बुधवार, 2 फ़रवरी 2011

अपनी पहचान को तलाशता आगरा......ताजनगरी.....एक विरासतों का शहर

गरा ये वो नाम जिसे दुनिया के अरबों लोग जानते है......क्यौकि दुनिया का पहला अजुबा "ताजमहल" जिसे लोग मुहब्बत की मिसाल कहते है वो आगरा में है..।। आगरा को लोग तहज़ीब और विरासतों का शहर कहते हैं, हालंकि कुछ सालों से इसकी तहज़ीब और सुकुन को किसी की नज़र लग गयी है।

जिस शहर और इमारत की वजह से इस देश में हर साल अरबों रुपये की विदेशी मुद्रा मिलती है वो शहर आज भी अपनी पहचान और अपने अस्तित्व के लिये लड रहा है।

आज़ादी के बाद से इस शहर को सिर्फ़ एक फ़लाईओवर मिला है जो शहर के बाहर मथुरा-दिल्ली हाइवे पर १९९९ में बना था वो भॊ जब भगवान टाकीज़ चौराहे से दिल्ली के लिये निकलने में २-३ घन्टे लग जाते थे।  इसके अलावा विकास के नाम पर कुछ भी नही मिला।


आगरा के पूर्व सांसद राज बब्बर ने वादा किया था कि मैं एम.जी.रोड को "नो हेडलाइट ज़ोन"  कर दुंगा वो उन्होने कर दिया लेकिन जब बिजली आयेगी तभी तो लाइट जलेगी..।

बदहाल, लाचार और परेशान पर्यटन समुदाय

जिस शहर में दुनिया का पहला अजुबा है, और उसके अलावा २२ ऐतेहासिक इमारतें हो। जिसने देखने के लिये हर साल लाखों की तादाद में देशी-विदेशी पर्यटक आते हो....उस शहर में एक भी प्राईवेट लि० पर्यटन फ़र्म नही हैं। आगरा के किसी पर्यट्न व्यवसायी के पास अपनी "वालवो" नही है जिसमें वो पर्यटकों को आगरा की सैर करा सकें। जबकि दिल्ली और जयपुर में ऐसे सैकडों फ़र्म है जो आज प्राईवेट लि० है।

बरसों हो गये आगरा के लोगों और व्यवसायी समुदाय को आगरा में एक अन्तर्राष्टीय एयरपोर्ट मांगते हुये, जो सांसद आया, जो मुख्यमंत्री आया, उसने सिर्फ़ वादे किये। सिर्फ़ एक सांसद थे राज बब्बर जिन्होने इसके लिये मेहनत की लेकिन उनकी कोई सुनवाई नहीं हुई।

पर्यट्क ताजमहल देखने के लिये भारत आता है....दिल्ली या जयपुर उतरता है। वहां के व्यवसायी उन्हे बस में भरते हैं...आगरा लाते हैं और ताजमहल दिखाकर एक दिन में वापस ले जाते है। यहां के होटल वाले, व्यव्सायी सिर्फ़ उनकी शक्ल देखने के अलावा कुछ नही कर सकते.... 

हमारे वर्तमान भाजपा सांसद जिन्होने अपनी हर सभा में लोगों को एयरपोर्ट दिलाने का वादा किया था लेकिन उनके पास सिर्फ़ हिन्दु-मुस्लिम विवाद को हवा देने के अलावा कोई काम नहीं है। जब-जब और जहां-जहां आगरा में किसी भी तरह का विवाद हुआ जिसमें एक पक्ष हिन्दु और दुसरा पक्ष मुस्लिम है....ये हमेशा अपना टोकरा लेकर वहां पहुंचते है...और हिन्दु समुदाय से अपने प्रेम और लगाव का इज़हार करते है और उनको पुरा समर्थन देने का वादा करते है जबकि वो ये भुल जाते है कि जिस हिन्दु समुदाय के हितकारी बनने का वो ढोंग कर रहे है। पर्यटन समुदाय का बहुत बडा हिस्सा हिन्दु है....

कब मिलेगा आगरा की जनता को उनका हक...

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7 टिप्‍पणियां:

  1. हम भी जब आगरा घूमने गए थे तो दिल्ली से सुबह बस से गए और रात में ही वापस आ गए .आप सच ही कह रहे है .

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  2. मै ताजमहल की फोटो तो घर पर नही रखता ,पर यह जरुर जानता हुँ कि ताज महल तो है पयार की
    कहानी पयार का यादगार ,इस पर किसी परकार पर्यटकों के आने वाले उन लोगो का विरोध करता हुँ
    हिनदु का जज़्बा दिखाना है तो समानता लाये जो वायदे वोटों के लालच मे करते है वह पूरा कयो नही करते ,पर्यटको के आने से तो इस का मान दुनिया मे बड़ रहा है वह ना घटाया जाये

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काशिफ आरिफ

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