पेश-ए-खिदमत है रोज़नामा राष्ट्रीय सहारा के सम्पादक अज़ीज़ बर्नी जी का लेख......
रोज़नामा राष्ट्रीय सहारा केवल एक समाचारपत्र नहीं, बल्कि इस युग का इतिहास लिखने जा रहा है। हमने तो यह उसी समय तय कर लिया था, जब इस मिशन का आरंभ किया था, लेकिन प्रसन्नता तथा संतोष की बात यह है कि आज हमारे पाठक भी इस सच्चाई को महसूस करने लगे है और उनकी दुआयें हर क्षण हमारे साथ रहती हैं, हम जानते और मानते हैं कि यह उन्ही की दुआओं, प्रोत्साहन की ताकत है कि हम लगातार इस दिशा में आगे बढ़ते जा रहे हैं और निस्तर तथ्य सामने आते चले जा रहे हैं। साथ ही एक महत्वपूर्ण बात यह भी कही जा सकती है कि पूर्ण रूप से न सही, परन्तु एक हद तक तो हम उस निराशाजनक दौर से निकल आयें हैं, जब सरकारों से यह आशा ही नहीं की जा सकती थी कि उनकी जांच का रूख मुसलमानों से हटकर किसी और दिशा में भी आगे बढ़ सकता है। अगर आरंभ में ही यह कदम उठा लिये जाते तो देश को जिन आतंकवादी हमलों का सामना करना पड़ा, शायद उनसे बच जाते। बहरहाल आज के इस संक्षिप्त लेख में मैं अपने पाठकों तथा भारत सरकार के सामने थोड़े शब्दों में वे घटनायें सामने रखना चाहता हूं , जिन से बार-बार हमारे देश को जूझना पड़ा। अभी चर्चा केवल उनकी जिनकी जांच का निष्कर्ष सामने आ गया है या आता जा रहा है। हो सकता है शेष घटनाओं की भी नये सिरे से छान बीन हो तो ऐसा ही कुछ सामने आये। यह कुछ मिसाले इसलिए कि हमारी सरकारी और खुफिया एजेंसियां अंदाजा कर सकें कि हमने उन बम धमाकों के बाद किन लोगों को संदेह के आधार पर गिरफ्तार किया गया था और जब सच सामने आया तो किनके चेहरे सामने आये।
मालेगांव धमाके
धर्म, जात - पात को एक तरफ़ रख कर हिन्दुस्तान को एक सूत्र के पिरोने की कोशिश....
शुक्रवार, 29 अक्टूबर 2010
दहशतगर्द कौन और गिरफ्तारियां किन की, अब तो सोचो......! अज़ीज़ बर्नी Rss, Terrisiom, Jihad, Aziz Burney
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शनिवार, 23 अक्टूबर 2010
हिन्दुओं ने राम मन्दिर के लिये बाबरी मस्ज़िद तो तोड दी। शिव मन्दिर के लिये "ताजमहल" कब तोड रहे हैं? Ram Mandir, Shiv Temple, Babri Masjid, Ayoudya,
६ दिसम्बर ’९२ को हिन्दुओं ने बाबरी मस्ज़िद को शहीद किया और कहा कि हमने भारत और हिन्दु धर्म के माथे से कलंक मिटा दिया। तब से हर साल ६ दिसम्बर ’९२ को सारा हिन्दु समाज "शौर्य दिवस" मनाता है। इस मसले पर हर इंसान की तर्क अलग है और राय अलग है...आप जिसे सुनेंगे उसके पास एक नई कहानी होगी।
कोई कहता है कि वो मस्ज़िद इस्लाम के नाम पर कलंक थी, कोई कुछ कह्ता है। बरहाल मैं आज इस मसले पर बात नही करुंगा कि वहां बाबरी मस्ज़िद से पहले मस्ज़िद थी या राम मन्दिर (?) था।
बुधवार, 20 अक्टूबर 2010
बाबरी मस्जिद से पहले भी वहां मस्जिद ही थी - डा. सूरजभान Babri Masjid Demolition, Ram Mandir, Ayoudhya
रामजन्मभूमि -बाबरी मस्जिद विवाद, काफी समय से इलाहाबाद उच्च न्यायालय (लखनऊ पीठ) के सामने विचाराधीन है। उच्च न्यायालय फिलहाल इस प्रश्न पर साक्ष्यों की सुनवाई कर रहा है कि 1528 में बाबरी मस्जिद के बनाए जाने से पहले, वहां कोई हिंदू मंदिर था या नहीं? हालांकि दोनों पक्षों के गवाहों से काफी मात्रा में साक्ष्य दर्ज कराए जा चुके थे, उच्च न्यायालय ने यह तय किया कि विवादित स्थल पर भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण से खुदाई कराई जाए। इस खुदाई के लिए आदेश जारी करने से पहले अदालत ने, संबंधित स्थल का भू-भौतिकी सर्वेक्षण भी कराया था। भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण के ही आमंत्रण पर, तोजो विकास इंटरनेशनल प्राइवेट लि. नामक कंपनी ने, जिसका कार्यालय नई दिल्ली में कालकाजी में है, रिमोट सेसिंग की पद्धति से भूगर्भ सर्वेक्षण किया था।
सोमवार, 4 अक्टूबर 2010
कानुन को ताक पर रख.........आस्था के लिये बाबरी मस्ज़िद को राम मंदिर घोषित किया???? Ram Mandir, Ayodya, Babri Maszid, Verdict,
३० सितम्बर को हाईकोर्ट ने अपना फ़ैसला सुनाया रामजन्म भुमि/ बाबरी मस्ज़िद विवाद पर अपना फ़ैसला सुनाया । बाबरी मस्ज़िद की ज़मीन को तीन हिस्सों में बांटा गया है, दो हिस्से हिन्दुओं को मिले है और एक हिस्सा मुस्लमानों को मिला है। हिन्दुओं के हिस्से में मुख्य गुंबद का वह हिस्सा भी शामिल है जहां २२-२३ दिसम्बर 1949 में चोरी से, छुपकर मुर्तिंया रखी गयी थी और कहा गया था की श्रीराम(?) अवतरित हुये है(?????) राम चबुतरा(?), सीता की रसोई(?), वगैरह वगैरह भी हिन्दुओं को मिला है । फ़ैसले से साफ़ ज़ाहिर है कि इस फ़ैसले में कानुन का कहीं पालन नही हुआ है, सिर्फ़ अस्सी करोड हिन्दुओं की आस्था का ख्याल रख कर फ़ैसला दिया गया है।
जैसा कि राष्टीय सहारा के संपादक अज़ीज़ बर्नी जी लिखते है
जैसा कि राष्टीय सहारा के संपादक अज़ीज़ बर्नी जी लिखते है
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