शुक्रवार, 31 जुलाई 2009

आस्ट्रेलियाई विश्वविद्यालय की वेबसाइट पर बडे गर्व से मौजुद "हमारा हिन्दुस्तान"

अभी पिछले महीने "हिन्दी ब्लोग टिप्स" वाले "आशीष जी" ने सबको बडे गर्व से बताया था की "उनका ब्लोग आस्ट्रेलियाई विश्वविद्यालय की वेबसाइट पर मौजुद है"।

उनके उस लेख में टिप्पणी कर के "अनिल कान्त जी", ने बताया की उनका ब्लोग भी उस वेबसाइट पर मौजुद है।
उस लेख के लिन्क से पता चला की "बी.एस.पाबला जी" का "प्रिन्ट मिडिया पर ब्लोग चर्चा" भी वहां मौजुद है

बुधवार, 29 जुलाई 2009

"ग्लोबल वार्मिंग क्या है? "ग्लोबल वार्मिंग" का असर हमारी जीवन शैली पर...! What is "Global Warming"? "Global Warming's" Effects On Our Lifestyle...!!!!




Global Warming ग्लोबल वार्मिंग का असर हमारी जीवन शैली पर आज के दौर का सबसे बडा सवाल। आज के वक्त में शायद ही कोई ऐसा पढा-लिखा इंसान होगा जिसको ग्लोबल वार्मिंग के बारे में पता ना हो लेकिन फिर भी अगर किसी को ना पता हो तो उसके लिये मैं बता देता हूं। आदमी के द्वारा पैदा किये गये प्रदुषण (ग्रीन हाउस गैसों) से पर्थ्वी के बढते हुए औसत तापमान को ग्लोबल वार्मिंग कहते है जिसकी वजह से अंटार्टिका में बर्फ़ पिघल रही है और भारत में हिमालय पर बर्फ़ पिघल रही है और समुंद्र का जलस्तर बढता जा रहा है। आज सब लोगों को "ग्लोबल वार्मिंग" के बारे में अच्छी तरह से पता है लेकिन लोग उसे अच्छी तरह से जानते नही है। कुछ अजीब नही है की राह चलते आप सुने किसी को "बढती गर्मी" और तेज चलती हवाओं के बारे में शिकायत करते हुऎ और फ़ौरन उसकी टिप्पणी भी "अरे भई ग्लोबल वार्मिंग है"।

सोमवार, 27 जुलाई 2009

मेरी और कुश की बहस "डेली न्युज़" के "खुशबु" कालम में.....!!!! Hamara Hindustaan In "Daily News" Column

1july kushboo p-1

अपडेट २८ जुलाई १०:०० :- ब्लोग्गर की कमी की वजह से आलेख की तस्वीर ठीक से अपलोड नही हुई थी और कुछ लिन्क भी काम नही कर रहे थे, मैं उसके लिये माफ़ी चाहता हूं। बलोग्गर और पिकासा पर ये तस्वीर ठीक से नही दिख रही है इसलिये अब इसे फ़िलिकर (FLICKR) पर अपलोड किया है आप लोग वहां देख सकते है।

बुधवार, 22 जुलाई 2009

ये अंधविश्वास का ग्रहण कब हटेगा?

आज सुबह सुर्यग्रहण था बहुत से लोगो ने इस सदी के सबसे अनोखे नज़ारे को अपनी आखों से देखा, किसी ने इसे अपने सनग्लास से देखा, किसी ने एक्सरे फ़िल्म से देखा, किसी ने खास तौर पर "एल्युमिनाइज्ड माइलर" फ़िल्म से बने चश्मे से इसे देखा और हमेशा के लिये अपने दिलों-दिमाग में कभी ना मिटने वाली याद बसा ली लेकिन बहुत से ऐसे लोग भी है हमारे हिन्दुस्तान में इस अवधि में घर से नही निकलते, खाना नही खाते, कुछ तो पानी भी नही पीते, ग्रहण खत्म होने के बाद स्नान करके अपने आप को पवित्र करतें है और अपने घर को भी...मन्दिरों के दरवाज़ें कल शाम से बन्द थे वो ग्रहण के बाद ही खुलें! गर्भवती औरतों ने अपने प्रसव के लिये जो अपाय्न्मेंट था उसका वक्त बदलवा दिया और कुछ ने एक दिन आगे भी बढवा दिया।


डायंमण्ड रिंग का खुबसुरत नज़ारा





शनिवार, 18 जुलाई 2009

Youtube म्युज़िक वीडियो को .MP3 में बदलें

बहुत दिनों से देख रहा था हिन्दी ब्लोगिंग में जिसको देखो "तकनीक" और "इन्टरनेट जुगाड" पर लेख लिख रहा है! तो मैने सोचा की हमनें क्या २००१ से इन्टरनेट पर झक मारी है हमें भी बहुत कुछ पता है लेकिन कभी अपने समाज और अपने देश के बारे में बात करने से फ़ुरसत ही नही मिली।

लेकिन देर आये दुरुस्त आये की तर्ज पर अब मैं भी अपनी तकनीकी और "इन्टरनेट जुगाड" से सम्बंधित जानकारी आप लोगो से बा्टुंगा।

तो पेश है पहला "इन्टरनेट जुगाड"

बुधवार, 15 जुलाई 2009

इनका रखवाला कौन?

गरा में पिछ्ले कुछ दिनों से "आगरा नगर निगम" की देखरेख में आगरा की "लाइफ़ लाइन" महात्मा गांधी मार्ग की मरम्मत का काम चल रहा है। शुरुआत सडक के बीच मे बने "डिवाइडर" से की गयी है, इस पर लगे टुटें टाइल्स को बदलकर नये लगायें जा रहे है और फिर उस पर रंग किया जायेगा। उसके बाद कई जगह सडक को चौडा भी किया जायेगा। हमारी मेयर अंजुला जी, ने ये आदेश दिया जो कि बहुत अच्छा कदम है लेकिन मेरी उनसे एक शिकायत है कि वो इन सब के बीच में एक बहुत महत्वपुंर्ण बात भुल गयी है वो ये कि वो जिस "डिवाइडर" कि मरम्मत करा रही है उस डिवाइडर पर लगे पेडों को भी उनकी तवज्जों की ज़रुरत हैं।

डिवाइडर पर कुछ सुखे पेड


शनिवार, 11 जुलाई 2009

दहश्तगर्दों के खिलाफ़ फ़तवा आखिर कब?

काफ़ी वक्त से ये सवाल हिन्दुस्तान की अवाम के दिमाग मे घुम रहा है की आखिर कब दहश्तगर्दों के खिलाफ़ फ़तवा जारी होगा। ११ सितम्बर के हादसे के बाद से पुरी दुनिया मे मुसलमानों के लिये हालात दिन ब दिन खराब होते जा रहे हैं।

इस्लाम क्या किसी धर्म में यह नही बताया गया है की दूसरे धर्म के लोगो को जीने ना दो, उन्हें और उन्हें धर्म स्थलों को तबाह कर दो.... इस्लाम तो अपने मानने वालो को कुरआन में आदेश देता है की "दुसरो के माबुदो (उपास्यो) को बुरा ना कहो (सूरा-ए-अलंफाल सुरह. ८ : आयत-१०८) |' पाक कुरआन में खुदा का हुक्म है, "जिसने एक बेकुसूर का कत्ल किया, गोया उसने सारी इंसानियत का कत्ल कर दिया" (सूरा-ए-अल्मायेदाह सुरह. ५ : आयत - 108) |' आख़िर यह कौन से जेहादी हैं और इनका कौन सा मज़हब है, जो बेगुनाह लोगो की जान लेने को इन्हे आतुर करता है | दिल्ली बम काण्ड को ले, तो यह बात समझ नही आती की क्या कोई सच्चा मुस्लिम, और वे भी रमजान के पाक महीने में ऐसा जघन्य पाप करेगा | साफ़ है, आतंक्वादियौं का कोई धर्म और ईमान नही होता |

मंगलवार, 7 जुलाई 2009

सुख रहा है हिन्दुस्तान का दिल..!!


हमारे "हिन्दुस्तान का दिल" यानी "मध्यप्रदेश" . ये राज्य हमारे देश के बीच मे स्थित है और अपने हैन्डीक्राफ़्ट मतलब हाथ की कारीगरी के लिये बहुत मशहुर है। आजकल वहां के हालात बहुत खराब है पीने के लिये पानी नही है। पानी जिसके बिना कुछ भी नही है वो वहां उपलब्ध नही है...हाहाकार मचा हुआ है..

अभी १३ मई को भोपाल मे एक घर मे मां, बाप और भाई मारे गये है टुटी हुई पाइप लाइन से पानी भरने की लडाई मे। अब तक पुरे मध्य प्रदेश मे मई के महीने मे ही ५० से ज़्यादा मारपीट की घटनायें हो चुकी है। हालात दिन ब दिन खराब होते जा रहे है। इस प्रदेश के कई शहरों मे दस - दस दिन पानी नही आता है। एक एक करके सारी नहरे, तालाब, नदियां सब सुखते जा रहे है....अब तक पुरे मध्य प्रदेश मे कुल मिलाकर १० - १५ तालाब पुरी तरह सुख चुके है और जो बचे है वो इस लायक नही बचे है की उन्का पानी पीने के काम मे लिया जाये। अकेले भोपाल मे छोटे-बडें मिलाकर १० तालाब और झीलें है लेकिन अब किसी मे भी पानी नही है। मध्यप्रदेश मे तो दो - तीन शहर तो ऐसे है जो तालाब और झील की वजह से बसे है लेकिन उन शहरों मे आज सब कुछ है सिवाय उन तालाब और झीलों के।







मध्य प्रदेश की लाइफ़ लाइन नर्मदा नदी जिससे मध्य प्रदेश की पानी की आधे से ज़्यादा ज़रुरत पुरी होती है। जिसके लिये लोगो के दिल मे बहुत आस्था है उसका आकार दिन ब दिन सिकुडता जा रहा है इस नदी का हाल भी हमारे देश की दुसरी नदियो की तरह होता जा रहा है जिनके अन्दर सिर्फ़ कीचड, केमीकल, और मरी हुई मछलियों के अलावा कुछ भी नही है। जिन लोगो के मन मे इन नदियों के लिये आस्था है इनकी बर्बादी के ज़िम्मेदार भी वही लोग है जो ज़रुरत पडने पर ही इन नदियों की तरफ़ देखते है और फ़िर इन्हे भुल जाते है। न खुद कुछ करते है और ना गलत करने वाले को रोकते है। टोकने पर कहते है की ये तो सरकार की ज़िम्मेदारी है मानता हुं की सरकार की ज़िम्मेदारी है लेकिन इन नदियों का इस्तेमाल कौन करता है? जब हम लोग इस्तेमाल करते है तो हमारी कोई ज़िम्मेदारी नही बनती है? मैं ये नही कह रहा की जाओ और खुद सफ़ाई करो या जो नदी को गंदा कर रहे है उनसे लडों लेकिन कम से कम हम सरकार का ध्यान तो इस तरफ़ दिला सकते है और थोडे - थोडे दिनो बाद उनसे सवाल करते रहें की आप लोग क्या कर रहे है।

और भुजल का तो बहुत बुरा हाल है महोबा, देवास, रेह्ती, मालवा, जैसे बहुत से इलाके है जहां पर भुजल स्तर बहुत नीचे चला गया है कहीं पर ४५० फ़ीट, कहीं ५०० फ़ीट, और तो और कुछ इलाको मे ६५० फ़ीट पर भी पानी नही है। मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल जो एक बहुत बडा शहर है और काफ़ी खुबसुरत है। भोपाल मे कभी छोटे-बडे १० तालाब और झीले थी अब उनमें से कुछ ही बची है। भुजल स्तर दिन ब दिन नीचे जाता जा रहा है कुछ इलाको मे ६०० फ़ीट पर भी पानी नही है।भोपाल अब कंक्रीट का जंगल बन चुका है ना वहां तालाब बचे है और ना ही पेड इस वजह से बारिश भी बहुत कम हो गयी है। ये तालाब और झीलों, ज़मीन और बारिश से भी पानी आया तो कहां गया इतना पानी? किसने इस्तेमाल किया? किसने बर्बाद किया? कौन है इसका ज़िम्मेदार? किसकी गलती है?


हमारी गलती है हमने पानी को अपनी जागीर समझा, जब हम एक बाल्टी से नहा सकते थे तो हमने शावर और बाथटब का इस्तेमाल किया, हमने शेव करते, बर्श करते वक्त नल को खुला छोडा जबकी उसकी ज़रुरत नही थी। जिनके घर मे पानी आता है या फिर उनके घर मे सम्रसीबिल पम्प या मोटर लगी है वो अपने घर को पाइप से धोते है घर के अलावा सडक को भी धोते है। आप धोयें मै धोने को मना नही कर रहा हुं लेकिन जो काम ३०-४० लीटर पानी से हो सकता है उसके लिये १५० लीटर पानी बहाने का क्या मतलब है।

ज़्यादातर शहरों मे पुरे - पुरे महीने पानी नही आ रहा है लोग पुरी - पुरी रात जाग रहे है पानी के इन्तेज़ार में। जिन शहरो मे पानी नही है वहां नगर निगम के लोग टैंकर से पानी सप्लाई कर रहे है जब ये टैंकर सडक से गुज़रता है तो लोग इसके पीछे भागते है। हमेशा लडाई होती है क्यौंकी हर आदमी पहले पानी भरना चाहता है अब हर टैंकर के साथ एक पुलिसवाला लगाया जाता है लेकिन वो भी लोगो को काबु मे नही रख पाता है।




मध्य प्रदेश मे इन दो - तीन मे अब तक १०-१२ लोग मौत के मुहं मे जा चुके है पानी की लडाइयों में और कई सौ घायल हो चुके है। हालात बहुत खराब है और दिन ब दिन खराब होते जा रहे है। हमारे देश के एक प्रदेश मे जलयुद्ध शुरु हो चुका है और अब देखना ये है की इस जलयुद्ध को हमारे देश और फिर दुनिया मे फैलने मे कितना वक्त लगता है......

रविवार, 5 जुलाई 2009

हरियाली के लिये दौड (GO GREEN RUN) आगरा में

होटल जे. पी. पैलेस मे बना स्टेज
आज आगरा मे "The Instituite of Chartered Accountants Of India" ने अपनी डायमंड जुबली के अफ़सर पर "GO GREEN RUN" का आयोजन किया था जो सुबह ६ बजे होट्ल जे. पी. पैलेस से चलकर शिल्पग्राम मे पुरी होनी थी।
मैं भी गया था मेरे बायें घुट्ने मे चोट है तो डाक्टर ने अब सुबह की सैर बतायी है तो मैने सोचा इस्से अच्छा मौका तो हो ही नही सकता तो हम भी पहुच गये लंगडाते हुए। इस रन का मकसद लोगो को जागरुक बनाने का था "ग्लोबल वार्मिगं" के लिये।

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