भूगर्भ जल दिवस पर कानपूर डिस्ट्रिक्ट मे एक दिल दहलाने वाली घटना हुई । कानपूर जिले के हमीरपुर मे २४ घंटे के अन्दर ५ जगह ज़मीन फट गई । कहीं पर इस की चौडाई ढाई फीट थी कहीं पर इससे कम । तीन सौ मीटर तक लम्बी ज़मीन फटी है और उसकी गहराई २२ फीट से भी ज़्यादा थी ।
ये सब हम लोगो ने ही किया है इसके पीछे सब इंसानों का किया धरा है जब हम ज़मीन में पानी जाने की जगह नही छोडेंगे और ऊपर उसका अन्दर से सब पानी नीचोड़ कर निकाल लेंगे तो क्या होगा । हमने अपने घर के चारो तरफ़ पक्का चबूतरा बना दिया है । अपने आँगन मे हमने बहुत अच्छा सा मार्बल लगाया है, आस पास का सब एरिया हमने कवर कर लिया है, हमने कसम खाई है की कुछ भी हो जाए लेकिन हम बारिश के इस गंदे पानी को हम अपनी ज़मीन के अन्दर नही जाने देंगे ऐसे कैसे कोई हमारी ज़मीन ख़राब कर सकता है,
हम हमेशा ब्रुश करते वक्त नल को फुल रफ़्तार से खोलेंगे, हमेशा शावर से स्नान करेंगे, उसमे से खूब पानी बहायेंगे, देर तक अच्छी तरह मल मल कर स्नान करेंगे, अपना घर जब भी धोयेंगे तो हमेशा पाइप के तेज़ रफ़्तार पानी से धोयेंगे। हम इस ज़मीन के सारे पेड़ काट कर यहाँ बड़े बड़े पक्के मकान और इमारते बनायेंगे।
हम यहाँ पैदा हुए है और इस ज़मीन की हर चीज़ पर हमारा हक़ है हम जो चाहे करे, इसके लिए हमे किसी जो जवाब देने की ज़रूरत नही है और इसी तरह एक दिन हम इस ज़मीन को खोकला कर देगे।
ये कसम हम किसी हाल मे टूटने नही देगे और एक दिन जब ज़मीन मे पानी खत्म हो जायेगा तो हम इंसानों का खून पियेंगे।
धर्म, जात - पात को एक तरफ़ रख कर हिन्दुस्तान को एक सूत्र के पिरोने की कोशिश....
बुधवार, 11 जून 2008
रविवार, 8 जून 2008
प्रदेश मे पेट्रो मूल्य घटे
कल मुख्यमंत्री मायावती सरकार ने मंहगाई पर मरहम लगाते हुए राज्ये मे पेट्रोल और डीज़ल पर टेक्स की दरे कम कर दी है । साथ ही रसोई गैस पर लगने वाले चार प्रतिशत कर को समाप्त कर दिया है । अब रसोई गैस ११.३५ रूपये प्रति सीलेंडरडीज़ल डेढ़ रूपये प्रति लीटर और पेट्रोल एक रूपये प्रति लीटर सस्ता होगा ।
प्रदेश सरकार ने डीज़ल पर दरो मे ४.८४ प्रतिशत और पेट्रोल मे २.३८ प्रतिशत कमी की है । मायावती जी ने टेक्स कम तो कर दिया है लेकिन मेरी समझ मे एक ये बात नही आ रही की राज्य सरकारों ने पेट्रो उत्पादों पर इतना टेक्स लगाया क्योँ है?
गौरतलब है की उत्तर प्रदेश मे जहाँ पेट्रोल पर २६ प्रतिशत टेक्स निर्धारित है, वहीं आन्ध्र प्रदेश मे ३३ प्रतिशत, बिहार मे २७ प्रतिशत, कर्नाटक मे २८, केरल मे २९.०१, मध्य प्रदेश मे २८.७५, महाराष्ट्र मे २८ और तमिलनाडु मे ३० प्रतिशत के दर पर वसूली की जा रही है ।
इसी तरह डीज़ल पर उत्तर प्रदेश मे कर की दर जहाँ २१ प्रतिशत है वहीं आंध्र प्रदेश मे २२.२५ प्रतिशत, केरल मे २४.६९, मध्य प्रदेश मे २८.७५, महाराष्ट्र मे २८ (मुम्बई मे ३३ प्रतिशत) और तमिलनाडु मे २३.४३ प्रतिशत की दर पर वसूली की जा रही है ।
अब आप लोग मुझे ये बताये की जब इतनी ज़्यादा दरो पर टेक्स की वसूली की जायेगी तो जनता को पेट्रोल उत्पाद कैसे सस्ते मिलेंगे यह बहुत नाइंसाफी है क्यूंकि जब पब्लिक को अपनी रोज़मर्रा की ज़रूरत की चीजे सही दामो पर नही मिलेंगी तो इन सरकारों का क्या फायदा ????
प्रदेश सरकार ने डीज़ल पर दरो मे ४.८४ प्रतिशत और पेट्रोल मे २.३८ प्रतिशत कमी की है । मायावती जी ने टेक्स कम तो कर दिया है लेकिन मेरी समझ मे एक ये बात नही आ रही की राज्य सरकारों ने पेट्रो उत्पादों पर इतना टेक्स लगाया क्योँ है?
गौरतलब है की उत्तर प्रदेश मे जहाँ पेट्रोल पर २६ प्रतिशत टेक्स निर्धारित है, वहीं आन्ध्र प्रदेश मे ३३ प्रतिशत, बिहार मे २७ प्रतिशत, कर्नाटक मे २८, केरल मे २९.०१, मध्य प्रदेश मे २८.७५, महाराष्ट्र मे २८ और तमिलनाडु मे ३० प्रतिशत के दर पर वसूली की जा रही है ।
इसी तरह डीज़ल पर उत्तर प्रदेश मे कर की दर जहाँ २१ प्रतिशत है वहीं आंध्र प्रदेश मे २२.२५ प्रतिशत, केरल मे २४.६९, मध्य प्रदेश मे २८.७५, महाराष्ट्र मे २८ (मुम्बई मे ३३ प्रतिशत) और तमिलनाडु मे २३.४३ प्रतिशत की दर पर वसूली की जा रही है ।
अब आप लोग मुझे ये बताये की जब इतनी ज़्यादा दरो पर टेक्स की वसूली की जायेगी तो जनता को पेट्रोल उत्पाद कैसे सस्ते मिलेंगे यह बहुत नाइंसाफी है क्यूंकि जब पब्लिक को अपनी रोज़मर्रा की ज़रूरत की चीजे सही दामो पर नही मिलेंगी तो इन सरकारों का क्या फायदा ????
शनिवार, 7 जून 2008
अब तक किसी प्रदेश सरकार का फैसला नही आया .
आज पेट्रोल के भाव बडे हुए पूरे ३ दिन हो गए हैं लेकिन हमारी प्रदेश सरकारों को अब तक टेक्स काम करने का होश नही आया है, मेरी समझ मे अब तक नही आया हैं की प्रदेश सरकारे इतना वक्त क्योँ लगा रही हैं टेक्स को कम करने मे ।
आप लोगो को क्या लगता है की ये लोग कितना कम करेंगे टेक्स --- १ फीसदी, २ फीसदी, ३ फीसदी, या फिर ५ फीसदी,
मेरे हिसाब से तो कम से कम ४ फीसदी तो कम करना ही चाहिऐ इससे पेट्रोल २ रूपये सस्ता हो जायेगा और डीज़ल १ रूपये ६० पैसे सस्ता हो जायेगा तो शायद जनता को कुछ राहत मिले ।
आप लोगो को क्या लगता है की ये लोग कितना कम करेंगे टेक्स --- १ फीसदी, २ फीसदी, ३ फीसदी, या फिर ५ फीसदी,
मेरे हिसाब से तो कम से कम ४ फीसदी तो कम करना ही चाहिऐ इससे पेट्रोल २ रूपये सस्ता हो जायेगा और डीज़ल १ रूपये ६० पैसे सस्ता हो जायेगा तो शायद जनता को कुछ राहत मिले ।
शुक्रवार, 6 जून 2008
सरकार की ढील की वजह से ये पेट्रोल के भाव बड़े हैं .
भारत सरकार ने पेट्रोल और डीज़ल के भाव तो बड़ा दिए लेकिन अगर ये लोग सुस्ती नही दिखाते तो ये भाव उन्हें नही बढाने नही पड़ते
इन्होने २००३ मे एक प्लान तैयार किया था की उच्च वर्गः के लोगो रसोई गैस उसी दाम पर दी जायेगी जितनी की उसकी लागत है लेकिन वाम दलों के विरोध की वजह से ये प्लान बेकार हो गया । फिर २००४ मे एक और तरीका निकला गया की उच्च वर्गः के लोगो को केरोसीन बिना सब्सिडी के दिया जायेगा लेकिन उसको भी यह अमल मे नही ला सके और आज उसका अंजाम ये है की केरोसीन की खूब कालाबाजारी हो रही है । अगर सरकार इतनी सुस्ती नही दिखाती तो इस तरह से केरोसीन की कालाबजारी नही हो रही होती ।
२००४ मे फिर एक चीज़ पर विचार किया गया था की उच्च वर्ग को घरेलु गैस का सिलेंडर उसकी असली कीमत पर दिया जायेगा यानी के ६५० रूपये मे लेकिन इस बात पर भी यह लोग विचार कर कर ही रह गए इसको क़ानून नही बना सके हमेशा की तरह इसमे भी हमारे देशभक्त नेताओं ने अपना पुरा योगदान दिया और इसको लागू नही होने दिया ।
अगर गैस कम्पनियाँ होटलों और ढाबो के लिए २० लीटर का सिलेंडर आज से २ साल पहले निकाल देते तो इस तरह होटलों , रेस्त्तोरेंतो , और ढाबो मे घरेलु गैस के सिलेंडर इस्तेमाल न होते और इतनी गैस की किल्लत होती और न ही गैस कम्पनियौं को इतना नुकसान झेलना पड़ता ।
अब क्या कर सकते हैं जो होना था हो गया लेकिन अब भी एक रास्ता हैं जो हमारी सोनिया गांधी जी ने बताया की पेट्रोल और दिएसल पर टेक्स को कम कर के अगर पेट्रोल पर १ फीसदी टेक्स कम किया जायेगा तो पेट्रोल ५० पैसे सस्ता हो जायेगा और अगर डीज़ल पर १ फीसदी टेक्स कम किया जायेगा तो डीज़ल ४० पैसे सस्ता हो जायेगा ।
अब देखते हैं की हमारी राज्ये सरकार क्या फ़ैसला लेती है ????????
वो अपने फायदे की सोचती हैं या पब्लिक के ?????
इन्होने २००३ मे एक प्लान तैयार किया था की उच्च वर्गः के लोगो रसोई गैस उसी दाम पर दी जायेगी जितनी की उसकी लागत है लेकिन वाम दलों के विरोध की वजह से ये प्लान बेकार हो गया । फिर २००४ मे एक और तरीका निकला गया की उच्च वर्गः के लोगो को केरोसीन बिना सब्सिडी के दिया जायेगा लेकिन उसको भी यह अमल मे नही ला सके और आज उसका अंजाम ये है की केरोसीन की खूब कालाबाजारी हो रही है । अगर सरकार इतनी सुस्ती नही दिखाती तो इस तरह से केरोसीन की कालाबजारी नही हो रही होती ।
२००४ मे फिर एक चीज़ पर विचार किया गया था की उच्च वर्ग को घरेलु गैस का सिलेंडर उसकी असली कीमत पर दिया जायेगा यानी के ६५० रूपये मे लेकिन इस बात पर भी यह लोग विचार कर कर ही रह गए इसको क़ानून नही बना सके हमेशा की तरह इसमे भी हमारे देशभक्त नेताओं ने अपना पुरा योगदान दिया और इसको लागू नही होने दिया ।
अगर गैस कम्पनियाँ होटलों और ढाबो के लिए २० लीटर का सिलेंडर आज से २ साल पहले निकाल देते तो इस तरह होटलों , रेस्त्तोरेंतो , और ढाबो मे घरेलु गैस के सिलेंडर इस्तेमाल न होते और इतनी गैस की किल्लत होती और न ही गैस कम्पनियौं को इतना नुकसान झेलना पड़ता ।
अब क्या कर सकते हैं जो होना था हो गया लेकिन अब भी एक रास्ता हैं जो हमारी सोनिया गांधी जी ने बताया की पेट्रोल और दिएसल पर टेक्स को कम कर के अगर पेट्रोल पर १ फीसदी टेक्स कम किया जायेगा तो पेट्रोल ५० पैसे सस्ता हो जायेगा और अगर डीज़ल पर १ फीसदी टेक्स कम किया जायेगा तो डीज़ल ४० पैसे सस्ता हो जायेगा ।
अब देखते हैं की हमारी राज्ये सरकार क्या फ़ैसला लेती है ????????
वो अपने फायदे की सोचती हैं या पब्लिक के ?????
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