवि रतलामी।
    http://za.samwaad.com/2009/11/blog-post_25.html

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  7. काबे के अंदर किया हे और उसके ऊपर या अंदर केसे नमाज़ पढ़ेंगे

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  8. क्या बात है समीर...क्या अपनी बिखरी हुई गिल्लियां याद आ गयीं क्या???? तुम्हारी तो ऐसे बहुत बार गिराई है...

    खैर बेफ़िक्र रहों इन्शाल्लाह अल्लाह ने चाहा तो अलबेला के हर सवाल का ऐसा ही जवाब दुंगा...उसके पास सवाल बहुत है तो अल्लाह के करम से मेरे पास जवाबों की भी कमी नही है

    जवाब देंहटाएं
  9. इकबाल जी, वो गलती से रह गया....बिजली परेशान कर रही है सुबह से हमेशा की तरह...चलिए कोई बात नही आगे से ख्याल रखेंगे

    जवाब देंहटाएं
  10. इकबाल जी, वो गलती से रह गया....बिजली परेशान कर रही है सुबह से हमेशा की तरह...चलिए कोई बात नही आगे से ख्याल रखेंगे

    जवाब देंहटाएं
  11. इस्लाम में है..तीन लोगों की माफ़ी नही है....पहला ज़ीनाकार यानि जो किसी गैर-मर्द या औरत के साथ नाजायज़ जिस्मानी ताल्लुकात बनाये..दुसरा शराबी या नशेबाज़---तीसरा शायर..

    तीनों किसी एक ही में मिल जाएँ तो? माफी केसे होगी?

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  12. कंहकंशा जी, क्या करेंगें अलबेला जी उनको प्रकाशित करके और किस मुंह से प्रकाशित करेंगे.......अल्लाह का करम है हर सवाल का सटीक जवाब दिया है....अब वो उस लिस्ट में से नये सवाल ढुढ रहे होगें तो शायद इसीलिये ज़्यादा टाइम लग रहा होगा

    जवाब देंहटाएं
  13. कंहकंशा जी, क्या करेंगें अलबेला जी उनको प्रकाशित करके और किस मुंह से प्रकाशित करेंगे.......अल्लाह का करम है हर सवाल का सटीक जवाब दिया है....अब वो उस लिस्ट में से नये सवाल ढुढ रहे होगें तो शायद इसीलिये ज़्यादा टाइम लग रहा होगा

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  14. tum sabke liye ek shabd he "dehshatgard" yeh tumhari post bhi "islamic atankwad" he.

    जवाब देंहटाएं
  15. राहुल जी, कभी कभी कुछ लोगों का दिमाग ठिकाने लगाने के लिये वक्त को भी बरबाद करना पडता है लेकिन मुझे ऐसे वक्त बरबाद करना अच्छा लगता है इससे बहुत से लोगों का वक्त बरबाद होने से बच जाता है...

    जवाब देंहटाएं
  16. आज पहली बार इधर आना हुआ अच्छा लगा, वेसे हम उधर क़ुरान वाले ब्लॉग पर अक्सर जाते थे, उधर धी यान दें

    जवाब देंहटाएं
  17. सियाना जी, काबे के अन्दर कुछ नही है वो सिर्फ़ एक छोटा सा कमरा है जिसमें १४०० साल पहले ३६७० देवताओं के बुत रखें हुये थे....

    काबे के ऊपर और अन्दर नमाज़ नहीं पढी जा सकती है क्यौंकि वो खुद दिशा सुचक है

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  18. सुबह के 12 : 18 मिनट हो चुके है...यानि की मेरी पहली टिप्पणी को 9 घण्टे हो चुके हैं लेकिन अलबेला जी ने अब तक एक भी टिप्पणी प्रकाशित नही की है......

    काउंटडाउन चालु है देखते है कि कब टिप्पणियां/जवाब प्रकाशित होते है

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  19. यहाँ तो गजब सवाल जबाब का दौर चल रहा है. मैं तो पहली बार आया हूँ इधर.. पर मजा आ गया.. लगे रहो इंडिया..

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  20. काशिफ भाई, ज़िंदाबाद, बहुत खूब, अलबेला जैसो के मुँह लगने से क्या फायेदा, इन्हे तो ठोकर मे रहने दो,ये इसी क़ाबिल हैं, वैसे आपने सभी का जवाब दे दिया है, अगर कभी हमारी ज़रूरत पड़े तो याद कर लेना, वैसे अलबेला टाइप लोगो को जवाब देने का हमारा अलग स्टाइल है, कभी ज़रूरत पड़ी तो दिखाएगे, आप को और सभी को बहुत बहुत ईद मुबारक. अपना ध्यान
    रखना.
    बात कम कीजे ज़हानत को छुपाते रहिए
    अलबेला जैसो को ठोकर लगाते रहिए

    जवाब देंहटाएं
  21. यहाँ जो टिपण्णी पर जैचंद से नज़र आ रहे है ये दरअसल मीर कासिम अली खान लोग है, मक्कारी जालसाजी गद्दारी बिना कोई काम होता ही नहीं इनसे ! जो भाई थोड़े तकनिकी जानकार है तस्दीक कर ले ! मूर्ख को कोई कैसे समझाए की दुनिया गोल है जिधर से मूह करो पलट के दूसरी तरफ से तुम्हारी तशरीफ़ भी उधर की ओर होगी की नहीं ??? सब गांधी जी की गलती है जिन्ना ने इस्लाम के नाम पर जो पाकिस्तान माँगा था तो सबको भेज देना था रहते सब ओसामा के साथ मन भर के जेहाद जेहाद खेलते !!!

    जवाब देंहटाएं
  22. रोज़ रोज़ मुसलमान से काफ़िर हो जाते हैं और काफ़िर से मुसलमान." ऐसे लोगों की सज़ा ये है कि इन पर अल्लाह ताला की भी लानत होती है, फरिश्तों की और आदमियों की भी, सब की। वह हमेशा हमेशा के लिए दोज़ख में रहेंगे, इन पर अज़ाब हल्का न होने पाएगा और न ही मोहलत दी जाएगी, हाँ मगर तौबा करके जो लोग अपने आप को संवार लेंगे, सो अल्लाह ताला बख्शने वाला है."
    सूरह आले इमरान ३ तीसरा परा आयात (88-89)

    जवाब देंहटाएं
  23. @ घटिया सोच, तेरे बाप का नाम ज़रूर उत्‍तम विचार होगा, तुझे सवालों के जवाब नहीं दिखाई दे रहे, सुअर को तो गू ही दिखाई देगा, कहना इकबाल का तू भी ज़रूर हमारी तरह उलटा हुआ होगा, नहीं हुआ तो गवाह देना पडेगा जिसने देखा हो, आज हम बहुत व्‍यस्‍त हैं कल हमने हलाल-हलाल खेलने वाला खेल देखना है, हम अवध यह खेल देखने कभी नहीं गये तुम गये हो तो बताना

    अवधिया चाचा
    जो कभी अवध ना गया

    जवाब देंहटाएं
  24. 05 : 17 PM हो चुके हैं....अलबेला जी के लेख पर टिप्पणियां 7 से 11 हो चुकी है....

    मेरी पहली टिप्पणी के बाद से 3 टिप्पणियां प्रकाशित हो चुकी है...

    !! Ratnesh Vidhauliya !! November 26, 2009 5:34 PM

    Excellent

    पं.डी.के.शर्मा"वत्स" November 26, 2009 2:59 PM

    अवधिया जी का कहना बिल्कुल सही है कि इन लोगों का मकसद सिर्फ विवाद पैदा करना है...ओर किसी न किसी बहाने लोगों की नजरों में आना है..बस..।

    अवधिया चाचा November 26, 2009 4:58 PM

    अलबेला, तेरी हर बात निराली, कवि से धर्मगुरू बनने चला था, तो वहां भी अलबेली अदा, लो भय्या दूसरी तरफ की तरफ तो बिजली चली गई, पर एक समाचार ब्लागवाणी बडी शान से दिखा रहा है, कोई शायर इकबाल के नाम का वहां एक शेर छोड गया है, बबर शेर नहीं बबर तो आगरे वाला बिजली आते ही लाएगा,पढ लेना कमबख्‍त आखिर मे हमारी तरह लिखता है

    अवधिया चाचा
    जो कभी अवध ना गया
    http://hamarahindustaan.blogspot.com/2009/11/36.html


    और दुसरी टिप्पणी के बाद की एक टिप्पणी प्रकाशित हो चुकी है लेकिन मेरी टिप्पणियां कहां है??????

    Mithilesh dubey November 26, 2009 11:19 PM

    अलबेला जी छोड़ीये भी अब इनके मुहं क्या लगना ।


    कोई है जो उस सत्यवादी हरीशचन्द्र का ढोंग करने वाले "अलबेला खत्री" से इसका जवाब मांगे...या एक और पोस्ट डालूं.......

    जवाब देंहटाएं
  25. @ चलता फ़िरता मदरसा जी,

    आप जो भी हों मुझे नहीं पता लेकिन अपना नाम मदरसा रखने से पहले कुरआन का नाम ठीक से लिखना सीख लों.....X कुरान X.....नहीं..."कुरआन" होता है

    रही बात कुरआन वाले ब्लाग की तो उस पर लिखने से पहले काफ़ी रिसर्च करनी पडती है इसलिये वक्त लग जाता है....खैर आज ही उस पर एक लेख बकरीद की तमाम जानकारी के साथ छापा है......

    http://qur-aninhindi.blogspot.com/2009/11/matters-compulsory-works-of-bakrid-eid.html

    जवाब देंहटाएं
  26. इस टिप्पणी को लेखक द्वारा हटा दिया गया है.

    जवाब देंहटाएं
  27. इस टिप्पणी को लेखक द्वारा हटा दिया गया है.

    जवाब देंहटाएं
  28. खालीद जी,

    उसका तो अल्लाह ही मालिक है...अल्लाह ही जाने की उसका क्या होगा???

    जवाब देंहटाएं
  29. इस टिप्पणी को लेखक द्वारा हटा दिया गया है.

    जवाब देंहटाएं
  30. काशिफ़ जी,
    अलबेला जी २६ और २७ नवंबर को मुंबई में अपनी शूटिंग में व्यस्त हैं, मेरे पास उनका ईमेल आया था पर व्यस्तता के कारण मैं उनको फ़ोन नहीं कर पाया। चिंता न करें अलबेला जी उचित जबाब देंगे।

    वैसे मैंने न आपकी और न ही अलबेला जी की पोस्ट पढ़ी है और न ही इस बेकार की बातों में मेरी रुचि है। मैं तो केवल आपको इन्फ़र्म कर रहा हूँ क्योंकि आप बार बार यह लिख रहे हैं कि फ़लानी देर हो गई है ढ़िमकानी देर हो गई है। तो सब्र करें अभी वो ब्लॉगिंग की दुनिया से दूर हैं।

    जवाब देंहटाएं
  31. रस्तोगी जी,

    आपने बता दिया तो उसका बहुत-बहुत शुक्रिया.......मैंने टाइम वगैरह इसलिये बता रहा हूं वर्ना आपके मित्र अलबेला जी मुझे फ़िर झुठा कह देंगे.........कह देंगे की मेरी कोई टिप्पणी उन्होने नही रोकी....और वैसे भी वो कितने भी बिज़ी हों वो मेरी टिप्पणियां तो रोक चुके है...यकीन नही है तो ऊपर वाली टिप्पणी पढ सकते है जिसमें मैंनें सारी टिप्पणियों का ज़िक्र किया जो मेरी टिप्पणियों के बाद छप चुकी है.........


    जवाब देंहटाएं
  32. ये टिप्पणियां मेरी टिप्पणियों के बाद की गयी है.....वो तो प्रकाशित हो गयी है लेकिन मेरी प्रकाशित नही हुंई......अब इस बात का ज़िक्र तो मैं कर सकता हूं ना या इसके लिये भी मुझे आपके दोस्त "अलबेला खत्री" जी की इजाज़त लेनी पडेगी.....और वैसे भी मैं अलबेला जी की तरह नही हूं जो 24 घंण्टे बाद मैदान छॊड दे...मैं तो तैयार खडां हूं जब चाहे आयें...अल्लाह का करम है कभी कदम पिछे नही हटाऊंगा.............उनसे कह दीजियेगा की मैं उनका इन्तिज़ार कर रहा हूं....चाहे तो ये मेल उनको Forward कर दीजियेगा

    मैं कभी अपने आपको खुद विजेता घोषित नही करता....जब तक की मेरा प्रतिद्वंदी खुद हार नही मान लेता.......जिस तरह आपके दोस्त ने अपने आप को विजेता घोषित किया था जबकि उसके प्रतिद्वंदी को उसके चैलेंज की खबर तक नही थी.....

    आपका शुक्रगुज़ार

    काशिफ़ आरिफ़

    जवाब देंहटाएं
  33. काशिफ़ जी यह 37वां कमेंट है क्‍या आप जानते है ब्लागिंग के इतिहास में 37ब्लागर्स के साथ क्‍या हुआ था, ब्लागिंग का सबसे शर्मनाक दिन कौन सा था?

    जवाब देंहटाएं
  34. बहुत अच्‍छी जानकारी, आपकी छवी के अनुरूप, अवध का प्राचीनतम इतिहास बताता है कि वहाँ आप जैसे लेखक नहीं होते, और आपकी पोस्‍ट पढके तो अब होगें भी नहीं,

    चलते चलते आज बता दूं अलबेली लालटेन पहली बार कई दिन से बुझी हुई है और ब्लागवाणी बोर्ड पर नज़र मार लेना फिर चटका मारके एलान कर देना कि मेरा "अवधिया चाचा" से दूर से भी कोई सम्बन्ध नहीं है

    अवधिया चाचा
    जो कभी अवध ना गया

    जवाब देंहटाएं

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काशिफ आरिफ

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