सुनील डोगरा जी ने एक जुलाई को एक पोस्ट लिखी थी काश ! मैं मुसलमान होता... वो उन्होंने बहुत अच्छा लिखा था और उनकी प्रश्न भी सही था लेकिन उस पोस्ट पर सुरेश चंद्र गुप्ता जी ने जो टिप्पणी दी मैं उससे बिल्कुल भी सहमत नही हूँ ।
सुरेश जी जो ६१ वर्ष के हैं उनसे ऐसी टिप्पणी की उम्मीद नही थी.....
शायद उनको काफिर का मतलब नही पता है ठीक है तो मैं उनको बताता हूँ क्यूंकि मैंने मुसलमानों को बहुत करीब से देखा है.
काफिर का मतलब होता है :- इन्कारी . जो अल्लाह के वजूद से इनकार करता है और जो हर हिंदू करता है तो मेरे हिसाब से किसी हिंदू को काफिर कहने में कोई बुराई नही है और रही बात हिंदूं पर हमला करने की तो मैं आपको बता दूँ इस्लाम या दुनिया के किसी भी धर्म में यह नही सिखाया गया है किसी दुसरे धर्म के लोगो की जान लो....
बल्कि हर धर्म में यह बताया गया है की सब के साथ मिल कर रहो और अगर तुम्हारे ऊपर कोई हमला करता है तो उससे अपने धर्म और अपने लोगो की रक्षा करो....जो हर आदमी करता है...
सुरेश चंद्र जी ने अपनी प्रोफाइल में इंटेरेस्ट कालम में लिखा है की Let us take our country on path to top तो क्या हमारा इंडिया ऐसे टॉप पर जायेगा जब हम हिंदू - मुस्लिम के झगडे में पड़े रहेंगे तो कहाँ से तरक्की करेंगे???
हम लोग फिर वही गलती कर रहे हैं जो हमारे बडों ने की तभी तो वो अँगरेज़ हमारे ऊपर २०० - २५० साल तक राज करके चले गए अगर इसी तरह से यह सब चलता रहा तो फिर कोई हमारे ऊपर राज करने लगेगा.....
अरे हमेशा से मुसलमान यहाँ रहते आ रहे है तो फिर क्या परेशानी है वो हमारे भाई है और भाई से हमेशा मोहब्बत की जाती उससे लड़ा नहीं जाता है क्यूंकि भाई से लड़ने में हमेशा नुक्सान ही होता है...
तो अगर हम सब अपने हिन्दुस्तान को टॉप पर देखना चाहते है तो हमें सब धर्म के लोगो को साथ लेकर चलना होगा जब सब लोग हाथ में हाथ लेकर चलेंगे तभी हमारा देश एक नयी ऊंचाई पर पहुचेगा
हमें सब धर्म के लोगो को साथ लेकर चलना होगा...
जवाब देंहटाएंकोई साथ चले न चले...
Bhai Bhai ke sath rahne mein koi burai nahi hai par kab tak ek hi bhai sab kuch jhelta rahega.. Mujhe aap meri choti si baat ka jawaab dijiye ki aaj tak jitne bhi Aatankwadi pakde gaye woh sab MUSALMAAN kyon hai?? agar aap Hindustaan mein rahne wale logon ki baat kar rahe ho to woh chahe jis bhi dharm ka ho woh hamara bhai hai lekin agar aap Musalmano ki baat kar rahe ho to Mai kabhi unke sath nahi chal pauga.
जवाब देंहटाएंRohit Tripathi
http://rohittripathi.blogspot.com
Gupta ji ne kuchh galat to nahi kaha jo aap kah rahen hai wahi gupta ji ne kaha ab aap ye batayen kaafir ke saath kya -kya karna chahiye esake baare me kahin likha jaroor hoga. waise may aapke ekta prayas ke samarthan me hi hun. kabtak koi ek paksh ko updesh dega.
जवाब देंहटाएंage kewal gupta ji ka hi nahi Vijay shankar ji ka bhi dekhiye kya kah rahe hai. mohd. gajnavi ko kisi ke ghar bhej rahe hain.aag par nazar rakhiye, bujhi raakh me aag dudhane ki koshish nahi honi chahiye.:-Suresh Chandra Gupta said...
इस प्रश्न को तो ख़ुद ही हल करना होगा आपको. मेरे विचार से कोई हिंदू मुसलामानों से नफरत नहीं करता. हिंदू धर्म में दूसरे धर्म के लोगों से नफरत करना नहीं सिखाया जाता. हिंदू धर्म की मान्यता है कि ईश्वर एक है और अलग-अलग लोग उसे अलग-अलग नामों से पुकारते हैं. हिंदू धर्म यह भी कहता है कि जो जैसे भी, जिस रास्ते से भी ईश्वर तक जाता है, ईश्वर उसे एक समान प्रेम से स्वीकार करता है. आप हिंदू हैं तो यह जानते ही होंगे.
अब आपको मुसलमानों का पक्ष जानना है तो किसी मुसलमान से पूछिए. नहीं तो मुसलमान बन जाइए और ख़ुद ही यह जानकारी हासिल कीजिये. मैं तो इतना जानता हूँ कि इस्लाम के अनुसार जो मुसलमान नहीं है वह काफिर है, खुदा का बंदा नहीं है. आज जो हिन्दुओं पर आतंकवादी हमले हो रहे हैं वह इसी विश्वास के अन्दर हो रहे हैं. अमरनाथ श्राइन बोर्ड को जमीन देना मुसलमान बर्दाश्त नहीं कर पा रहे हैं.
1 July, 2008 5:22 AM
हिन्दुस्तानी जी काफ़िर का मतलब होता हे नास्तिक, यानि जो खुदा को नही मानता, लेकिन यहां फ़िर एक गलत फ़ेहमी आती हे,यानि हम नास्तिक उसे कहते हे जो भगवान या उस के किसी भी रुप को नई मानता, अगर वह अल्लाह या गोड को मानता हे तो हमारे अनुसार वो नास्तिक नही, काफ़िर नही,क्यो कि यह हम कहते हे भगवान एक हे उस के नाम अनेक हे, लेकिन मुस्लिम कहते हे सिर्फ़ एक खुदा हे ओर जो इस खुदा को नही मानाता , बाकी वो किसी को भी माने वो काफ़िर हे , बाकी आप मेरे से ज्यादा समझ दार हे अगर कही गलती हुई हो तो, माफ़ करे, आगे हिन्दु, मुस्लिम की तो कोई बात ही नही,आगे संजय बेंगाणी जी की टिपण्णी से सहमत हु
जवाब देंहटाएंआपकी भावनाएं सम्मान योग्य हैं, परन्तु आपको गुप्ता जी पर उम्र सम्बन्धी व्यक्तिगत टिप्पणी नहीं करनी चाहिए थी. लेकिन इस्स्में तो कोई संदेह है ही नहीं की आपके लेख का एक एक शब्द सत्य है....
जवाब देंहटाएंबधाई
आप मुसलमानों के बहुत करीब हैं तो कृपया किसी मौलाना से या पूछकर बताइए की हिंदू न सही यहूदियों की खुदा की अवधारणा मुस्लिमों से काफी मिलती है तो फ़िर वो कैसे काफिर हुए? (बस नाम और कुछ रिवाज़ अलग हैं). और यह क्यों कह रहे हैं की हिंदू खुदा से इंकार करता है (अगर खुदा का अर्थ निराकार ईश्वर है तो). हिंदू भी तो निराकार ईश्वर को ही मानते हैं जिसके रूप ब्रह्म, विष्णु, महेश की त्रिमूर्ति है, बाकि दिव्या प्रतीक सभी देवी-देवता हैं, सनातन धर्म में यह दर्जा किसी मनुष्य को भी मिल सकता है . नास्तिक तो हिंदू भी नहीं हैं.
जवाब देंहटाएंऔर हिंदू खुदा से इंकार नहीं करता, पर यह बात उसे समझ नहीं आती की एक वर्ग क्यों दावा करता है की हमारा खुदा ही पूजनीय है और तुम जिन बुतों की इबादत करते हो वे इबलीस के प्रतीक हैं?
कोई निराकार ईश्वर को मनाता रहे पर किसी और नाम से इबादत करे और औपचारिक रूप से इस्लाम अपनाने से इंकार करे, तो भी क्या वो काफिर है?
आख़िर में, अगर कोई कुरान और हदीस की कसौटी के अनुसार काफिर साबित हो जाता है, तो उनके प्रति एक सच्चे मुसलमान के क्या कर्तव्य हैं? उनके साथ कैसा सुलूक होना चाहिए और क्यों?
अपने किसी करीबी इस्लाम के जानकर को फोन लगायें और जल्दी उपरोक्त प्रश्नों के उत्तर पोस्ट करें. जिससे हिंदुवादियों और इस तरह के Blasphemous प्रशन पूछने वालों को करारा जवाब मिल सके.
wajib sawal
जवाब देंहटाएंaao bhai is link par sajha karen
www.hamzabaan.blogspot.com
www.shahroz-ka-rachna-sansaar.blogspot.com
apna to dard ye hai bhi:
tang kafir nazar ne mujhe kafir samjha
aur kafir ye samajhta hai musalma hun main
सही कहा समीर आपने
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